होली का पर्व आने में कुछ ही दिन शेष हैं. इस साल होली 29 मार्च 2021, सोमवार को आ रही है. इस मान से होलिका दहन रविवार 28 मार्च 2021 को मनाया जाएगा. होलिका दहन का मुहूर्त रविवार को सुबह 06 बजकर 37 मिनट से लेकर शाम 08 बजकर 56 बजे तक का है. होलिका दहन को होलिका दीपक और छोटी होली के नाम से भी जाना जाता है. इसे होली की एक रात पूर्व मनाया जाता है. Holika Dahan Vidhi Katha
पौराणिक मान्यता है कि होली के त्यौहार पर होलिका पूजा करने से सभी प्रकार के डर पर विजय प्राप्त होती है. होलिका दहन बुराई पर अच्छाई का प्रतीक है. इस दिन हिंदू धर्म के लोग अपनी बुराइयों को दूर करने तथा सद्गुणों को ग्रहण करने का प्रण लेते हैं और अगले दिन रंगवाली होली खेलते हैं. दोस्तों, रिश्तेदारों और परिजनों को होली की शुभकामनाएं भी देते हैं.
क्यों करते हैं होलिका दहन :
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पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, विष्णु भक्त प्रहलाद को जब राक्षस हिरण्यकश्यप की बहन और प्रहलाद की बुआ होलिका आग पर बिठाकर मारने की कोशिश करती है तो वे खुद जल जाती है. जिसके बाद से होलिका दहन की परंपरा शुरू हुई थी. होलिका दहन को समाज की बुराई को जलाने के प्रतीक के तौर पर मनाया जा जाता है.
होलिका दहन में डालें ये चीजें:
- नारियल
- फूल, माला,
- रोली, गुलाल
4.गुड़, कच्चा सूत - हल्दी, गेहूं की बालियां
- उबटन आदि.
इस विधि से करें होलिका दहन :
- होलिका पूजन के दिन निर्धारित किए गये स्थान को गंगाजल से शुद्ध कर उसमें सूखे उपले, सूखी लकडी, सूखी घास आदि डालें.
- जिसके बाद पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठें.
- ध्यान पूर्वक पूजा में एक लोटा जल, माला, रोली, चावल, गंध, पुष्प, कच्चा सूत, गुड़, साबुत हल्दी, मूंग, बतासे, गुलाल व नारियल के साथ-साथ नई फसल के धान्य जैसे पके चने की बालियां और गेहूं की बालियां, गोबर से बनी ढाल लें.
- कच्चे सूत को होलिका के चारों ओर तीन या सात परिक्रमा करते हुए लपेटकर लोटे का शुद्ध जल व अन्य सामग्री को समर्पित करें.
होलिका पूजन करते हुए यह मंत्र- अहकूटा भयत्रस्तैः कृता त्वं होलि बालिशैः। अतस्वां पूजयिष्यामि भूति-भूति प्रदायिनीम् ।। बोलें
पूजन के पश्च्यात अर्घ्य अवश्य दें ! - इस प्रकार होलिका पूजन से घर में दुःख-दारिद्रय का प्रवेश नहीं होता है.
होलिका दहन की पौराणिक कथा:
सबसे लोकप्रिय और प्राचीन कथा भगवान विष्णु के भक्त प्रह्लाद और दानव होलिका के बारे में है. प्रह्लाद राक्षस हिरण्यकश्यप और उसकी पत्नी कयाधु का पुत्र था. हिरण्यकश्यप भगवान विष्णु का क्रूर शत्रु था.वह नहीं चाहता था कि प्रह्लाद भगवान विष्णु की पूजा करें. इसके लिए वह अपने पुत्र भगवान विष्णु का भक्त होने के खिलाफ था. एक दिन, हुआ यूं कि उसने अपनी बहन होलिका की मदद से अपने बेटे को मारने की योजना बनाई। होलिका के पास एक दिव्य शॉल थी. होलिका को यह चमत्कारी शॉल ब्रह्मा जी ने अग्नि से बचाने के लिए उपहार में दिया था. होलिका ने प्रह्लाद को लालच दिया कि वो प्रचंड अलाव में उसके साथ बैठे. लेकिन भगवान विष्णु की कृपा के कारण, दिव्य शाल ने होलिका के बजाय प्रह्लाद की रक्षा की. इसलिए दानव होलिका जलकर राख हो गई और प्रह्लाद अग्नि से बाहर निकल आया. दोस्तों इसलिए इस त्यौहार को होलिका दहन के नाम से जाना जाता है.
होलिका दहन से पहले करें ये काम :
- होलिका दहन के पूर्व, परिवार के सभी सदस्यों को सरसों तेल और हल्दी मिलाकर, उसका उबटन पूरे शरीर पर लगाना चाहिए.
- फिर उसके सूख जाने के बाद, इस पूरे उबटन को छुड़ा कर किसी कागज या कपड़े पर जमा कर लें.
- अब इस पूरे उबटन को पूजन सामग्री के साथ ही, होलिका में अर्पित कर दें.
- इसके बाद होलिका की परिक्रमा सपरिवार अवश्य करें. क्योंकि ऐसा करने से व्यक्ति को उसके सभी प्रकार के रोग, कष्ट और दोष से मुक्ति मिलती है.
- होलिका दहन करने से पूर्व घर के उत्तर दिशा में शुद्ध घी के सात दिये जरुर जलाएं. ऐसा करने से घर में धन, वैभव आता है और बाधाएं दूर होती हैं.
- होलिका दहन से पूर्व पूजा करने से पहले, अपने मस्तक पर हल्दी का पीला तिलक जरुर लगाएं.
- फिर होलिका दहन की रात्रि में घर पर सुंदर कांड अथवा विष्णुसहस्त्रनाम का पाठ करने से भी, परिवार के सभी संकट दूर होते हैं.
- होलिका दहन की रात्रि वेला में, कई तांत्रिक अनुष्ठान एवं बंगलामुखी अनुष्ठान भी किए जा सकते हैं.
- होलिका दहन की रात्रि अपने वजन के बराबर अनाज एवं खाद्य सामग्रियों का दान करना, बेहद उचित व फलदायी माना गया है.
- मान्यता अनुसार इस दिन किए जाने वाले पान-पुण्य से कभी धन की कमी नहीं होती.
- होलिका दहन के दिन निर्धन बच्चों के बीच अबीर, गुलाल एवं वस्त्र वितरण करने से भी, व्यक्ति को असीम पुण्य और धन-वैभव की प्राप्ति होती है.
- होलिका दहन के समय फेरे लगाते हुए होलिका की अग्नि में चना, मटर, गेहूं, अलसी जरूर अर्पित करें. ऐसा करने से धन लाभ होता है.
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