1972 एंडीज फ्लाइट डिजास्टर – जिन्दा रहने के लिए खानी पड़ी अपनी साथियों कि लाशें । Real Hindi Story of 1972 Andes Flight Disaster
Real Hindi Story of 1972 Andes Flight Disaster – दुनिया के इतिहास में बहुत सी ऐसी दुर्घटनाएं हुई है. जिसमें जिन्दा बचे लोगों को विपरीत परिस्थितयों का सामना करना पड़ा हैं. ऐसा ही एक हादसा 1972 में एंडीज (Andes) के बर्फीले पहाड़ों में हुआ था. हादसे में जिन्दा बचे लोगों को उन बर्फीले पहाड़ों में बिना भोजन के 72 दिनों तक रहना पड़ा था. हादसे में घायल साथियों को अपनी आंखों के सामने मरते देखना पड़ा था. इतना ही नहीं जिन्दा रहने के लिए अपने ही साथियों कि लाशों को खाना पड़ा था.
इतिहास में यह बेहद ही दुखद दुर्घटना 1972 एंडीज फ्लाइट डिजास्टर (1972 Andes flight disaster) या मिरेकल ऑफ़ एंडीज (Miracle of the Andes) के नाम से विख्यात है. दुर्घटना उस फ्लाइट में सवार उरुग्वे के ओल्ड क्रिश्चियन क्लब की रग्बी टीम (Old Christians Club rugby union team) के उन दो खिलाड़ियों के हौसले के लिए भी जानी जाती हैं जिन्होंने एक सच्चे खिलाड़ी का परिचय देते हुए अंत तक हार न मानने वाले जज्बे को दिखाते हुए न सिर्फ खुद मौत को मात दी बल्कि 14 लोगों काे जीवन दान दिया.
यह दर्दनाक विमान दुर्घटना 13 अक्टूबर 1972 हुआ था. इसका शिकार हुई थी उरुग्वे के ओल्ड क्रिश्चियन क्लब की रग्बी टीम. टीम चिली के सैंटियागो में मैच खेलने जा रही थी. उरुग्वे एयरफोर्स का प्लेन टीम के खिलाड़ियों व अधिकारियों के साथ उनके परिवार व मित्रों को लेकर एंडीज पर्वत के ऊपर से गुजर रहा था. विमान में कुल 45 लोग मौजूद थे.
उड़ान भरने के कुछ देर बाद ही मौसम खराब होने लगा था. एंडीज के सफ़ेद बर्फीले पहाड़ों में पायलट को कुछ नज़र नहीं आ रहा था. करीब 14 हजार फीट की ऊंचाई पर पायलट अपनी पोजीशन मिस कर गया और एक ही पल में एयरक्राफ्ट एंडीज पर्वत की एक चोटी से टकरा गया. जो एयरक्राफ्ट कुछ देर पहले हवा से बातें कर रहा था दूसरे ही पल धू-ध कर जलता एंडीज पर्वत में गुम हो गया.
इस भीषण हादसे में 18 लोगों की जान गई थी, वहीं शेष बचे 27 लोग जैसे तैसे बच तो गए लेकिन एंडीज की हाड़ कपकपा देने वाली बर्फ के बीच जिंदगी उनके लिए मौत से बदतर साबित हो रही थी. बचे हुए लोगों के पास ना खाने को था और ना ही पीने के लिए पानी. दूर-दूर तक सिर्फ बर्फ ही बर्फ.
विमान हादसे की जानकारी मिलते ही उरुग्वे की सरकार ने सक्रियता दिखाई और रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया. लेकिन प्लेन का रंग सफेद होने के कारण बर्फ से ढके सफेद एंडीज पर उसे ढूँढना घास के ढेर में सुई ढूंढे के बराबर था. करीब दस दिनों तक असफलता हाथ लगने के बाद सरकार ने 11वें दिन रेस्क्यू ऑपरेशन बंद कर दिया गया. कारण था कि, एंडीज के विषम मौसम में बिना खाना पानी के किसी का भी इतने दिनों तक जिन्दा रहना मुमकिन नहीं हैं.
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उधर दूसरी तरफ बचे हुए 27 लोगों में से कुछ घायल लोग और मर गए, शेष अन्य बचे लोगों ने अपने पास उपलब्ध भोजन को छोटे छोटे हिस्सों में बाट दिया ताकि वो ज्याद दिन तक चल सके. पानी कि कमी को दूर करने के लिए उन्होंने प्लेन में से एक ऐसे मेटल के टुकड़े को निकाला जो कि धूप में बहुत जल्दी गर्म हो सके.
जिसके बाद उस पर बर्फ रख कर उसे पिघला कर पानी इकठ्ठा करने लगे. इससे उनकी पानी कि समस्या तो बिलकुल हल हो गयी, पर कुछ ही दिनों में भोजन समाप्त हो गया. जब अंत में कोई रास्ता नहीं दिखा तो इन लोगों ने अपने साथियों की लाश के टुकड़े कर ही खाना शुरू कर दिया.
एक झटके में आई मौत से बचे ये लोग अब असहनीय अंत की ओर बढ़ रहे थे. केवल 16 लोग ही अब जीवित बचे थे, हादसे के 60 दिन बीत चुके थे. सरकार की ओर से मदद की कोई उम्मीद दिखाई नहीं दी तो इस बदनसीबों में शामिल दो खिलाड़ियों नैन्डो पैरेडो (Nando Parrado) और रॉबटरे केनेसा (Robert Canessa) ने सोचा कि यहाँ पड़े पड़े मरने से अच्छा है मदद कि तलाश में निकला जाए, हालांकि ये बहुत ही मुश्किल काम था.
60 दिनों के अंदर दोनों का शारीर कमजोर हो चूका था, बर्फ़ पर ट्रैकिंग करने के लिए उनके पास पर्याप्त साधन नहीं थे. लेकिन दोनों खिलाड़ी थे और खिलाड़ियों के अंदर अंत तक हार नहीं मानने का जज्बा होता हैं. यही जज्बा उन दोनों खिलाड़ियो के काम आया और उन्होंने उन्ही विपरीत परिस्थतियों में मदद कि खोज के लिए ट्रैकिंग शरू कर दी.
पैरेडो और केनेसा ने गजब का साहस दिखाते हुए 12 दिनों तक ट्रैकिंग की. अंत तक हार न मानने का एक खिलाड़ी वाला जज्बा दोनों के काम आया और आखिर दोनों एंडीज पर्वत को हराते हुए चिली के आबादी वाले क्षेत्र तक पहुंच गए जहां दोनों ने रेस्क्यू टीम को अपने साथियों की लोकेशन बताई. इस तरह इन दोनों खिलाड़ियों ने तो जिंदगी की जंग जीत ही ली साथ ही अपने साथियों के लिए भी ये वरदान साबित हुए.
इस पूरे हादसे में हीरो बनकर सामने आए उस रोबटरे केनेसा (Robert Canessa) उस समय रग्बी खिलाड़ी के साथ मेडिकल स्टूडेंट भी थे.
वहीं इस हादसे में अपनी मां और बहन को खोकर 16 लोगों की जान बचाने वाले पैरोडा (Nando Parrado) अब उरुग्वे की मशहूर टेलीविजन हस्ती हैं. हादसे के 72 दिनों बाद 16 लोगों का बचना भी किसी चमत्कार से कम नहीं माना जा रहा था. पैरोडो ने इस पूरे हादसे और अपने संघर्ष को एक किताब की शक्ल भी दी है.
इस भयावह घटना पर पियर्स पॉल रीड ने 1974 में एक किताब अलाइव (Alive) लिखी थी जिस पर 1993 में निर्देशक फ्रेंक मार्शल ने फिल्म भी बनाई थी.
करीब दस साल पहले डॉ केनेसा ने इस घटना में बचे दो अन्य साथियों के साथ एंडीज पर पहुंच कर मौत को मात देने के अपने कारनामे का जश्न मनाया था.
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