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गाज माता व्रत 2022 कथा एवं पूजन विधि | Gaaj Mata Ka Vrat Katha & Puja Vidhi

गाज माता व्रत 2022 कथा एवं पूजन विधि | Gaaj Mata Ka Vrat Katha & Puja Vidhi: वर्ष 2022 में महिलाओं द्वारा 28 अगस्त 2022, रविवार को गाज माँ का व्रत रखा जाएगा. सनातन धर्म के पौराणिक कैलेंडर के अनुसार भाद्रपद माह के शुभ दिन किया जाता हैं. गाज व्रत के दिन गाज माता का व्रत रखकर उनकी पूजन किया जाता हैं, व्रत किए जाने का उद्देश्य पुत्र एवं अकुत धन दौलत प्राप्त करना होता हैं.

गाज माता व्रत 2022 कथा एवं पूजन विधि

दोस्तों आपकों बता दें कि, गाज का अर्थ- वज्र, बिजली (जैसे—गाज गिरना), फेन, झाग, काँच की चूड़ी भी होता हैं. लेकिन इस व्रत को करने के पीछे गाज माता की एक पौराणिक कथा जुड़ी हुई हैं, जो हमारे द्वारा विस्तृत रूप में नीचे दी जा रही हैं.

गाज व्रत की पूजन विधि (Gaaj Mata Vrat Puja Vidhi In Hindi)

यह व्रत भाद्रपद के महीने में किया जाता हैं. यदि किसी विवाहिता के यहां पर पुत्र का जन्म हुआ हो या लड़के की विवाह हुआ हो तो उसी साल भाद्रपद के महीने के किसी शुभ दिन को देखकर गाज का व्रत तथा उजमन किया जाता हैं.

सात जगह चार पुड़ी, थोड़ा थोड़ा सीरा रखकर उस पर एक रुपया व कपड़ा रख लेवे. एक जल के लोटे पर सातिया बनाकर 7 गेहूं के दाने हाथ में लेकर गाज की कहानी सुने.

जिसके बाद कपड़े पर दक्षिणा रखकर सीरा पूरी हाथ फेरकर सासुजी को पाय लगकर देवे. फिर सूर्य भगवान को लोटे से अर्ध्य देकर सात ब्राह्मणी सहित स्वयं भोजन कर लेवे. भोजन करने के बाद उन ब्रह्मनियों के टीका कर दक्षिणा दे देवे.

gaaj mata

When is Gaaj Mata ki Puja in 2022

इस साल 28 अगस्त 2022, रविवार को गाज माता का व्रत रखा जाएगा. गाज माता की पूजा में एक लोटा, गेहूँ के दाने, पूड़ी, हलवा आदि भोज्य पदार्थों का भोग लगाया जाता हैं. इस व्रत के दिन किसी प्रकार का राजकीय अवकाश नही होता हैं.

गाज माता व्रत करने का तरीका (Gaaj Mata ka Vrat Kaise Kare)

  • हिंदू कैलेंडर के भादों माह के किसी शुभ दिन में पुत्रवती स्त्री द्वारा गाज माता का व्रत करना चाहिए. व्रत विधि के अनुसार पूजा में मिट्टी के भील तथा भीलनी की मूर्ति जरूर बनाना चाहिए. साथ ही उस पर टोकरियाँ भी बनानी चाहिए.
  • भील भीलनी के अतिरिक्त एक बच्चे की मूर्ति भी बनानी चाहिए.
  • इस व्रत को रखने वाले स्त्री पुरुष को अपने लोक देवता अथवा कुल देवता की पूजा कर उन्हें अधपकी रसोई का भोग लगाकर इसे समस्त बन्धुजनों में वितरित किया जाता हैं.
  • परिवार की सबसे बुजुर्ग महिला द्वारा घर की दीवार पर गाज का बीज अंकित कर उस पर नव विवाहित अथवा नवजात शिशु को बैठा हुआ चित्रित किया जाता हैं.
  • उस लड़के पर पेड़ को गिरते हुए तथा गाज बीज द्वारा उसकी रक्षा करते हुए दिखाया जाता हैं, यही गाज बीज का पूजन तरीका हैं.

गाज माता की कथा इन हिंदी (Gaaj Mata Ka Vrat Katha)

प्राचीन समय की बात हैं कि, एक राज्य में एक राजा एवं रानी निवास करते थे. उनके पास सभी सुख सुविधा के साधन होने के बावजूद सन्तान न होने के कारण व्यतीत रहते थे. किसी विद्वान के कहने पर रानी ने गाज माता से प्रार्थना की. हे गाज माता, किसी तरह मेरा गर्भ ठहर जाए तो मैं तेरा श्रृंगार करुगी.

माँ की कृपा से ऐसा ही हुआ, रानी का गर्भ ठहर गया मगर वह गाज माता का श्रृंगार करना भूल गई. इससे गाज माँ कोपित हो गई तथा रानी को याद दिलाने के लिए बड़ी जोर की आधी एवं तूफ़ान आया, जिससे पालने में सो रहा राजकुमार पालने सहित उड़कर एक भील के घर आ गया.

संयोगवश उस भील के पास न तो धन था और न ही उनके सन्तान थी. जंगल से घास काटकर लाना तथा उनकी बिक्री करना ही भील भीलनी की दिनचर्या थी. जब उस दिन भील जंगल से घास काटकर घर पहुचा तो पालने में लड़का देखकर बेहद खुश हुआ तथा उसका लालन पोषण ठीक तरीके से करने लगा.

राजा के राज्य में एक धोबी था जो राजा तथा भील दोनों के वस्त्रों की धुलाई किया करता था. जब वह राजा के कपड़े लेने राजमहल पहुचा तो वहां हो हल्ला मच चूका था. उसने किसी से शोरगुल का कारण पूछा तो पता चला, राजकुमार को गाज माता उड़ाकर ले गई हैं. तभी धोबी तपाक से बोल पड़ा राजन आपका पुत्र भील के घर पालने में सो रहा हैं.

तब राजा ने अपने आदमियों को उस भील को लाने के लीया भेजा. राजा ने भील से अपने राजकुमार के उसके घर पहुचने का कारण पूछा तो भील बोला- महाराज में गाज माता का व्रत रखता हूँ उन्ही की कृपा से मुझे यह सन्तान मिली हैं.

तभी रानी ने राजा को अपनी पुरानी बात याद दिलाई, हमने पुत्र प्राप्ति के लिए गाज माता के श्रृंगार का संकल्प किया था. हमें पुत्र रत्न की प्राप्ति के बाद इसे करने में भूल हो गई थी. इस कारण हमारा बेटा भील के घर चला गया.

रानी ने गाज माता से पुनः विनती की, हे माँ मैंने जितने श्रृंगार करने का कहा तो मैं वो सभी करुगी. हमें अपना पुत्र वापिस ला दीजिए. इस तरह गाज माता की कृपा से उस राजा तथा भील दोनों को पुत्र मिला. गाज माता का व्रत रखकर कथा सुनने से सभी को राजा तथा भील की तरह पुत्र तथा धन की प्राप्ति होती हैं.

गाज माता का उद्यापन विधि (Gaaj Mata ka Udyapan Vidhi)

मान्यता के अनुसार भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की चौदश (चतुर्दशी) तिथि को गाज माता का उद्यापन किया जाता हैं. बच्चें के जन्म अथवा लड़के की शादी होने पर उनकी माँ द्वारा यह उद्यापन किया जाता हैं.

  1. इस दिन व्रत करे तथा गाज माता की कथा का वाचन करे.
  2. कलश पर स्वास्तिक बनाकर उसमें सात गेहूं के दाने डालकर कहानी सुनें.
  3. घर के सात अलग अलग स्थानों पर  ४-४ पूरी, थोड़ा थोड़ा हलवा, ओढ़ना, ब्लाउज और रूपये पर हाथ फेर कर अपने सास को पाय लगकर देवे.
  4. जल के कलश का सूर्य को अर्ध्य दे देवे.
  5. सात ब्राह्मणी को भोजन कराने के बाद स्वयं भोजन करे तथा उपवास को तोड़े.

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Ravi Raghuwanshi

रविंद्र सिंह रघुंवशी मध्य प्रदेश शासन के जिला स्तरिय अधिमान्य पत्रकार हैं. रविंद्र सिंह राष्ट्रीय अखबार नई दुनिया और पत्रिका में ब्यूरो के पद पर रह चुकें हैं. वर्तमान में राष्ट्रीय अखबार प्रजातंत्र के नागदा ब्यूरो चीफ है.

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