महत्वपूर्ण जानकारी
Table of Contents
- माघ, कृष्ण पक्ष चतुर्दशी
- शुक्रवार, 20 जनवरी 2023
- शिवरात्रि प्रारंभ: 20 जनवरी 2023 सुबह 10:00 बजे
- शिवरात्रि समाप्त: 21 जनवरी 2023 पूर्वाह्न 06:17 बजे
शिव साधकों को मासिक शिवरात्रि का बेसब्री से इंतजार रहता है। शिव साधक पूरे वर्ष मासिक शिवरात्रि का इंतजार करते है। भापद्रपद माह में ही भगवान श्री कृष्ण जी का जन्म हुआ था। जिसके कारण भाद्रपद माह बेहद ही शुभ माना जाता है। इस माह में उपासना करने वाले भक्तों पर भगवान विष्णु जी (Lord vishnu ji) की कृपा सदैव बनी रहती है, इसलिए इस माह में उपासना करने से किसी को भी नहीं चूकना चाहिए। चलिए पोस्ट के जरिए हम आपकों मासिक शिवरात्रि से जुड़ी तमाम धार्मिक जानकारी देते है। तो देर ना करते हुए चलिए शुरू करते हैं-
हिंदू धर्म के पुराणों की मानें तो मासिक शिवरात्रि भगवान शिवजी को बेहद ही प्रिय है। इसके चलते शिवभक्तों के लिए यह माह बेहद ही प्रिय होता है। आपकों जानकर खुशी होगी कि, नववर्ष की शुरूआत मासिक शिवरात्रि के व्रत से होगी। मासिक शिवरात्रि का व्रत करते है तो इस पोस्ट में दी गई व्रत कथा व पूजा विधि को पढ़कर अपना व्रत पूर्ण कर सकते है।
मासिक शिवरात्रि का महत्व (Masik Shivratri Mahavat)
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार जो कोई शिव भक्त भगवान शिवजी की पूजा अर्चना करता है तथा उनको प्रसन्न करने के लिए व्रत रखता है तो भोलेनाथ भगवान उसकी सभी मनोकामनाए पूर्ण करता है। शिव पुराण की मानें तो, मासिक शिवरात्रि का व्रत रखने वाले स्त्री व पुरूष को मनचाहा वरदान मिलता है। कहा जाता है मासिक शिवरात्रि का व्रत भगवान भोलेनाथ को अति प्रिय है
मासिक शिवरात्रि व्रत तिथि 2023 इस प्रकार है:-
मासिक शिवरात्रि व्रत जनवरी में
शुक्रवार, 20 जनवरी 2023
माघ, कृष्ण पक्ष चतुर्दशी
20 जनवरी 2023 सुबह 10:00 बजे – 21 जनवरी 2023 सुबह 06:17 बजे
मासिक शिवरात्रि व्रत फरवरी में
शनिवार, 18 फरवरी 2023
फाल्गुन, कृष्ण पक्ष चतुर्दशी
18 फरवरी 2023 अपराह्न 08:02 – 19 फरवरी 2023 अपराह्न 04:18 बजे
मार्च में मासिक शिवरात्रि व्रत
सोमवार, 20 मार्च 2023
चैत्र, कृष्ण पक्ष चतुर्दशी
20 मार्च 2023 पूर्वाह्न 04:55 – 21 मार्च 2023 पूर्वाह्न 01:47 बजे
मासिक शिवरात्रि व्रत अप्रैल में
मंगलवार, 18 अप्रैल 2023
वैशाख, कृष्ण पक्ष चतुर्दशी
18 अप्रैल 2023 दोपहर 01:27 बजे – 19 अप्रैल 2023 पूर्वाह्न 11:24 बजे
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मई में मासिक शिवरात्रि व्रत
बुधवार, 17 मई 2023
ज्येष्ठ, कृष्ण पक्ष चतुर्दशी
17 मई 2023 को रात 10:28 बजे – 18 मई 2023 को रात 09:43 बजे
जून में मासिक शिवरात्रि व्रत
शुक्रवार, 16 जून 2023
आषाढ़, कृष्ण पक्ष चतुर्दशी
16 जून 2023 पूर्वाह्न 08:40 बजे – 17 जून 2023 पूर्वाह्न 09:12 बजे
मासिक शिवरात्रि व्रत जुलाई में
शनिवार, 15 जुलाई 2023
सावन शिवरात्रि, श्रवण, कृष्ण पक्ष चतुर्दशी
15 जुलाई 2023 को रात 08:33 बजे – 16 जुलाई 2023 को रात 10:08 बजे
अगस्त में मासिक शिवरात्रि व्रत
सोमवार, 14 अगस्त 2023
अधिक मासिक शिवरात्रि, श्रवण, कृष्ण पक्ष चतुर्दशी
14 अगस्त 2023 सुबह 10:25 बजे – 15 अगस्त 2023 दोपहर 12:43 बजे
सितंबर में मासिक शिवरात्रि व्रत
बुधवार, 13 सितंबर 2023
भाद्रपद, कृष्ण पक्ष चतुर्दशी
13 सितंबर 2023 पूर्वाह्न 2:21 बजे – 14 सितंबर 2023 पूर्वाह्न 04:49 बजे
मासिक शिवरात्रि व्रत अक्टूबर में
शुक्रवार, 13 अक्टूबर 2023
अश्विना, कृष्ण पक्ष चतुर्दशी
12 अक्टूबर 2023 को शाम 07:54 बजे – 13 अक्टूबर 2023 को रात 09:51 बजे
नवंबर में मासिक शिवरात्रि व्रत
रविवार, 12 नवंबर 2023
कार्तिका, कृष्ण पक्ष चतुर्दशी
11 नवंबर 2023 दोपहर 01:58 बजे – 12 नवंबर 2023 दोपहर 02:45 बजे
दिसंबर में मासिक शिवरात्रि व्रत
सोमवार, 11 दिसंबर 2023
मार्गशीर्ष, कृष्ण पक्ष चतुर्दशी
11 दिसंबर 2023 पूर्वाह्न 07:10 बजे – 12 दिसंबर 2023 पूर्वाह्न 06:24 बजे
मासिक शिवरात्रि पूजा विधि (Shivratri Puja Vidhi in Hindi)
मासिक शविरात्रि व्रत कैसे करें
- हिंदू धर्म की पौराणिक मान्यताओं के अनुसार मासिक शिवरात्रि (Masik Shivratri) वाले दिन भगवान शंकर का पूजन अर्धरात्रि के समय की जाती है। कारण ऐसा पुराणों में वर्णन मिलता है।
- व्रत वाले दिन प्रात: जल्दी उठकर स्नान आदि से मुक्त होकर भगवान सत्यनारायण को पानी चढ़ाकर पीपल व तुलसी के पेड़़ में पानी चढ़ाऐ।
- रात्रि के समय भगवान शंकर की प्रतिमा यानी शिवलिंग को दूध, पानी व गंगाजल से स्नान आदि कराए। जिसके बाद भगवान का रौली-मौली, दूध, दही, घी, बिलपत्र, धतुरा, सृजन के पुष्प, फल, पुष्प आदि से भगवान भोलेनाथ का अभिषेक करे।
- जिसके बाद भगवान के भजनों को गुणगान करे और आरती करे। इसके बाद भगवान शिवजी काे भोग लगाकर वितरण करे।
- दूसरे दिन मासिक शिवरात्रि के व्रत का पारण करे।
- पूजा करते समय भगवान शिवजी के महामंत्र ऊॅ नम: शिवाय का जाप करे
मासिक शिवरात्रि व्रत कथा (Masik Shivratri Vrat Katha in Hindi)
Maik Shivratri Vrat Katha in Hindi:- प्राचीन समय की बात है एक चित्रभानु नामक शिकारी था। वह शिकार करके उसे बेचता और अपने परिवार का पेंट भरता। वह उसी नगर के एक साहूकार का कर्जदार था और आर्थिक तंगी के कारण समय पर उसका ऋण नहीं चुका पा रहा था। जिससे साहूकार को गुस्सा आ गया और शिकारी चित्रभानु को शिवमठ में बंदी बना लिया। संयोगवश उसी दिन मासिक शिवरात्रि थी।
जिस कारण शिवमंदिर में भजन व कीर्तन हो रहे थे और वह बंदी शिकारी चित्रभानु पूरी रात भगवान शिवजी के भजनों व कथा का आनंद लिया। सुबह होते ही साहूकार ने उसे अपने पास बुलाया और ऋण चुकाने के लिए कहा। शिकारी चित्रभानु ने कहा हे सेठजी मैं कल तक आपका ऋण चुका दूगा। उसका यह वचन सुनकर सेठजी ने उसे छोड़ दिया।
जिसके बाद शिकारी शिकार के लिए जंगल में चला गया किन्तु पूरी रात बंदी गृह में भुखा व प्यासा होने के कारण वह थक गया औ व्याकुल हो गया। और इसी प्रकार वह शिकारी की खोज में बहुत दूर आ चुका था और सूर्यास्त होने लगा तो उसने साेचा आज तो रात जंगल में ही बितानी पड़गी। ऊपर से कोई शिकार भी नहीं कर पाया जिससे बेचकर सेठजी का ऋण चुका देता।
यह सोचकर वह एक तालाब के पास पहुच गया और भर पेट पानी पीया। जिसके बाद वह बेल के पेंड में चढ़ गया जो की उसी तालाब के किनारे था। उसी बिलपत्र के पंड के नीचं शिवलिंग की स्थापना हो रही थी किन्तु वह पूरी तरह बिल की पत्तियों से ढ़का होने के कारण उस शिकारी को दिखाई नहीं दिया। शिकारी चित्रभानु पेंड़ में बैठने के लिए बिल की टहनीया व पत्ते तोड़कर नीचे गिराया।
संयोगवश वो सभी टहनिया व पत्ते भगवान शिवलिंग की पर गिरते रहे। और शिकारी चित्रभानु रात्रि से लेकर पूरे दिन-भर का भूखा प्यासा था। और इसी प्रकार उसका मासिक शिवरात्रि का व्रत हो गया। कुछ समय बाद उस तालाब पर पानी पीने के लिए एक गर्भवती हिरणी आई। और पानी पीने लगी । हिरणी को देखकर शिकारी चित्रभानु ने अपने धनुष पर तीर चढ़ा लिया और छोड़ने लगा तो गर्भवती हिरणी बोले।
तुम धनुष तीर मत चलाओं क्योंकि इस समय मैं गर्भवती हूॅ और तुम एक साथ दो जीवों की हत्या नहीं कर सकते। परन्तु मैं जल्दी ही प्रसव करूगी जिसके बाद मैं तुम्हारे पास आ जाऊगी तब तुम मेरा शिकार कर लेना। उस हिरणी की बात सुनकर चित्रभानु ने अपने धनुष को ड़ीला कर लिया। इतने में वह हिरणी झाडि़यों में लुफ्त हो गई।
ऐसे में जब शिकारी ने अपने धनुष की प्रत्यंचा चढ़ाई और ढीली करी तो उसी दौरान कुछ बिलपत्र के पत्ते झड़कर शिवलिंग के ऊपर गिर गए। ऐेसे में शिकारी के हाथो से प्रथम पहर की पूजा भी हो गई। कुछ समय बाद दूसरी हिरणी झाडि़यों में से निकली उसे देखकर शिकारी के खुशी का ठिकाना ही नहीं रहा। चित्रभानु ने उस हिरणी का शिकार करने के लिए अपन धनुष उठाया और तीर छोड़ने लगा तो हिरणी बोली हे शिकारी आप मुझे मत मारो।
मैं अभी ऋतु से निकली हूॅ और अपने पति से बिछड़ गई। उसी को ढूढ़ती हुई मैं यहा तक आ पहुची। मैं अपने पति से भेट कर लू उसके बाद तुम मेरा शिकार कर लेना। यह कहकर वह हिरणी वहा चली गई शिकारी चित्रभानु अपना दो बार शिकारी खो कर बड़ा दु:खी हुआ। और चिंता में पड़ गया की प्रात सेठजी का ऋण कहा से चुकाऊगा।
जब शिकारी ने दूसरी हिरणी का शिकार करने के लिए धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाई तो कुछ बिलपत्र के पत्ते झड़कर शिवलिंग के ऊपर गिर गए। ऐसे में पूजा का दूसरा प्रहर भी सम्पन्न हो गया। ऐसे में अर्ध रात्रि बीत गई और कुछ समय बाद एक हिरणी अपने बच्चों के साथ तालाब पर पानी पीने के लिए आई। चित्रभानु ने जरा सी देरी नहीं की और धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाई और तीरे को छोडने लगा। इतने में वह हिरणी बोली-
हे शिकारी आप मुझे अभी मत मारों यदि मैं मर गई तो मेरे बच्चे अनाथ हाे जाएगे। मैं इन बच्चों को इनके पिता के पास छोड़ आऊ जिसके बाद तुम मेरा शिकार कर लेना। उस हिरणी की बात सुनकर शिकारी चित्रभानु जोर से हंसने लगा और कहा सामने आए शिकार काे कैसे छोड़ सकता हॅू। मैं इतना भी मूर्ख नहीं हॅू। क्योंकि दो बार मैने अपना शिकारी खो दिया है अब तीसरी बार नहीं।
हिरणी बोले जिस प्रकार तुम्हे अपने बच्चों की चिंता सता रही है उसी प्रकार मुझे अपने बच्चों की चिंता हो रही है मैं इन्हे इनके पिता के पास छोडकर वापस आ जाऊगी जिसके बाद तुम मेरा शिकारी कर लेना। मेरा विश्वास किजिए शिकारीराज। हिरणी की बात सुनकर शिकारी का दया आ गई और उसे जाने दिया। ऐसे में शिकारी के हाथों से तीसरे प्रहर की पूजा भी हो गई।
कुछ समय बाद एक मृग वहा पर आया उसे देखकर चित्रभानु ने अपना तीर धनुष उठाया और उसके शिकार के लिए छोड़ने लगा। तो वह मृग बड़ी नम्रता पूर्वक बोला हे शिकारी यदि तुमने मेरे तीनों पत्नीयों और छोटे बच्चों को मार दिया। तो मुझे भी मार दो क्योंकि उनके बिना मेरा इस दुनिया में कोई नहीं है। यदि तुमने उनको नहीं मारा है तो जाने दो। क्योंकि मैं उन तीनों हिरणीयों का पति हॅू और वो मेरी ही तलाश कर रहीं है। यदि मैं उन्हे नहीं मिला तो वो सभी मर जाएगे।
मैं उन सभी से मिलने के बाद तुम्हारे पास आ जाऊगा जिसके बाद तुम मेरा शिकार कर सकते हो। उस मृग की बात सुनकर शिकारी को पूरी रात का घटनाच्रक समझ आ गया और उसने पूरी बात उस मृग को बता दी। मेरी तीनो पत्निया जिस प्रकार प्रण करके गई है उसी प्रकार वो वापस आ जाएगी। क्योंकि वो तीनो अपने वचन की पक्की है। और यदि मेरी मृत्यु हो गई तो वो तीनों अपने धर्म का पालन नहीं करेगी।
मैं अपने पूरे परिवार के साथ शीघ्र ही तुम्हारे सामने आ जाऊगा। कृपा करके अभी मुझे जाने दो। शिकारी चित्रभानु ने उस मृग को भी जाने दिया। और इस प्रकार अनजाने में उस शिकारी से भगवान शिवजी की पूजा सम्पन्न हो गई। जिसके बाद शिकारी का हृदय बदल गया और उसके मन में भक्ति की भावना उत्पन्न हो गई।
कुछ समय बाद मृग अपने पूरे परिवार अर्थात तीनो हिरणी व बच्चों के साथ उस शिकारी के पास आ गया। और कहा की हम अपनी प्रतिज्ञा अनुसार यहा आ गऐ अब आप हमारा शिकार कर सकते है। शिकारी चित्रभानु जंगल के पशुओं की सच्ची भावना को देखकर उसका हृदय पूरी तरह पिघल गया। और उसी दिन से उसने शिकारी करना छोड़ दिया।
दूसरे दिन प्रात: होते ही सेठजी का ऋण किसी ओर से उधार लेकर चुकाया और स्वयं मेहनत करने लगा। इसी प्रकार उसने अपने जीवन का अनमोल बनाया। जब शिकारी चित्रभानु की मृत्यु हुई तो उसे यमदूत लेने आऐ किन्तु शिव दूतो ने उन्हे भगा दिया और उसे शिवलोक ले गए। इसी प्रकार उसे मोक्ष की प्राप्ति हुई।
दोस्तो आज के इस लेख में हमने आपको मासिक शिवरात्रि व्रत Masik Shivratri Vrat Katha in Hindi के बारें में बताया है। यदि हमारे द्वारा प्रदान की गई जानकारी पसंद आई हो तो लाईक करे व अपने मिलने वालो के पास शेयर करे। और यदि आपके मन में किसी प्रकार का प्रश्न है तो कमंट करके जरूर पूछे। धन्यवाद
प्रश्न:- मासिक शिवरात्रि कब है
उत्तर:-25 अगस्त 2022 गुरूवार को
प्रश्न:- मासिक शिवरात्रि हिन्दी पंचाग के अनुसार कब आती है।
उत्तर:- प्रतिवर्ष हर मास में एक बार जरूर मासिक शिवरात्रि का व्रत आता है
प्रश्न:- मासिक शिवरात्रि क्या है
उत्तर:- मासिक शिवरात्रि पर भगवान शिवजी की पूजा की जाती है। कहा जाता है इसी दिन रात्रि के समय भगवान विष्णु जी ने शिवजी का अवतरण किया था। जिस कारण यह मासिक शिवरात्रि कहलाई इस दिन भगवान शिवजी की पूजा अर्ध रात्रि के समय की जाती है।
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