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Nag Panchami 2023: नाग पंचमी जानिए इसकी तारीख शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Nag Panchami 2023: नाग पंचमी जानिए इसकी तारीख शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

नागपंचमी या भैया पंचमी महत्व, कथा, व्रत पूजा विधि ( Nag Panchami Vrat, katha puja vidhi, Mahtav in hindi)

नाग पंचमी का त्यौहार सांपों की उपासना किए जाने का त्यौहार है. भारत, नेपाल और अन्य देशों में जहाँ हिन्दू धर्म को मानने वाले रहते हैं वे सभी इस दिन पारंपरिक रूप से नाग देवता की पूजन कर उनसे आर्शिवाद की इच्छा रखते है. इस दिन नाग देवता का दर्शन करना बेहद ही शुभ माना जाता है. पंचमी के पीछे कुछ धार्मिक पौराणिक कथाएं भी छिपी हुई है. यहाँ नागपंचमी महत्व, पौराणिक कथा एवं व्रत पूजा विधि के बारे में सभी जानकारी एकत्र की गई हैं, जिसे पढ़कर आप नाग पंचमी के बारे में जानकर पूजा करेंगे तो आपके जीवन में निश्चित रुप से खुशहाली आएगी. आइए लेख को पूरा पढ़ते हैं.

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नागपंचमी भैया पंचमी महत्व, कथा व्रत पूजा विधी Nag Panchami Vrat katha puja vidhi Mahtav in hindi

Important information

  • Nag Panchami 2023
  • Monday, 21 August 2023
  • Start Panchami Date – August 21, 2023 at 05:14 AM
  • End Panchami Date – August 22, 2023 at 05:42 AM

नाग पंचमी महत्त्व  (Nag Panchami Mahatv)

नाग पंचमी का त्यौहार सावन माह में मनाया जाता हैं. श्रावण माह में शुक्ल पक्ष की पंचमी को नाग देवता की पूजा की जाती हैं. लेकिन भ्रांतिवश भारतवर्ष के कुछ प्रांतों में  नाग पंचमी श्रावण माह की कृष्ण पक्ष की पंचमी को भी मनाई जाती है, और कुछ जगह पर जैसे- गुजरात में कृष्ण जन्माष्टमी के 3 दिन पूर्व और बहुला चौथ व्रत के अगले दिन नाग पंचमी का त्यौहार मनाया जाता है. इस तरह से नाग पंचमी का त्यौहार का महत्व अलग–अलग प्रांतों के लोग अपनी स्थानीय मान्यताओं के अनुसार मनाते हैं. इस दिन नाग देवता के दर्शन करना ज्योतिष शास्त्र में शुभ माना जाता है.

नाग पंचमी का त्यौहार मनाने का तरीका (Nag Panchami Celebrations)

हिंदू धर्म की पौराणिक मान्यता के अनुसार इस दिन नाग यानि सर्प को दूध पिलाया जाता हैं. ग्रामीण क्षेत्रों में नाग पंचमी के दिन मेला सजता हैं जिसमें झूले लगते हैं. पहलवानी का खेल कुश्ती भी नाग पंचमी की एक विशेषता हैं. कई स्थानों पर नाग पंचमी के दिन विवाहित बेटियों को मायके में बुला लिया जाता है. जिसके बाद परिवार को भोजन करवा कर दान दिया जाता हैं. साथ ही खेत के मालिक अन्य पशुओं जैसे बैल, गाय भैस आदि की भी पूजा करते हैं. साथ ही फसलों का भी पूजन किया जाता है. बिहार राज्य में नाग पंचमी के दिन दूध और लावा (धान का प्रसाद ) चढ़ाया जाता है. इस दिन महिलाएं गोबर में सरसों डालकर घर की बाहरी दीवारों पर नाग की आकृति बनाती है. बिहारी लोगों की लोक मान्यता है कि, सांप की आकृति बनाने से घर में जहरीले जंतु प्रवेश नहीं करते है.

नाग पंचमी पूजा विधि (Naag Panchami Puja Vidhi)

नाग पंचमी की पूजा का नियम भारत के भिन्न-भिन्न प्रांतों में अलग होता हैं, कई तरह की मान्यता होती हैं. एक तरह की नाग पंचमी पूजा विधि यहाँ दी गई हैं.

  • सबसे पहले आप सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान करें. जिसके बाद साफ-सुथरे पहने.
  • भोजन में सभी के अलग नियम होते हैं, एवं उन्ही के अनुसार भोग लगाया जाता हैं. इस दिन मध्य प्रदेश के घरों में दाल बाटी बनती हैं. कई लोगों के यहाँ खीर पुड़ी बनती हैं. कईयों के यहाँ चावल बनाना अशुभ माना जाता हैं. कई परिवार इस दिन चूल्हा नहीं जलाते अतः उनके घर बासी खाने का नियम होता हैं. इस तरह सभी अपने हिसाब से भोग तैयार करते हैं. इस दिन चाकू चलाना अशुभ माना जाता है.
  • इस दिन पूजा के लिए घर की एक दीवार पर गेरू, जोकि एक विशेष पत्थर है से लेप कर यह हिस्सा शुद्ध किया जाता हैं. यह दीवार कई लोगों के घर की प्रवेश द्वार होती हैं तो कई के रसोई घर की दीवार. इस छोटे से भाग पर कोयले एवं घी से बने काजल की तरह के लेप से एक चौकोर डिब्बा बनाया जाता हैं. इस डिब्बे के अन्दर छोटे छोटे सर्प बनाये जाते हैं. इस तरह की आकृति बनाकर उसकी पूजा की जाती हैं.
  • आधुनिक युग को महत्व देने वाले कई परिवारों में यह सर्प की आकृति कागज पर बनाई जाती हैं.
  • कई परिवार घर के द्वार पर चन्दन से सर्प की आकृति बनाते हैं, एवं पूजा करते हैं.
  • इस पूजा के बाद घरों में सपेरे को लाया जाता हैं जिनके पास टोकनी में सर्प होता हैं, जिसके दांत नहीं होते साथ ही इनका जहर निकाल दिया जाता हैं. उनकी पूजा की जाती हैं. उन्हें अक्षत, पुष्प, कुमकुम चढ़ाकर दूध एवं भोजन का भोग लगाया जाता हैं.
  • इस दिन सर्प को दूध पिलाने की प्रथा हैं. साथ ही सपेरे को दान दिया जाता हैं.
  • कई लोग इस दिन कीमत देकर सर्प को सपेरे के बंधन से मुक्त भी कराते हैं.
  • इस दिन बाम्बी के भी दर्शन किये जाते हैं. बाम्बी सर्प के रहने का स्थान होता हैं. जो मिट्टी से बना होता हैं, उसमे छोटे- छोटे छिद्र होते हैं. यह एक टीले के समान दिखाई देता हैं.

इस प्रकार नाग पंचमी की पूजा की जाती हैं. फिर सभी परिवारजनों के साथ मिलकर भोजन करते हैं.

नाग पंचमी पर पौराणिक कथा : क्यूँ पड़ा नाग पंचमी का नाम भैया पंचमी  (Nag Panchami Bhaiya Panchami story)

भारत में एक बहुत ही प्रसिद्ध और प्राचीन कहानी प्रचलित है. जिसमें उल्लेख है कि, किसी नगर में एक सेठ रहता था. जिसके चार बेटे थे. सभी का विवाह हो चूका था. तीन पुत्र की पत्नियों का मायका बहुत सम्पन्न था. उसे रुपयों की कोई कमी ना थी, लेकिन चौथी के परिवार में कोई नहीं था, उसका विवाह किसी रिश्तेदार ने किया था. अन्य तीन बहुए अपने घरों से कई उपहार लाती थी और छोटी बहु को ताने मारती थी. लेकिन छोटी बहु स्वाभाव से बहुत अच्छी थी उस पर इन बातों का प्रभाव नहीं पड़ता था

एक दिन बड़ी बहु से सभी बहुओं को साथ चल कर कुछ पौधे लगाने को कहा गया. जिसके बाद सभी महिलाएं एक साथ संगठित होकर गई और बड़ी बहु ने खुरपी से गड्डा करने के लिए जैसे ही खुरपी को उठाया. उस वक्त वहां एक सांप आ गया उसने उसे मारने की सोची, लेकिन छोटी बहु ने उसे रोक दिया कहा -दीदी यह बेजुबान जानवर हैं इसे ना मारे. तब सर्प की जान बच गई. कुछ वक्त बाद सर्प छोटी बहु के स्वपन में आया और उसने उससे कहा तुमने मेरी जान बचाई, इसलिए तुम जो चाहों मांग लो तब छोटी बहु ने सांप को उसका भाई बनने को कहा. सर्प ने छोटी बहु को अपनी बहन स्वीकार किया.

कुछ दिनों बाद सारी बहुयें अपने- अपने मायके गई और वापस आकर छोटी बहु को ताना मारने लगी. तभी छोटी बहु को उस स्वपन का ख्याल आया और उसने मन ही मन सर्प को याद किया.

जिसके बाद एक दिन वह सांप मानव रूप धर के छोटी बहु के घर आया और उसने सभी को यकीन दिलाया कि वो छोटी बहु का दूर का भाई हैं, और उसे अपने साथ मायके ले जाने के लिए आया. परिवार ने सदस्यों ने उसे जाने से नहीं रोका. घर से निकलने के बाद रास्ते में सांप ने छोटी बहु को अपनी असलियत बताई, और उसे शान से घर लेकर गया. जहाँ का जीवन बहुत अमीरों की तरह था. पूरा घर धन धान्य से भरा था. सांप ने अपनी बहन को बहुत सा धन, जेवर देकर मायके भेजा. जिसे देख बड़ी बहु जल गई और उसने छोटी बहु के पति को भड़काया और कहा कि छोटी बहु चरित्रहीन हैं. इस पर पति ने छोटी बहु को घर से निकालने का निर्णय लिया. तब छोटी बहु ने अपने भाई सर्प को याद किया. सर्प उसी वक्त उसके घर आया और उसने सभी को कहा कि अगर किसी ने मेरी बहन पर आरोप लगाया तो वो सभी को डस लेगा. इससे वास्तविक्ता सामने आई और इस प्रकार भाई ने अपना फर्ज निभाया. तब ही से सर्प की पूजा सावन की शुक्ल पंचमी के दिन की जाती हैं. लडकियाँ सर्प को अपना भाई मानकर पूजा करती हैं. धन्य धान की पूर्ति हेतु भी सर्प की पूजा की जाती हैं.

नाग पंचमी व्रत विधान (Nag Panchami Vrat)

नाग पंचमी सावन की शुक्ल पंचमी को मनाई जाती हैं, उस समय कई लोग सावन के व्रत करते हैं. जिसमें कई लोग धन धान्य की ईच्छा से नाग पंचमी का व्रत करते हैं. इस दिन नाग देवता के मंदिर में श्री फल चढ़ाया जाता हैं.

‘ॐ कुरुकुल्ये हुं फट् स्वाहा’ श्लोक का उच्चारण कर सर्प का जहर उतारा जाता हैं, और सर्प के प्रकोप से बचने के लिए नाग पंचमी की पूजा की जाती हैं.

नाग पंचमी पूजन मंत्र

सर्वे नागाः प्रीयन्तां मे ये केचीत पृथ्वीतले।

ये च हेलिमरीचिस्था येन्तरे दिवि संस्थिताः॥

ये नदीषु महानागा ये सरस्वतीगामिनः।

ये च वापीतड़गेषु तेषु सर्वेषु वै नमः॥

Nag Panchami Hindi Shayari Whatsapp Funny Images 

देवादिपति महादेव का हैं आभूषण
श्री विष्णु भगवान का हैं शेष नाग सिहांसन
अपने फन पर जिसने पृथ्वी उठाई
ऐसे नाग देवता को मेरा वंदन

जंगल के नाग,खेतो और झाड़ियो के नाग
शहरी नागो तथा,गावो के नागो समेत
देश में छुपे आस्तीन के विषैले नागो को भी
नागपंचमी की शुभकामना

सावन के महीने में नाग पंचमी का त्यौहार हैं,
भगवान् शिव के गले में सापों का हार हैं,
जो पिलाए दूध सच्चे दिल से सापों को,
उसका बेड़ा पार हैं.
नागपंचमी पर ढेर सारी शुभकामनाएँ

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हर-हर हो महादेव शिव का
हर पल नाम तुम्हारा जपें
नाग-पंचमी का आया त्यौहार
शिव को करते हम नमन बारम्बार
शिव बाबा करें बेड़ा पार
हैप्पी नाग पंचमी

भगवान शिव सावन की पावन,
मास में आप लोगों के पूरे,
परिवार की रक्षा करें.
नाग पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएँ

दोस्तों नागपंचमी का त्यौहार हमें यह सीख देता हैं कि, हमारे भारत देश में सभी जीव जंतु को सम्मान दिया जाता हैं क्यूंकि प्रकृति के संतुलन के लिए सभी उत्तरदायी हैं. किसी एक की भी कमी से यह संतुलन बिगड़ जाता हैं.
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KAMLESH VERMA

दैनिक भास्कर और पत्रिका जैसे राष्ट्रीय अखबार में बतौर रिपोर्टर सात वर्ष का अनुभव रखने वाले कमलेश वर्मा बिहार से ताल्लुक रखते हैं. बातें करने और लिखने के शौक़ीन कमलेश ने विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन से अपना ग्रेजुएशन और दिल्ली विश्वविद्यालय से मास्टर्स किया है. कमलेश वर्तमान में साऊदी अरब से लौटे हैं। खाड़ी देश से संबंधित मदद के लिए इनसे संपर्क किया जा सकता हैं।

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