खिचड़ी कब है 2022 – Khichdi Kab Hai 2022 Mein – Khichdi 2022 Muhurat
Khichdi Kab Hai 2022: वर्ष 2022 में खिचड़ी पंचांग के अनुसार 14 जनवरी 2022, शुक्रवार को पौष मास की शुक्ल पक्ष की द्वादशी की तिथि को मनाया जाएगा. बिहार और उत्तर प्रदेश में मकर संक्रांति पर्व को खिचड़ी के नाम से जाना जाता है. सूर्य जब एक राशि से दूसरी राशि में जाते हैं तो इस प्रक्रिया को खिचड़ी कहा जाता है. हिंदू धर्म में इसे नव वर्ष का शुभारंभ माना जाता है. इस दिन से मांगलिक कार्यों पर लगी रोक हट जाती है. खिचड़ी पर स्नान और दान का विशेष महत्व बताया गया है. बिहार, यूपी, झारखंड और नेपाल में हर साल जनवरी में खिचड़ी Makar Sankranti) पर्व मनाया जाता है. पोस्ट के जरिए जानते हैं खिचड़ी कब है 2022 – Khichdi Kab Hai 2022 Mein – Khichdi 2022 Muhurat
खिचड़ी 2022 के दिन के शुभ मुहूर्त (Khichdi 2022 Muhurat)
Table of Contents
खिचड़ी या मकर संक्रांति पुण्य काल मुहूर्त | दोपहर 02:43 से शाम 05:45 तक |
पुण्य काल अवधि | 03 घंटे 02 मिनट |
खिचड़ी महापुण्य महा पुण्य काल मुहूर्त | दोपहर 02:43 से रात्रि 04:28 तक |
महापुण्य काल अवधि | 01 घंटा 45 मिनट |
खिचड़ी का महत्व (Khichdi 2022 Mahatva)
पौष माह के दौरान जब सूर्य देवता धनु राशि को छोड़कर मकर राशि में प्रवेश करता हैं. उन दिनों सनातन धर्म में यह पर्व खिचड़ी के रूप में मनाया जाता है. खिचड़ी के दिन सूर्य उत्तरायणी गति प्रारंभ करता है. इसलिए इस पर वह को उत्तरायणी पर्व के नाम से भी जाना जाता है. भगवान शनिदेव मकर राशि के स्वामी हैं और इस दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं इस दिन जप, तप, ध्यान और धार्मिक क्रियाकलापों का अधिक महत्व होता हैं. अन्य प्रांतों में इसे फसल उत्सव के नाम से भी जाना जाता हैं.
वैज्ञानिकों की मानें तो पहले सूर्य पृथ्वी के दक्षिणी गोलार्ध पर सीधी किरणें डालता है. जिसके कारण उत्तरी गोलार्ध में रात्रि बड़ी और दिन छोटा होता है. इसके कारण सर्द का मौसम भी रहता है. सूर्य पृथ्वी के उत्तरी गोलार्ध की ओर बढ़ना शुरू होता है. जिसके कारण ऋतु भी परिवर्तित होता है और यह कृषकों की फसलों के लिए बेहद ही फायदेमंद होता है.
खिचड़ी की पौराणिक कहानियाँ (Khichdi Story in Hindi)
- कथा 1
पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन भगवान सूर्य देव अपने पुत्र शनि से मिलने स्वयं उनके घर जाते हैं. चूँकि शनि मकर राशी के देवता हैं इसी कारन इसे मकर संक्रांति या खिचड़ी कहा जाता हैं.
- कथा 2
प्राचीन लोक कथाओं की मानें तो महाभारत युद्ध के योद्धा और कौरवों की सेना के सेनापति गंगापुत्र भीष्म पितामह को इच्छा मुत्यु का वरदान प्राप्त था. अर्जुन के बाण लगाने के बाद उन्होंने इस दिन की महत्ता को जानते हुए अपनी मृत्यु के लिए इस दिन का चयन किया था.
भीष्म जानते थे कि सूर्य दक्षिणायन होने पर व्यक्ति को मोक्ष प्राप्त नहीं होता और उसे इस मृत्युलोक में पुनः जन्म लेना पड़ता हैं. महाभारत युद्ध के बाद जब सूर्य उत्तरायण हुआ तभी भीष्म पितामह ने प्राण त्याग दिए. भीष्म के निर्वाण दिवस को भीष्माष्टमी भी कहते हैं.
- कथा 3
एक धार्मिक मान्यता के अनुसार सक्रांति के दिन ही माँ गंगा स्वर्ग के अवतरित होकर रजा भागीरथ के पीछे-पीछे कपिल मुनि के आश्रम से होती हुई गंगासागर तक पहुँची थी. धरती पर अवतरित होने के बाद राजा भागीरथ ने गंगा के पावन जल से अपने पूर्वजों का तर्पण किया था. इस दिन पर गंगा सागर पर नदी के किनारे भव्य मेले का आयोजन किया जाता हैं.
♦ लेटेस्ट जानकारी के लिए हम से जुड़े ♦ |
WhatsApp पर हमसे बात करें |
WhatsApp पर जुड़े |
TeleGram चैनल से जुड़े ➤ |
Google News पर जुड़े |
- कथा 3
माता यशोदा ने संतान प्राप्ति (श्रीकृष्ण) के लिए ही इसी दिन व्रत रखा था. इस दिन महिलाएं तिल, गुड आदि दूसरी महिलाओं को बाँटती हैं. ऐसा माना जाता हैं कि तिल की उत्पत्ति भगवान् विष्णु से हुई थी. इसलिये इसका प्रयोग पापों से मुक्त करता हैं. तिल के उपयोग से शरीर निरोगी रहता है और शरीर में गर्मी का संचार रहता हैं.
बिहार में खिचड़ी त्यौहार और संस्कृति (Khichdi 2022 in different parts of India)
भारतवर्ष में उपज का मौसम और खिचड़ी (Makar Sankranti 2022) का पर्व बेहद ही उलास और उत्साह के साथ मनाया जाता है. जैसा कि हम भली भाति जानते हैं कि भारतीय आबादी का एक बड़ा हिस्सा किसानों का है. इसलिए, देश के अन्य हिस्सों संक्रांति अलग-अलग तरीके से मनाई जाती हैं.
- थाई पोंगल/पोंगल (Thai Pongal)
तमिलनाडु में मनाया जाने वाला थाई पोंगल, भगवान इंद्र को श्रद्धांजलि देने के लिए चार दिनों के उत्सव के रुप में मनाया जाता है..यह दिन भगवान इंद्र को भरपूर बारिश के लिए आभार मानने का एक माध्यम है. इसलिए उपजाऊ भूमि और अच्छी उपज की कामना स्वरुप यह मनाई जाती हैं.
थाई पोंगल के दूसरे दिन, ताजा पका हुआ चावल दूध में उबाला जाता है और इसे भगवान सूर्य को प्रसाद स्वरुप अर्पित किया जाता है. तीसरे दिन, मट्टू पोंगल ‘बसवा’- भगवान शिव के बैल को घंटियों, फूलों की माला, माला और पेंट के साथ सजाकर पूजन किया जाता है. पोंगल के चौथे दिन, कन्नुम पोंगल मनाया जाता है जिसमें घर की सभी महिलाएँ एक साथ विभिन्न प्रकार के धार्मिक अनुष्ठान करती हैं.
- वैशाखी (Vaishakhi)
मकर संक्रांति को “बैसाखी” पर्व भी कहा जाता है, पंजाब में यह बहुत उल्लास के साथ मनाया जाने वाला एक फसल त्यौहार है. यह वसंत ऋतु के अनुरूप पंजाबी नववर्ष को भी चिह्नित करता है.इसी दिन, 13 अप्रैल 1699 को दसवें गुरु गोविंद सिंह ने खालसा पंथ की स्थापना की थी. सिख इस त्योहार को सामूहिक जन्मदिवस के रूप में मनाते हैं.
- उत्तरायण (Uttarayana)
गुजरात राज्य में मकर संक्रांति को उत्तरायण नाम से जाना जाता हैं. इस दिन पतंग उड़ाने, गुड़ और मूंगफली की चिक्की का दावत के रूप में लुफ्त उठाया जाता है. विशेष मसालों के साथ भुनी हुई सब्जी उत्तरायण के अवसर का मुख्य व्यंजन है.
- भोगली या माघ बिहू (Bhogali or Magh Bihu)
भोगली या माघ बिहू असम का एक सप्ताह लंबा फसल त्यौहार है. यह पर्व माह के 29 वें दिन से शुरू होता है, जो 13 जनवरी को पड़ता है और लगभग एक सप्ताह तक चलता है. इस त्यौहार पर लोग हरे बांस और घास के साथ बनी विशेष संरचना “मेजी” (एक प्रकार की अलाव(Bon Fire)) का निर्माण करते हैं और जलाते हैं.
इसे भी पढ़े :