संस्कृत के प्रसिद्ध श्लोक और उनका हिंदी व अंग्रेजी अर्थ | Sanskrit Shlok in Hindi and English

संस्कृत के 5 प्रसिद्ध श्लोक और उनका हिंदी व अंग्रेजी अर्थ । Sanskrit Shlok in Hindi and English

ऋषि मुनियों की भूमि रही भारत देश में संस्कृत को सभी भाषा का जनक माना जाता है. हमारी प्राचीन भारतीय संस्कृति में कई सारे महान ग्रन्थ लिखे गए हैं जिन्हें बहुत से सुन्दर श्लोकों द्वारा अलंकृत किया गया है. चलिए आज हम लेख के जरिए आपको बताने जा रहे हैं कुछ महत्पूर्ण संस्कृत श्लोक उनके हिंदी और अंग्रेजी अर्थ के साथ.

श्लोक-1 (Sanskrit Shloka from Bhagavad Gita)

विशेष : यह श्लोक श्रीमद्भाग्वत गीता के अध्याय 4 से लिया गया है. यह जीवन के सार और सत्यता को दर्शाता है. महाभारत के युद्ध के दौरान श्री कृष्ण जी अर्जुन को संबोधित करते हुए कह रहे हैं –

  • संस्कृत श्लोक :

यदा यदा ही धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत I
अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानम सृज्याहम II

  • हिंदी में अर्थ :

“हे भारत! जब-जब धर्म की हानि और अधर्म की वृद्धि होती है, तब-तब ही मैं अपने स्वरूप को रचता हूँ मतलब साकार रूप से लोगों के सम्मुख प्रकट होता हूँ”.

  • अंग्रेजी में अर्थ

Whenever, O Bharat, righteousness (dharm) declines and unrighteousness is rampant, I manifest myself.

श्लोक-2 (Sanskrit Shlok 2)

यह श्लोक भगवन शिव जी और माता पार्वती जी को समर्पित है. यह श्लोक यजुर्वेद में है. किसी भी पूजा की समाप्ति पर इस श्लोक को गाया जाता है.

  • संस्कृत श्लोक :

कर्पूरगौरं करुणावतारं
संसारसारम् भुजगेन्द्रहारम् .
सदावसन्तं हृदयारविन्दे
भवं भवानीसहितं नमामि ॥

  • हिंदी में अर्थ :

इसका अर्थ है कि, जिनका शरीर कपूर की तरह गोरा है, जो करुणा के अवतार हैं, जो शिव संसार के सार (मूल) हैं और जो महादेव सर्पराज को गले के हार के रूप में धारण करते हैं, ठीक इसी प्रकार हमेशा प्रसन्न रहने वाले भगवान शिव को अपने ह्रदय कमल में शिव और पार्वती के साथ नमस्कार करता हूँ .

  • अंग्रेजी में अर्थ

Pure White like Camphor, an Incarnation of Compassion, The Essence of Worldly Existence, Whose Garland is the King of Serpents, Always Dwelling inside the Lotus of the Heart. I Bow to Shiva and Shakti Together.

श्लोक-3 (Sanskrit Shlok 3)

यह श्लोक पूजा के उपरान्त गाया जाता है, इस श्लोक में बताया गया है कि सब चीज़ों में ईश्वर की उपस्थिति है.

संस्कृत श्लोक :

त्वमेव माता च पिता त्वमेव .
त्वमेव बन्धुश्च सखा त्वमेव .
त्वमेव विद्या द्रविणम् त्वमेव .
त्वमेव सर्वम् मम देव देव ॥

  • हिंदी में अर्थ :

हे ईश्वर तुम ही मेरी माता हो और तुम ही मेरे पिता हो, तुम ही मेरे भाई हो और तुम ही मेरे परम मित्र हो. तुम ही विद्या हो, तुम ही धन हो, हे देवों के देव! तुम ही, मेरे सब कुछ हो.

  • अंग्रेजी में अर्थ

You Truly are my Mother And You Truly are my Father.
You Truly are my Relative And You Truly are my Friend.
You Truly are my Knowledge and You Truly are my Wealth.
You Truly are my All, My God of Gods.

श्लोक-4

इस श्लोक के माध्यम से सभी लोगों के जीवन के लिए मंगल कामना की प्रार्थना की जा रही है. यह श्लोक वृहदारण्यक उपनिषद् से लिया गया है.

  • संस्कृत श्लोक :

सर्वे भवन्तु सुखिनः, सर्वे सन्तु निरामयाः.
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु, मा कश्चिद् दुःख भाग भवेत्॥

  • हिंदी में अर्थ :

सभी प्राणी सुखी हों, निरोगी हों, रोगों से मुक्त हों. सभी प्राणी कल्याण को देखें, यानी सभी का कल्याण हो और कोई भी प्राणी दु:खी ना रहे.

  • अंग्रेजी में अर्थ

May all become happy,
May none fall ill.
May all see auspiciousness everywhere,
May none ever feel sorrow.

श्लोक-5

यह श्लोक यजुर्वेद से लिया गया है, ऐसा माना जाता है कि इस श्लोक को बोलने व समझने से ईश्वर की प्राप्ति होती है.

संस्कृत श्लोक :

ॐ भूर्भुवः स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं, भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात् ॥

  • हिंदी में अर्थ :

हम ईश्वर की महिमा का ध्यान करते हैं, जिसने इस संसार को उत्पन्न किया है, जो पूजनीय है, जो ज्ञान का भंडार है, जो पापों तथा अज्ञान को दूर करने वाला है, वह हमें प्रकाश दिखाए और हमें सत्य पथ पर ले जाए.

  • अंग्रेजी में अर्थ

We meditate on the glory of the Creator;
Who has created the Universe;
Who is worthy of Worship;
Who is the embodiment of Knowledge and Light;
Who is the remover of all Sin and Ignorance;
May He enlighten our Intellect.

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