चंबल नदी नागदा का फाइल फोटो
विश्व नदी दिवस क्या हैं ?। World River Day नदियों का महत्व । Importance of rivers खतरों से जूझती नदियां । Rivers facing danger नदियों को संरक्षित करने के उपाय । Measures to conserve rivers
विश्व नदी दिवस हर साल सितंबर के अंतिम रविवार को मनाया जाता है। 27 सितंबर 2020 को भारत सहित पूरे विश्व में उत्साह से मनाया जाता है। नदियों की रक्षा को लेकर 2005 में इसे मनाने की शुरुआत की गई थी।
ब्रिटेन, कनाडा, अमेरिका, भारत, पोलैंड, दक्षिण अफ्रिका, ऑस्ट्रेलिया, मलेशिया और बांग्लादेश में नदियों की रक्षा को लेकर कई कार्यक्रम का आयोजन होता है। भारत में अनादि काल से नदियों को देवीय महत्व दिया गया है। पूर्वाचल में पवित्र नदियों के किनारे छठ पर्व किया जाता है। छठ पर्व दीपोत्सव के छठे दिन मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं नदी के पानी में खड़े होकर सूर्य को अर्घ देती है।
मालूम हो कि पृथ्वी के 71 प्रतिशत हिस्से में पानी है, जिसमें से 97.3 प्रतिशत पानी पीने योग्य नहीं होकर खारा पानी है। शेष 2.7 प्रतिशत मीठा जल हमें नदियों, झीलों, तालाबों जैसे संसाधनों से प्राप्त होता है। इसलिए विश्व नदी दिवस मनाए जाने की शुरुआत की गई।
गलत नीतियों, मानव द्वारा फैलाए जा रहे प्रदूषण और कई स्वार्थियों के कारण अनेक नदियां का अस्तिव समाप्त हो रहा है। प्रदूषित हो रही नदियों को संवारने के लिए संरक्षित करने की जरूरत है।
पुराणों में उल्लेख है कि विश्व की प्राचीन सभ्यतायें नदियों के किनारे ही विकसित हुई है। नदियां को स्वच्छ जल का संवाहक होती हैं। एशिया महाद्वीप का हिमालय पर्वत पुरातन समय से नदियों का उद्गम स्रोत रहा है। गंगा, यमुना, सिंधु, झेलम, चिनाव, रावी, सतलज, गोमती, घाघरा, राप्ती, कोसी, हुबली तथा ब्रहमपुत्र आदि सभी नदियों का उद्गम हिमालय से शुरू होकर हिन्द महासागर में जाकर अपनी गिरती है।
विश्व नदी दिवस भारत का कोई अलग से कार्यक्रम नहीं है। पुराने लोगों द्वारा कहा जाता है कि सालों पहले भारत की नदियां बारह मासी यानी 12 माह बहने वाली होती थी, लेकिन अंधाधुंध पेड़ों की कटाई के कारण नदियों ने अपना अस्तिव खो दिया। वर्तमान में हालात यह है कि ग्रीष ऋतु में भारत की सभी नदियों का जल सूख जाता है।
भारत के कई शहरों में उद्योगों से निकलने वाले अपशिष्ट पदार्थ को रिसायल करके नदियों में मिला दिया जाता है। मध्य प्रदेश के उज्जैन जिले में मौजूद चंबल नदी को ग्रेसिम उद्योग नागदा द्वारा प्रदूषित किया जा रहा है। नदी इस कदर प्रदूषण हो चुकी है पानी पीने योग्य नहीं बचा है। नदी के किनारे बसे गांव परमार खेड़ी में प्रति 10 घर में एक सदस्य विकलांग है। गांव की आबादी 900 है। गांव के सभी जलस्त्रोत प्रदूषित हो चुके है। प्रशासन ने जलस्त्रोतों को बंद कर खतरनाक घोषित कर दिया है।
सीपीसीबी की साल 2020 की रिपोर्ट के अनुसार भारत की जीनदायिनी कही जाने वाली ये नदियां खुद खतरे में हैं। 521 नदियों के पानी की मॉनिटरिंग करने वाले प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार देश की 198 नदियां ही स्वच्छ हैं। जो छोटी नदियां हैं। जबकि, बड़ी नदियों का पानी भीषण प्रदूषण की चपेट में है। 198 नदियां स्वच्छ पाई गईं, इनमें ज्यादातर दक्षिण-पूर्व भारत की हैं। महाराष्ट्र में सिर्फ 7 नदियां ही स्वच्छ हैं, जबकि 45 नदियों का पानी प्रदूषित है।
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