भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन भगवान विष्णु के आठवें अवतार भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था. कृष्ण का जन्म अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में हुआ था इसलिए इस तिथि का सनातन धर्म में विशेष महत्व है. इस दिन लोग व्रत, पूजन और उत्सव मनाते हैं. कृष्ण जन्माष्टमी का अर्थ है कि, कृष्ण + जन्म + आष्ट्मी = कृष्ण जन्माष्टमी. जन्माष्टमी पर्व उत्तर प्रदेश के मथुरा में बहुत ही धूम-धाम से से मनाया जाता है. आइये पोस्ट के जरिए जानते है की जन्माष्टमी 2022 में कब है – Janmashtami 2022 Mein Kab Hai Date
जन्माष्टमी 2022 में कब है – Janmashtami 2022 Mein Kab Hai Date
भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद – कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मध्य रात्रि में अत्याचारी कंस के वध के लिए धरती लोक पर हुआ था. मालूम हो कि, असुर कंस श्रीकृष्ण के मामा थे. श्रीकृष्ण को भगवान श्री हरी विष्णु का 8 वां रूप कहा जाता है.
2022 mein Janmashtami Kab Hai Date- हर साल जन्माष्टमी का त्यौहार भाद्रपद माह की कृष्णा पक्ष की अष्टमी को मनाया जाता है. वर्ष 2022 में जन्माष्टमी 18 अगस्त, 2022 की है, जिस दिन गुरुवार है. यह व्रत मध्य रात्रि को श्रीकृष्ण की पूजा करने के बाद ही उनके जन्म के समय खोला जाता है.
2022 में जन्माष्टमी का शुभ महूर्त – 2022 mein Janmashtami ka Shubh Muhurat
जन्माष्टमी 2022 का शुभ मुहूर्त व्रत को खोलने के लिए और भगवान श्री कृष्णा की पूजा के लिए अति महत्वपूर्ण है, जो कुछ इस प्रकार है –
जन्माष्टमी के दिन क्या होता है – Janmashtami Ke Din Kya Hota Hai
- इस दिन ब्राह्मण लोगों के घरों में चूल्हा नहीं जलाया जाता है.
- भगवान श्रीकृष्ण के मंदिरों को फूलों से सजाया जाता है और आकृर्षक विद्युत सज्जा की जाती है.
- छोटे बच्चो को बालगोपाल के रूप में सजाया जाता है.
- बालगोपाल को झूले में बैठा कर उनको झुलाया जाता है और पूजा अर्चना की जाती है.
श्रीकृष्ण के जन्म के लिए पौराणिक कथाओं में उल्लेख मिलता है कि, कंस को स्वपन में भविष्यवाणी हुई, की उनकी ही बहन देवकी की आठवीं संतान उसके वध का कारण बनेगी, फिर उसने इस बात को ध्यान में रखते हुए अपनी ही बहन देवकी को उनके पति सहित बंदी – गृह में डाल दिया और जब भी देवकी की कोई भी संतान जन्म लेती तो कंस उसका वध कर देता था. ऐसा कर-कर के उसने देवकी – वासुदेव की सात नवजात सन्तानो का वध कर दिया. परन्तु जब श्री कृष्ण का जन्म हुआ वह इस काम में असमर्थ रहा और यही उसके वध का कारण बना. आखिर में श्री कृष्ण ने कंस का अंत कर पूरी प्रजा को उसके अत्याचार से मुक्ति दिलाई.
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