Signs Of Overthinking : इंसानी दिमाग में हर पल विचार के बुलबुले फुटते है, एक है सोचना और दूसरा है, ‘बहुत ज्यादा सोचना!’ जिसे शिक्षित लोग ओवरथिंकिंग के नाम से संबोधित करते हैं. कहते हैं ना, अति हर चीज की बुरी होती है. हद से ज्यादा सोचना भी स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डालता है. हम बचपन से हमारे बड़े-बुजुर्गों से सुनते आ रहें सोच-समझकर काम करो, लेकिन अगर इतना ज्यादा सोच-विचार हो कि, काम ही न हो सके तो, ये संकट और मानसिक बीमारी का कारण बन जाता है। इस विकट परेशानी को ओवरथिंकिंग कहा जाता है.
ओवरथिंकिंग, एक बहुत बड़ा मानसिक विकार है. भारतीय लोग इस समस्या को गंभीरता से नहीं लेते हैं. लेकिन असल में, बहुत ज्यादा सोच-विचार करने की राह बेहद रपटीली है, ये आपको मानसिक बीमारियों के दलदल की ओर धकेलती जाती है. एक समय ऐसा भी आता है कि इंसान कोई भी कार्य नहीं कर पाता और सोच के समुंदर में डूब जाता है.
लेकिन, ओवरथिंकिंग पनपने का मुख्य कारण क्या हैं? क्यों ये समस्या किसी इंसान को वैचारिक रूप से लकवाग्रस्त बना देती है? इस बारे में पूरी दुनिया के मेंटल हेल्थ एक्सपर्ट अलग- अलग तरह से लोगों के सामने अपनी राय रखते हैं. लेकिन कुछ कारणों पर सभी एकमत हैं.
इस लेख में हम आपको बताएंगे कि, ओवरथिंकिंग के लक्षण और प्रकार और बचने के उपाय क्या हैं? हम आशा करते है कि, आर्टिकल को पढ़कर आप भी ओवरथिंकिंग के बारे में ज्यादा और बेहतर तरीके से जान पाएंगे.
ओवरथिंकिंग क्या है? (What Is Overthinking?)
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ओवरथिंकिंग की प्राचील परिभाषा है कि, छोटी सी चीज के बारे में बहुत ज्यादा या बहुत लंबे समय तक सोचना‘. जबकि किसी फैसले के दौरान या किसी स्थिति का मूल्यांकन के बारे में गहराई से सोचना मानव स्वभाव है.
लेकिन जब ये स्थिति दिमाग में अधिक समय तक बनी ही रहे और आप विचारों से स्वयं से अलग ही न कर पाएं. तो, इस परिस्थिति को ओवरथिंकिंग या बहुत ज्यादा सोचना कहा जा सकता है।
मानव जीवन में किसी न किसी मोड़ पर कई बार ऐसी घटनाओं का अनुभव होता हैं, जो हमारे लिए चिंता या तनाव का कारण बनती हैं. लेकिन कुछ लोग अपनी चिंताओं को अपने दिमाग से अलग कर पाने में असक्षम होते और इससे छुटकारा नहीं पाते.
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इतना ही नहीं भविष्य के बारे में चिंता करते हैं, उन संभावित घटनाओं के बारे में भयावह भविष्यवाणी करते हैं जो अभी तक नहीं हुई हैं. चिंतित लोग अतीत के बारे में भी सोचते हैं.
ओवरथिंकिंग करने वाले लोग किसी भी बात पर झल्लाहट करते हैं. वे बार-बार चिंतित रहते हैं कि, दूसरे उनके बारे में क्या सोचते हैं या खुद के बारे में सुनी गई कोई निगेटिव बात उनके दिमाग में लगातार घूमती ही रहती है.
ऐसे लोगों द्वारा लिए गए किसी कड़े फैसले के कारण भी विकट समस्या उत्पन्न हो सकती है. ज्यादा सोचने वाले लोगों के दिमाग में बहुत सारे विकल्प तो आते हैं, लेकिन वह सही निर्णय नहीं ले पाते. कारण उनकी सोच को लकवा मार जाता है.
ओवरथिंकिंग अवसाद या डिप्रेशन के लक्षणों को बढ़ा सकती है. ये आपके स्ट्रेस के स्तर को बढ़ा सकती है और आपको गलत निर्णय लेने के लिए मजबूर कर सकती है.
ओवरथिंकिंग के लक्षण (Signs Of Overthinking)
जब आप छोटी-छोटी बातों के बारे में बहुत अधिक सोचने लगे तो , आप बदलाव के लिए कदम उठा सकते हैं. लेकिन पहले, आपको यह जानना होगा कि, बहुत ज्यादा सोचना फायदे से ज्यादा नुकसान है.
कभी-कभी, लोगों को लगता है कि उनका ज्यादा सोच-विचार करना किसी भी तरह की चीजों को खराब होने से रोकता है. लेकिन यह सच नहीं है, उलट बहुत ज्यादा विचार करने से मानसिक तनाव की परेशानी उत्पन्न होती है.
ओवरथिंकिंग के कुछ प्रमुख लक्षण निम्नलिखित हैं:
- दिमाग में बार-बार शर्मिंदा करने वाले पलों का याद आना।
- सोने में परेशानी होना क्योंकि लगता है कि दिमाग बंद नहीं होगा।
- खुद से बार-बार सवाल पूछना जैसे, ये होगा तो क्या होगा?
- बीती बातों या घटनाओं में छिपे अर्थ को तलाशने में ढेर सारा समय खर्च करना।
- लोगों से कही गई पुरानी बातों के बारे में सोचना।
- ये सोचना कि, काश ये न किया होता या काश ये न कहा होता।
- अपनी गलतियों के बारे में लगातार सोचते रहना।
- किसी की कही गई बात को दिमाग में लगातार लेकर घूमते रहना।
- आसपास की बातों से बेखबर होकर उधेड़-बुन में लगे रहना।
- बीते कल या आने वाले कल की चिंता को लेकर बहुत ज्यादा सोचना।
- ऐसी बातों के बारे में सोचना जिन पर आपका कोई नियंत्रण नहीं है।
- अपनी परेशानियों और चिंताओं को मन से निकाल नहीं पाना।
ओवरथिंकिंग के प्रकार (Forms Of Overthinking)
ओवरथिंकिंग के मुख्य रुप से दो प्रकार होते हैं, पहला- बीते कल को लेकर बार-बार चिंतित होना और दूसरा- भविष्य को लेकर पहले से चिंतित होना. ये प्राॅब्लम-साॅल्विंग से पूरी तरह से अलग है.
ओवरथिंकिंग आत्म-प्रतिबिंब या सेल्फ-रिफ्लेक्शन से भी अलग है. स्वस्थ आत्म-प्रतिबिंब का मतलब है कि, ये अपने बारे में कुछ सीखने या किसी स्थिति के बारे में एक नया दृष्टिकोण प्राप्त करने के बारे में है. यह असल में उद्देश्य पूर्ण है.
ओवरथिंकिंग उन सभी चीजों के बारे में बुरा महसूस कराते हैं जिन चीजों के बारे में आप सोच रहे हैं.
प्राॅब्लम-साॅल्विंग, सेल्फ-रिफ्लेक्शन, और ओवरथिंकिंग के बीच का अंतर उस समय के बारे में नहीं है जो आप गहन विचार में बिताते हैं.
ओवरथिंकिंग से बचने का उपाय Ways to avoid overthinking
- किसी भी बात पर तुंरत रिएक्ट करने से ऐसे बचें
- सांस लें और ध्यान लगाएं
- अपनी उपलब्धियों के बारे में सोचें
- खुद को माफ करें और गलतियों को भूलें
- अकेले न रहे और दोस्तों से बात करें