संकटनाशन गणेश स्तोत्र – प्रणम्य शिरसा देव गौरीपुत्रं विनायकम | Shri Sankat Nashan Ganesh Stotra
प्रथम पूज्य गणेश जी को हिंदू धर्म में विशेष महत्व दिया गया है। भगवान शिव के पुत्र श्री गणेश की वंदना किसी भी कार्य को शुरू किए जाने से पूर्व किया जाता है। ताकि वह कार्य बिना किसी विघ्ग्न बाधा के संपन्न हो सके। हिंदू धर्म के पौराणिक ग्रंथ नारद पुराण से उद्धरित श्री गणेश का लोकप्रिय संकटनाशन स्तोत्र, मुनि श्रेष्ठ श्री नारद जी द्वारा कहा गया है। इस चमत्कारी स्तोत्र के पाठ से इंसान के जीवन के आए सभी प्रकार के कष्टों का नाश हो जाता है। मानव जीवन खुशहाल हो जाता है। पूरे विश्व में इस स्तोत्र को श्री संकटनाशन स्तोत्र अथवा सङ्कटनाशन गणपति स्तोत्र के नाम से भी जाना जाता है।
संकटनाशन गणेश स्तोत्र – प्रणम्य शिरसा देव गौरीपुत्रं विनायकम
॥ श्री गणेशायनमः ॥
नारद उवाच –
प्रणम्यं शिरसा देव गौरीपुत्रं विनायकम ।
भक्तावासं: स्मरैनित्यंमायु:कामार्थसिद्धये ॥1॥
प्रथमं वक्रतुंडंच एकदंतं द्वितीयकम ।
तृतीयं कृष्णं पिङा्क्षं गजवक्त्रं चतुर्थकम ॥2॥
लम्बोदरं पंचमं च षष्ठं विकटमेव च ।
सप्तमं विघ्नराजेन्द्रं धूम्रवर्ण तथाष्टकम् ॥3॥
नवमं भालचन्द्रं च दशमं तु विनायकम ।
एकादशं गणपतिं द्वादशं तु गजाननम ॥4॥
द्वादशैतानि नामानि त्रिसंध्य य: पठेन्नर: ।
न च विघ्नभयं तस्य सर्वासिद्धिकरं प्रभो ॥5॥
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विद्यार्थी लभते विद्यां धनार्थी लभते धनम् ।
पुत्रार्थी लभते पुत्रान् मोक्षार्थी लभते गतिम् ॥6॥
जपेद्वगणपतिस्तोत्रं षड्भिर्मासै: फलं लभेत् ।
संवत्सरेण सिद्धिं च लभते नात्र संशय: ॥7॥
अष्टभ्यो ब्राह्मणेभ्यश्च लिखित्वां य: समर्पयेत ।
तस्य विद्या भवेत्सर्वा गणेशस्य प्रसादत: ॥8॥
॥ इति श्रीनारदपुराणे संकष्टनाशनं गणेशस्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥
Shri Sankat Nashan Ganesh Stotra
Pranamya shirasa devam Gauri putram Vinayakam |
Bhakthavasam smaretrityamayuh kama artha sidhaye ||1||
Prathamam Vakratundam cha, Ekadantam dwitiyakam |
Tritiyam Krushna Pingaksham,Gajavaktram Chaturthakam ||2||
Lambodaram Panchamam cha ,Sashtam Vikatamev cha |
Saptamam Vignarajam cha,Dhoomravarnam tathashtamam ||3||
Navamam Bhalchandram cha, Dashamam tu Vinayakam |
Ekadasham Ganapatim, Dwadasham tu Gajananam ||4||
Dwadasaithani namani,Trisandhyam yah pathenara|
Na cha vighna bhayam tasya,Sarvsiddhi karam param ||5||
Vidhyarthi labhate Vidhyam,Danarthi labhate Dhanam |
Putrarthi labhate Putran,Moksharthi labhate Gateem ||6||
Japet Ganapati stotram,Shadbhirmasai phalam labheth |
Samvatsarena sidhim cha,Labhate natra sanshaya ||7||
Ashtabhyo Brahmoyashr Likihitwa yh samarpayet |
Tasya Vidhya bhavetsarva Ganeshasya Prasadatah ||8||
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