महत्वपूर्ण जानकारी
- सोमवती अमावस्या 2023
- सोमवार, 17 जुलाई 2023
- अमावस्या प्रारंभ : 16 जुलाई 2023 को रात 10:08 बजे
- अमावस्या समाप्त : 18 जुलाई 2023 को दोपहर 12:01 बजे
Story of Somvati Amavasya सावन माह चल रहा है. व्रत करने वाली महिलाएं सोमवती अमावस्या की कथा पढ़कर उसे पूरा करती है. क्या आप जानते है? सोमवती अमावस्या की वास्तविक कथा. प्रचलित परंपरा है कि, पहले सोमवती अमावस्या को धान, पान का पत्ता, हल्दी, सिंदूर व पूजा की सुपारी की भंवरी दी जाती है. पोस्ट के जरिए जानेंगे
Somvati Amavasya 2023 : सोमवती अमावस्या की प्राचीन कथा । Somvati Amavasya 2023 : कब है सोमवती अमावस्या 2023, जानें इस दिन क्या करेंजिसके बाद क्षमता अनुसार फल, मिष्ठान व सुहाग सामग्री की भंवरी दी जाती है.एक गरीब ब्राह्मण पत्नी के साथ गांव में रहता था. विवाह के कुछ दिनों बाद ब्राह्मण को पुत्री रत्न की प्राप्ति हुई. कन्या धीरे-धीरे किशोर अवस्था में पहुंची. (
Story of Somvati Amavasya) ब्राह्मण देव को बेटी की विवाह की चिंता सताने लगी. व्यवहार से सर्वगुण संपन्न कन्या के विवाह में लाख अड़चने थी.अनंत प्रसास करने के बाद भी बालिका विवाह नहीं हो रहा था. एक दिन गांव में एक साधु आए. ब्राह्मण के घर पहुंचे. कन्या ने साधु को जल दिया. ब्राह्मण कन्या के संतोषजनक व्यवहार से संन्यासी काफी प्रसन्न हुए.
उन्होंने कन्या को दीर्घआयु का आशीर्वाद दिया.
Story of Somvati Amavasya साथ ही यह भी कन्या की बेटी तुम्हारे हाथों में विवाह रेखा नहीं है. उपाय पूछे जाने पर साधू ने एक युक्ति बताई.साधू ने बताया कि, समीप के गांव में सोना नाम की एक धोबन महिला रहती है. संपन्न परिवार के बावजूद पति परायण (बीमार अवस्था) है. यदि सोना धोबन की सेवा तुम करो और उसने खुश होकर तुम्हारी मांग में उसका सिंदूर लगा दिया तो तुम्हारे विवाह वैधव्य अड़चनें समाप्त हो जाएगी.साधु की बताई युक्ति अनुसार कन्या प्रतिदिन भौंर में उठकर धोबन के घर जानें लगी. किसी के उठने के पूर्व ही ब्राह्मण कन्या सोना के घर का सारा काम कर अपने घर लौट आती.
Story of Somvati Amavasya एक दिन सोना धोबन ने अपनी बहु से पूछा कि, तुम इतनी जल्दी उठकर घर का सारा काम कैसे कर लेती हो?बहु ने जवाब दिया, नहीं मां जी मुझे लगा घर का सारा काम आप करती है. दोनों को कुछ समझ नहीं आया तो, उन्होंने रात जागकर घर की निगरानी की. रोजाना की तरह ब्राह्मण कन्या धोबन के घर पहुंची और घर का काम करने लगी.काम पूरा होने के बाद धोबन कन्या के पैरों में गिर गई. सोना ने पूछा आप कौन है? और मेरे घर का काम नि:स्वार्थ भाव से क्यों कर रही हो…..
Story of Somvati Amavasya कन्या ने साधु द्वारा बताई गई पूरी बात सोना धोबन को बता दी. धोबन कन्या की मांग में उसके सुहाग का सिंदूर डालने के लिए राजी हो गई.कन्या ने खुश होकर धोबन को मिष्ठान भेंट किया. अब हुआ यूं कि, धोबन ने कन्या की मांग में जैसे ही सिंदूर लगाया उसके पति की मृत्यु हो गई. धोबन को पति की मौत के बारे में पता चला. और वह घर से बिना पानी पीए निकल गई.धोबन ने कसम खाई कि, उसे कही भी रास्ते में पीपल का पेड़ मिलेगा तो वह उसकी भंवरी देकर ही पानी पीएगी. धोबन के पति की मौत जिस दिन हुई थी,उस दिन संयोग से सोमवती अमावस्या का दिन था.
Story of Somvati Amavasya धोबन ने ब्राह्मण कन्या द्वारा दिए हुए मिष्ठान की बजाए ईट के टुकडों से 108 बार भंवरी देकर पीपल के पेड़ की परिक्रमा की.परिक्रमा पूरा करते ही धोबन का पति दोबारा जीवित हो उठा. कहानी का सार यह है कि, सोमवती अमावस्या के दिन जो दिन भी पीपल के पेड़ की भंवरी देता है उसके घर में सुख समृद्धि आती है. अखंड सौभाग्य प्राप्त होता है.