Electric Mushroom in Meghalaya – मशरूम की खेती के फायदों से तो हम सभी भली भांति परिचित हैं. इस खेती से बेहतर आमदनी के साथ लोग इसे कम लागत में भी उपजा सकते हैं. यही सब क्लालिटी हैं जो मशरूम को दूसरी फसलों से बेहद ही अलग बनाती हैं. लेकिन आज हम आपको मशरूम की जिस क़िस्म के बारे में बताने जा रहे हैं, उसे जानकर आप वाकई हैरान रह जाएंगे क्योंकि इस मशरूम के पौधों से ‘रोशनी’ निकलती है. दिमाग में सवाल आया ना……..कि आखिर ऐसा कैसे हो सकता है?
हालांकि, ये रोशनी किसी मरकरी या बल्ब के बराबर तो नहीं निकलती. लेकिन मशरूम के इन पौधों से इस प्रकार की रोशनी निकलना कृषि वैज्ञानिकों को भी शोध करने के लिए मजबूर कर दिया है. चलिए आपको बताते हैं कि आख़िर कैसे वैज्ञानिकों को इसका पता लगा.
मेघालय में हुई है इसकी खोज (Electric Mushroom in Meghalaya)
Table of Contents
दरअसल मशरूम की इस सबसे भिन्न क़िस्म की खोज मेघालय के साइंटिस्टों की टीम द्वारा की गई है. इन मशरूम के पौधों पर गौर करने वाली बात ये है कि ये पौधे खेत को रात में रोशनी से सराबोर कर देते हैं. इसलिए गाँव वाले लोग इस तरह की मशरूम का खाने की बजाय रोशनी के लिए ज़्यादा इस्तेमाल करते हैं. ठीक उसी तरह जैसे घर में बिजली के बल्ब उपयोग किए जाते हैं. बस फ़र्क़ यह है कि ये इलेक्ट्रिक बल्ब की बजाय ‘प्राकृतिक बल्ब’ होते हैं. काफी मजेदार बात हैं ना ये…….
भारत में इन्हें पहली बार देखा गया
आपको जानना जरूरी है कि, यह मशरूम जिस प्रजाति के हैं उन्हें फंगाई कहते हैं. इस प्रजाति के करीब 1 लाख 20 हज़ार क़िस्म के मशरूम पाए जाते है. लेकिन उनमें से महज 100 प्रजाति ही ऐसी हैं, जिसमें से हरे या नीले रंग की रोशनी निकलती है. मेघालय में इन दिनों मशरूम की जिस क़िस्म की खोज हुई है, वह भारत में पहली बार देखी गई है. साइंटिस्टों की टीम ने तमाम तरह की खोज बीन के बाद मशरूम की इस क़िस्म को Roridomyces Phyllostachys नाम दिया है.
इस तरह हुई इस क़िस्म की खोज (Electric Mushroom in Meghalaya)
यदि हम इस खोज की बात करें तो वह भी बड़ी ही रोचक है. असल में हुआ यूं है कि, एक बार कई वैज्ञानिक मेघालय के बैम्बू जंगल में रात के दौरान कुछ देखने पहुँचे थे. इसी दौरान संयोग से उन्हें जंगल के अंदर ही अपनी टॉर्च बंद करने को कहा गया. सभी ने टॉर्च जैसे ही बंद की, तो वैज्ञानिकों ने देखा कि खेतों से अलग क़िस्म की रोशनी आ रही है. पास जाकर देखने पर पता लगा कि, यह मशरूम के पौधे हैं, जो कि रोशनी दे रहे हैं. इसके बाद पता लगा कि इस रोशनी को साइंस में ‘बायोल्यूमिनिसेंस‘ लाइट कहा जाता है.
क्यों आती है ये रोशनी?
Electric Mushroom in Meghalaya – आपके भी जेहन यह सवाल कुलबुला रहे होंगे कि, आख़िर मशरूम के पौधे में इस तरह की रोशनी का क्या कारण है. तो दिमाग खोलकर जान लीजिए, आपने जुगनू और समुद्र में ऐसे कई जीव देखे होंगे जिनके शरीर से रोशनी निकलती है. यह रोशनी तरह-तरह रंगों की होती है. इस प्रक्रिया को बायोल्यूमिनिसेंस कहते हैं. जंतु, पौधे, फ़ंगाई और बैक्टीरिया भी बिजलुमिनिसेंस दर्शाते हैं. इस प्रक्रिया के दौरान एंजाइम के साथ केमिकल का रसायनिक रिएक्शन होता है. जिसके कारण जीव के शरीर से रोशनी बाहर आती है. हालांकि, ये बात जीव की फिजिकल प्रॉपर्टी तय करती है कि वह रोशनी किस रंग की होगी.
इसी तरह मशरूम में भी ये रोशनी इनमें मौजूद एन्ज़ाइम Luciferase के द्वारा बाहर आती है. इस रोशनी का कारण ये है कि ऑक्सीजन के साथ एंजाइम के केमिकल का रिएक्शन होता है. इस रिएक्शन के दौरान जो एनर्जी बाहर निकलती है, वह हमें रोशनी के रूप में दिखाई पड़ती है.
♦ लेटेस्ट जानकारी के लिए हम से जुड़े ♦ |
WhatsApp पर हमसे बात करें |
WhatsApp पर जुड़े |
TeleGram चैनल से जुड़े ➤ |
Google News पर जुड़े |
इसे भी पढ़े :