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सद्गुरु भण्डारा: मानवता और समरसता का जीवंत उदाहरण | महाकुंभ मेला 2025

महाकुंभ मेला 2025

सद्गुरु भण्डारा: मानवता और समरसता का जीवंत उदाहरण | महाकुंभ मेला 2025

महाकुंभ 2025, प्रयागराज में आयोजित दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक और आध्यात्मिक आयोजन, भारतीय संस्कृति और मानवता का अद्भुत संगम प्रस्तुत करता है। इस भव्य आयोजन के केंद्र में कबीर धर्मनगर दामाखेड़ा की छावनी का सद्गुरु भण्डारा एक अनोखा आध्यात्मिक उत्सव बन चुका है।

महाकुंभ मेला 2025

छावनी के सेक्टर-8, कैलाशपुरी मार्ग, महाकुंभ मेला क्षेत्र में सद्गुरु भण्डारा न केवल भक्ति और सेवा का प्रतीक है, बल्कि समरसता और भाईचारे का एक जीवंत उदाहरण है। इस भण्डारे में प्रतिदिन हजारों श्रद्धालु बिना किसी जाति, धर्म या सामाजिक भेदभाव के साहब का पावन प्रसाद ग्रहण करते हैं।


सद्गुरु भण्डारा: सेवा और समर्पण का परिचय

इस भण्डारे की खासियत यह है कि यहाँ मानवता के मूल सिद्धांतों को अपनाते हुए हर किसी का हार्दिक स्वागत किया जाता है। परम पूज्य गुरु माता मनीषा देवी जी और नवोदित वंशाचार्य परम पूज्य पंथ श्री उदितमुनि नाम साहब स्वयं इस सेवा में भाग लेते हैं, जिससे श्रद्धालुओं में आध्यात्मिकता और समर्पण की भावना प्रबल होती है।

महाकुंभ मेला 2025

यह भण्डारा प्रतिदिन सुबह 10 बजे से रात 11-12 बजे तक संचालित होता है। लगभग 15-20 हजार श्रद्धालु यहाँ साहब का प्रसाद ग्रहण करते हैं। यह आयोजन मानवता के प्रति साहब के सिद्धांतों को प्रस्तुत करता है:

  1. एक संगत: सभी लोग एकसाथ बैठकर प्रसाद ग्रहण करते हैं।
  2. एक पंगत: जाति, धर्म या वर्ग का कोई भेदभाव नहीं होता।
  3. एक रंगत: हर कोई समान दृष्टि से देखा जाता है।

भक्ति, सेवा और मानवता का संदेश

सद्गुरु भण्डारा केवल भोजन का आयोजन नहीं है, यह मानवता, भक्ति और सेवा का प्रतीक है। यहाँ कबीर साहब के आदर्शों को व्यवहारिक रूप से प्रस्तुत किया जाता है।

  • जात-पात से ऊपर उठकर सेवा का भाव: सद्गुरु कबीर साहब ने सदैव जातिवाद और भेदभाव का खंडन किया। इस भण्डारे में हर कोई समान रूप से भोजन करता है, जिससे यह संदेश मिलता है कि मानवता का सबसे बड़ा धर्म प्रेम और सेवा है।
  • समर्पण और निःस्वार्थ सेवा: परम पूज्य गुरु माता और नवोदित वंशाचार्य स्वयं श्रद्धालुओं के बीच सेवा करते हैं, जिससे उनके प्रति श्रद्धालुओं की आस्था और भी गहरी होती है।
  • महाकुंभ मेला 2025

भोजन-प्रसाद: प्रेम और एकता का प्रतीक

सद्गुरु भण्डारे में प्रसाद केवल भोजन नहीं है, यह साहब के आशीर्वाद का प्रतीक है।

  • यहाँ भोजन को प्रेम और समर्पण के साथ तैयार किया जाता है।
  • सभी लोग एकसाथ बैठकर प्रसाद ग्रहण करते हैं, जिससे समाज में एकता और भाईचारे का संदेश फैलता है।

श्रद्धालुओं का कहना है कि इस भण्डारे में प्रसाद ग्रहण करना एक आध्यात्मिक अनुभव है। यहाँ आने पर मन को शांति और संतोष प्राप्त होता है।

महाकुंभ मेला 2025


सद्गुरु कबीर साहब के सिद्धांतों की झलक

कबीर साहब के सिद्धांतों पर आधारित यह आयोजन न केवल भक्ति का केंद्र है, बल्कि यह मानवता को सही दिशा दिखाने वाला पथ-प्रदर्शक है।

  • भाईचारा और समरसता: कबीर साहब ने हमेशा से जात-पात और भेदभाव के खिलाफ आवाज उठाई। इस भण्डारे में उनका यह संदेश प्रत्यक्ष रूप से दिखता है।
  • सेवा का महत्त्व: साहब ने कहा था कि सेवा ही सच्ची भक्ति है। यह आयोजन इस विचार को साकार करता है।


सद्गुरु भण्डारे की अनोखी विशेषताएँ

  1. सभी का स्वागत: चाहे कोई भी हो, हर किसी को प्रसाद ग्रहण करने का समान अवसर मिलता है।
  2. विशाल व्यवस्था: प्रतिदिन हजारों लोगों के लिए भोजन तैयार किया जाता है, जो मानवता के प्रति समर्पण को दर्शाता है।
  3. आध्यात्मिकता और सेवा का संगम: यह भण्डारा सिर्फ भोजन नहीं, बल्कि भक्तों के लिए एक आध्यात्मिक अनुभव है।

सभी श्रद्धालुओं के लिए निमंत्रण

अगर आप महाकुंभ मेला 2025 में पधार रहे हैं, तो कबीर धर्मनगर दामाखेड़ा की छावनी के सद्गुरु भण्डारा में प्रसाद ग्रहण करना न भूलें। यहाँ आपको न केवल साहब का आशीर्वाद प्राप्त होगा, बल्कि यह भक्ति और सेवा का एक अनूठा अनुभव भी होगा।

स्थान:
सेक्टर – 8, कैलाशपुरी मार्ग, महाकुंभ मेला क्षेत्र, प्रयागराज (उत्तर प्रदेश)

समय:
प्रत्येक दिन सुबह 10 बजे से रात 11-12 बजे तक


निष्कर्ष

सद्गुरु भण्डारा महाकुंभ 2025 में प्रेम, सेवा और मानवता का प्रतीक बन गया है। यह आयोजन कबीर साहब के सिद्धांतों को न केवल प्रचारित करता है, बल्कि उन्हें व्यवहारिक रूप से जीने का रास्ता भी दिखाता है।
यहाँ आने वाले हर श्रद्धालु को भक्ति, सेवा और मानवता का अनुभव होता है। यह भण्डारा हमें सिखाता है कि सच्ची भक्ति वही है, जिसमें सेवा, प्रेम और समर्पण शामिल हो।

सप्रेम साहेब बन्दगी साहेब 🙏🌹🍃

KAMLESH VERMA

दैनिक भास्कर और पत्रिका जैसे राष्ट्रीय अखबार में बतौर रिपोर्टर सात वर्ष का अनुभव रखने वाले कमलेश वर्मा बिहार से ताल्लुक रखते हैं. बातें करने और लिखने के शौक़ीन कमलेश ने विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन से अपना ग्रेजुएशन और दिल्ली विश्वविद्यालय से मास्टर्स किया है. कमलेश वर्तमान में साऊदी अरब से लौटे हैं। खाड़ी देश से संबंधित मदद के लिए इनसे संपर्क किया जा सकता हैं।

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