रविन्द्रसिंह रघुवंशी / उज्जैन
मध्य प्रदेश के उज्जैन जिले के नागदा तहसील में 25 वर्ष से चला आ रहा महापुरुषों की प्रतिमा लगाने का विवाद बुधवार को थम गया। स्थानीय प्रशासन ने मंगलवार रात को एक महापुरुष महाराणा प्रताप की प्रतिमा स्थापित कर दी। जिससे संविधान निर्माता डॉ भीमराव अंबेडकर के अनुयायी व भीम सेना के कार्यकर्ता नाराज हो गए और प्रतिमा स्थल पुराने बस स्टेंड पर धरने पर बैठ गए।
सुबह 8 बजे एक-एक कर भीम सेना कार्यकर्ता आंदोलन स्थल पर पहुंचे और भीमराव की प्रतिमा भी लगाने की मांग करने लगे। आंदोलनकारियों का कहना था कि उसके आराध्य देव डॉ अंबेडकर की प्रतिमा पुराने बस स्टैंड के मध्य में ही आज ही लगाई जाए। इस दौरान प्रशासन ने कहा कि इस स्थान पर प्रतिमा नहीं लगाने का सुप्रीम कोर्ट का आदेश है।
इसलिए इस स्थान पर प्रतिमा नहीं लग सकती आपस में चर्चा कर अन्य स्थन तय कर लेते है, लेकिन आंदोलनकारी राजी नहीं हुए। बाद में सांसद प्रतिनिधि प्रकाश जैन ने आंदोलनकारियों से चर्चा कर उनको समझाया, जिसके बाद वे चर्चा के लिए राजी हुए। दोपहर 1 बजे आंदोलनकारियों के एक प्रतिनिधिमंडल, राजनेता व प्रशासन के अधिकारियों के बीच सर्किट हाउस पर चर्चा हुई।
इस चर्चा में डॉ अंबेडकर की प्रतिमा लगाने का स्थान पुराने बस स्टेंड पर यात्री प्रतिक्षालय के समीप तय हुआ। चर्चा में पूर्व विधायक दिलीपसिंह शेखावत, पूर्व नपा अध्यक्ष अशोक मालवीय, सांसद प्रतिनिधि जैन, एसडीएम आशुतोष गोस्वामी, तहसीलदार आरके गुहा, नपा सीएमओ भविष्य कुमार खोबग्रडे, थाना प्रभारी श्यामचंद्र शर्मा, भीम सेना के पुष्पेंद्र सोलंकी, अजय जाटवा, दुर्गेश चौहान , बंटी जटिया, गोपाल गुजरवाडिया, ओमप्रकाश परमार, सलमान शाह मौजूद थे।
इस बैठक के बाद प्रशासन व राजनेता पुराने बस स्टैंड पर पहुंचे और आंदोलनकारियों को स्थान बताया। जिसके बाद सब ने समर्थन दिया और उसी दौरान प्रतिमा लगाने के कार्य का भूमिपूजन भी कर दिया गया। इसके बाद प्रशासन ने राजा जन्मेजय की प्रतिमा लगाने के स्थान का भी भूमिपूजन कर दिया। भूमिपूजन पूर्व नपा अध्यक्ष मालवीय व सांसद प्रतिनिधि जैन ने किया।
पूर्व मुख्यमंत्री भी पहुंचे
आंदोलनकारियों का प्रतिनिमंडल जब सर्किट हाउस से चर्चा कर लौटा उसी दौरान उधर से गुजर रहे पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह व विधायक दिलीपसिंह गुर्जर भी धरना स्थल पर पहुंच गए। पूर्व मुख्यमंत्री ने उन से उनकी समस्या पूछी तो उनका कहना था कि हम चाहते है कि बस स्टैंड के मध्य में प्रतिमा लगाई जाए। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि मुझे एक माह का समय दे अगले 25 फरवरी तक में प्रतिमा लगवा दूंगा। इस पर आंदोलनकारी नाराज और कहा कि जो भी फैसला लेना है आज ही ले।
25 वर्ष से चला रहा था विवाद
शहर में दो महापुुरुष महाराणा प्रताप व संविधान निर्माता डॉ अंबेडकर कि प्रतिमा लगाने का विवाद गत 25 वर्ष से चला आ रहा है। इस विवाद की शुरुआत वर्ष 1997 में हुई थी। अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा व राणा प्रताप व दलित अधिकार मंच डाॅ अंबेडकर कि प्रतिमा लगाने की मांग पुराने बस स्टैंड के मध्य करने लगे। दोनों एक ही स्थान की मांग करने लगे।
इस दौरान नपा ने दोनों की प्रतिमा लगाने का प्रस्ताव भी पारित कर दिया। लेकिन प्रतिमा नहीं लग सकी। उसके बाद यह मामला कलेक्टर, मुख्यमंत्री व केंद्रीय स्तर तक पहुंचा। वर्ष 2018 में तात्कालीन नपा अध्यक्ष अशोक मालवीय व तात्कालीन विधायक दिलीपसिंह गुर्जर ने दो पक्षों से चर्चा कर अलग-अलग स्थान पर प्रतिमा लगाने को लेकर चर्चा की।
इस चर्चा में यह तय हुआ कि बायपास पर महिदपुर चौराहा पर राणा प्रताप व नपा कार्यालय के सामने डॉ अंबेडकर की प्रतिमा लगाई जाए। यह प्रस्ताव मई 2018 की नपा परिषद की बैठक में तय भी हो गया और नपा ने प्रतिमा भी खरीद ली। लेकिन एक स्थान नपा कार्यालय के समाने को लेकर मामला फिर अटक गया और यह मामला न्यायालय पहुंच गया।
न्यायालय ने उक्त स्थान पर प्रतिमा लगाने की रोक लगा दी। 26 जनवरी की रात को नपा ने बायपास चौराहा पर राणा प्रताप की प्रतिमा लगा दी। जिससे अंबेडकर के अनुयायी को लगा कि उसके आराध्य देव की प्रतिमा का मामला फिर नहीं अटक जाए, इसलिए वे धरने पर बैठ गए।
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