शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं | Shantakaram Bhujagashayanam
शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं श्लोक | Shantakaram Bhujagashayanam
आदि देव महादेव ने सृष्टि की रचना में सहयोग दिया है। शिव ही अनंत है, इनकी इच्छा के बिना प्रकृति का चल पाना बहुत मुश्किल है। ऐसे में यदि आध्यात्म की राह पर चलना चाहते हैं और जीवन में सफलता हासिल करना चाहते हैं, तो आपको महामंत्र शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं श्लोक का स्मरण होना बेहद ही आवश्यक है। इस मंत्र के बेहद ही फायदे हैं, इसका उच्चारण करने मात्र से असाध्य रोगों से निजात मिल जाता है। Shantakaram Bhujagashayanam हाल ही के दिनों में बहुत ही चर्चित हुआ है। हर कोई इस मंत्र को अपने मुख से गुनगुना चाहता है। दोस्तों यदि आप भी शिव के आराधक हैं तो निश्चित तौर पर आपको यह श्लोक याद होना चाहिए। चलिए जानते हैं शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं श्लोक | Shantakaram Bhujagashayanam के बारे में विस्तार पूर्वक अर्थ व महत्व………
शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं श्लोक | Shantakaram Bhujagashayanam
Table of Contents
शान्ताकारम भुजगशयनम पद्मनाभम सुरेशं हिंदी अर्थ
शान्ताकारं – जिनकी आकृति अतिशय शांत है, वह जो धीर क्षीर गंभीर हैं,
भुजग-शयनं – जो शेषनाग की शैया पर शयन किए हुए हैं (विराजमान हैं),
पद्मनाभं – जिनकी नाभि में कमल है,
सुरेशं – जो देवताओं के भी ईश्वर और
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विश्वाधारं – जो संपूर्ण जगत के आधार हैं, संपूर्ण विश्व जिनकी रचना है,
गगन-सदृशं – जो आकाश के सदृश सर्वत्र व्याप्त हैं,
मेघवर्ण – नीलमेघ के समान जिनका वर्ण है,
शुभाङ्गम् – अतिशय सुंदर जिनके संपूर्ण अंग हैं, जो अति मनभावन एवं सुंदर है
लक्ष्मीकान्तं – ऐसे लक्ष्मी के कान्त ( लक्ष्मीपति )
कमल-नयनं – कमलनेत्र (जिनके नयन कमल के समान सुंदर हैं)
योगिभिर्ध्यानगम्यम् – (योगिभिर – ध्यान – गम्यम्) – जो योगियों द्वारा ध्यान करके प्राप्त किए जाते हैं, (योगी जिनको प्राप्त करने के लिया हमेशा ध्यानमग्न रहते हैं)
वन्दे विष्णुं – भगवान श्रीविष्णु को मैं प्रणाम करता हूँ (ऐसे परमब्रम्ह श्री विष्णु को मेरा नमन है)
भवभय-हरं – जो जन्म-मरण रूप भय का नाश करने वाले हैं, जो सभी भय को नाश करने वाले हैं
सर्वलोकैक-नाथम् – जो संपूर्ण लोकों के स्वामी हैं, सभी चराचर जगत के ईश्वर है
Meaning of Shantakaram Bhujagashayanam Vishnu Mantra in English
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शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं श्लोक के लाभ
- शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं श्लोक का पाठ करने से मनुष्य जीवन में सकारात्मकता आती है।
- इस पाठ का ह्दय से उच्चारण करने से भगवान शिव की असीम कृपा प्राप्त होती है।
- शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं श्लोक का पाठ करने से घर में सुख समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश होता है।
- एकादशी के दिन यह पाठ करने से विष्णु भगवान की असीम कृपा प्राप्त होती है।
- दोस्तों ध्यान रहे इसका पाठ करने के बाद विष्णु जी की आरती अवश्य करें।
FAQ’S
शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं श्लोक का पाठ किस दिन करना चाहिए?
शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं श्लोक का पाठ वीरवार के दिन करना चाहिए।
भगवान विष्णु जी को किसका स्वरुप माना जाता है?
भगवान विष्णु जी को शांति का स्वरुप माना जाता है। एकादशी के दिन इन्हें ईष्ट देव मानकर पूजा किया जाता है।