साल 2022 में पवित्र माह सावन की शुरुआत 16 जुलाई 2022 शनिवार से हो रही है, जिसके बाद 18 जुलाई 2022, सोमवार को सावन का पहला सोमवार होगा और 08 अगस्त सोमवार को रक्षाबंधन के दिन सावन माह का समापन होगा और समाप्ति के बाद भाद्रपद्र माह की शुरुआत हो जाएगी.
खास बात यह है कि, सावन की शुरुआत रविवार से और सावन खत्म भी रविवार को ही होगा, जिसमें कुल 4 सोमवार होंगे. पहला सोमवार 18 जुलाई, दूसरा सोमवार 25 जुलाई, तीसरा सोमवार 01 अगस्त और चौथा सोमवार 08 अगस्त को होगा. इस रिपोर्ट में हम पढ़ेंगे की सावन 2022 वाले सोमवार के व्रत में हमे क्या-क्या सावधानियाँ बरतनी चाहिए और इसकी व्रत विधि (Sawan 2022 Somvar Vrat Vidhi in Hindi) क्या है.
सावन सोमवार 2022 के व्रत के दिन की सावधानियाँ
हिंदू धर्म के कोई भी व्रत हो हमें सावधानी पूर्वक करना चाहिए और यदि हम बात करें शिव जी के सावन के व्रतों की तो नीचे दी गयी सावधानियाँ हमे जरूर बरतनी चाहिए-
- सावन सोमवार के व्रत वाले दिन अगर कोई व्यक्ति व्रत नहीं भी रखता है तो उसे भी उस दिन अपने मन में बुरे विचार नहीं लाने चाहिए, ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए और अनैतिक कार्य करने से सदैव बचना चाहिए.
- इस सुबह जल्दी उठकर भगवान शिव का ध्यान करना चाहिए.
- सावन में भगवान शिव की पूजा में धतूरे व बेल पत्थर का बड़ा ही महत्त्व है, इसलिए इन दोनों को हमे अपनी पूजा में शामिल करना चाहिए.
- सावन के महीने में बैगन खाने से बचे कारण हिंदू शास्त्रों में बैगन को अशुद्ध बताया गया है.
- सावन में मास मदिरा का सेवन गलती से भी नहीं करे और इनसे दूर रहे.
- सावन हरियाली का मौसम हो और इस मौसम में पेड़ पौधों को काटने से बचाये और खुद भी ना काटे.
सावन सोमवार 2022 की व्रत विधि हिंदी में – Sawan Somvar 2022 Vrat Vidhi in Hindi
सावन सोमवार का व्रत शाम तक रखा जाता है और व्रत के दिन तीसरा प्रहार खत्म होने के बाद ही भोजन करें. सावन सोमवार 2022 के व्रत में नीचे दी विधि (Sawan Somvar 2022 Vrat Vidhi in Hindi) के अनुसार व्रत को पूर्ण करें.
- व्रत के दिन प्रातः जल्दी उठे और नित्य क्रम करने के बाद व्रत का संकल्प लें.
- यदि हो सके तो शिव मंदिर जरूर जाएं और वहाँ जाकर शिव का विधि विधान के साथ पूजन करे अन्यथा घर पर ही शिव जी की पूजा करें.
- शिव जी की पूजा में गंगाजल, बेलपत्थर, सुपारी पुष्प, धतूरा इत्यादि का प्रयोग करे और भोलेनाथ की कथा भी पढ़े.
- शिव जी पे जल या दूध चढ़ाने के साथ साथ नंदी और पार्वती जी को भी दूध या गंगाजल चढ़ाये.
- प्रसाद के रूप में अपनी इच्छा अनुसार या फिर घी शक्कर का भोग लगाए.
- धुप दीप से गणेश जी की आरती करें.
- अंत में भगवान शिव की आरती करें और प्रसादी का वितरण करें.
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