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अग्नि आवाहन मंत्र | Agni Mantra

Agni Mantra : सनातन संस्कृति में किसी भी कार्य को किए जाने के पूर्व विधि विधान से पूजन किया जाता है। पूजन के समाप्त होने के पश्चात हवन किया जाता है। हवन पूजन के सफलता पूर्वक पूरा होने का प्रतीक है। इसलिए हिंदू धर्म में हवन का विशेष महत्व होता है। हवन को शुरू किए जाने के पूर्व अग्नि देव का आवाहन किया जाता है। सरल शब्दों में कहा जाए तो मंत्र उच्चारण कर कुंड में अग्नि को प्रज्वलित किया जाता है। इसके लिए पूजन करने वाले ब्राह्मण द्वारा विशेष अग्नि गायत्री मंत्र पढ़ा जाता है। पोस्ट के जरिए आज हम उसी विशेष मंत्र के बारे में जानेंगे। बहुत ही कम लोगों को पता होगा कि, अग्नि देव की पत्नी का नाम स्वाहा है|

ॐ अग्नये स्वाहा। इदं अग्नये इदं न मम॥

अग्नि गायत्री मंत्र

ऊँ महाज्वालाय विद्महे अग्नि मध्याय धीमहि |
तन्नो: अग्नि प्रचोदयात ||

अर्थ : ओम। मैं महान ज्योति की ओर अपना ध्यान केंद्रित कर रहा हूं, ओह! अग्नि देवता मुझे बुद्धि प्रदान करें, हे अग्नि देव! अग्नि के तेजस्वी देव कृपा मेरे मन को अपने प्रकाश से रोशन करें।

हवन कुंड में अग्नि प्रज्वलित करने का मंत्र

१. ॐ वं वहि तुभ्यं नमः

२. ॐ भूपतये स्वाहा,

ॐ भुवनप,

ॐ भुवनपतये स्वाहा ।

ॐ भूतानां पतये स्वाहा ।।

अग्नि आवाहन मंत्र

FAQ’S

अग्नि देव को कैसे प्रसन किया जाता है?

अग्नि देव को प्रसन्न करने के पूर्व या हवन करने से पहले अग्नि देव की पूजा करनी चाहिए|

अग्नि देव का दूसरा नाम क्या है?

अग्नि देव का दूसरा नाम वैश्वानर है|

अग्नि देव की पत्नी का नाम क्या है?

अग्नि देव की पत्नी का नाम स्वाहा है|

KAMLESH VERMA

दैनिक भास्कर और पत्रिका जैसे राष्ट्रीय अखबार में बतौर रिपोर्टर सात वर्ष का अनुभव रखने वाले कमलेश वर्मा बिहार से ताल्लुक रखते हैं. बातें करने और लिखने के शौक़ीन कमलेश ने विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन से अपना ग्रेजुएशन और दिल्ली विश्वविद्यालय से मास्टर्स किया है. कमलेश वर्तमान में साऊदी अरब से लौटे हैं। खाड़ी देश से संबंधित मदद के लिए इनसे संपर्क किया जा सकता हैं।

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