अचला एकादशी व्रत से मिलता है अकूत धन, जानें क्या है व्रत कथा

जैसा की हम सभी को विधित है कि, ज्येष्ठ माह कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को अचला या अपरा एकादशी (Achala Ekadashi 2021) के नाम से जाना जाता है. इस वर्ष अचला एकादशी व्रत 6 जून 2021, रविवार के दिन रखा जाएगा. हिंदू धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस एकादशी व्रत से सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति और स्वर्ग लोक की प्राप्ति होती है. नियमानुसार व्रत रखने वाले को इस दिन अचला एकादशी (Apara Ekadashi) व्रत कथा को जरूर सुनना चाहिए.

अचला एकादशी व्रत मुहूर्त :

Achala Ekadashi Muhurat

एकादशी तिथि प्रारंभ – 05 जून 2021 को 04 बजकर 07 मिनट
एकादशी तिथि समाप्त – जून 06, 2021 को सुबह 06 बजकर 19 मिनट तक
अपरा एकादशी पारणा मुहूर्त – 07 जून 2021 को सुबह 05 बजकर 12 से सुबह 07:59 तक
अवधि – 2 घंटे 47 मिनट

अचला एकादशी का महत्व :

Achala Ekadashi Mahatv

हिंदू धर्म की पौराणिक मान्यता के अनुसार, अपरा एकादशी अपार पुण्य फल प्रदान करने वाली पावन तिथि है. इस तिथि के दिन व्रत करने से व्यक्ति को उन सभी पापों से भी मुक्ति मिल जाती है, जिसके लिए उसे प्रेत योनि में जाना पड़ सकता है. हिंदू वदों में अपरा एकादशी का बड़ा महत्व बताया गया है.

मान्यता है कि, जो फल गंगा तट पर पितरों को पिंडदान करने से प्राप्त होता है, वही अपरा एकादशी का व्रत करने से प्राप्त होता है. जो फल कुंभ में केदारनाथ के दर्शन या बद्रीनाथ के दर्शन, सूर्यग्रहण में स्वर्णदान करने से फल मिलता है, वही फल अपरा एकादशी के व्रत के प्रभाव से मिलता है.

पद्मपुराण में उल्लेख मिलता है कि, इस एकादशी व्रत को करने से उपासक को आर्थिक परेशानियों से मुक्ति मिलती है. अगले जन्म में व्यक्ति धनवान कुल में जन्म लेता है और अपार धन का उपभोग करता है.

हिंदू शास्त्रों में बताया गया है कि परनिंदा, झूठ, ठगी, छल ऐसे पाप हैं, जिनके कारण व्यक्ति को नर्क में जाना पड़ता है. इस एकादशी के व्रत से इन पापों के प्रभाव में कमी आती है और व्यक्ति नर्क की यातना भोगने से बच जाता है.

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अचला एकादशी व्रत विधि :

Achala Ekadashi Vrat Vidhi

प्रातः सूर्योदय से पहले उठें। शौच क्रिया से निवृत्त होकर स्नान-ध्यान करें। व्रत का संकल्प लेकर विष्णु जी की पूजा करें. पूरे दिन अन्न का सेवन न करें. यदि बहुत अधिक आवश्यकता पड़े तो फलाहार लें. शाम को विष्णु जी की आराधना करें. विष्णुसहस्रनाम का पाठ करें. व्रत पारण के समय नियमानुसार व्रत खोलें. व्रत खोलने के पश्चात् ब्राह्मणों को दान-दक्षिणा दें.

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अचला एकादशी व्रत कथा :

Achala Ekadashi Vrat Katha

पौराणिक कथा के अनुसार, महीध्वज नामक एक धर्मात्मा राजा था. राजा का छोटा भाई वज्रध्वज बड़े भाई से द्वेष रखता था. एक दिन मौका पाकर राजा को मौत के घाट उतार दिया और घने जंगल में एक पीपल के नीचे उसने राजा की लाश को दफन कर दिया. अकाल मृत्यु होने के कारण राजा की आत्मा प्रेत बनकर पीपल पर निवास करने लगी. मार्ग से गुजरने वाले हर व्यक्ति को आत्मा परेशान करती थी.

एक दिन एक ऋषि इस रास्ते से गुजर रहे थे. इन्होंने राजा के प्रेत को देखा और अपने तपोबल से उसके प्रेत बनने का कारण जाना. ऋषि ने पीपल के पेड़ से राजा की प्रेतात्मा को नीचे उतारा और परलोक विद्या का उपदेश दिया.

राजा को प्रेत योनि से मुक्ति दिलाने के लिए ऋषि ने स्वयं अपरा एकादशी का व्रत रखा और द्वादशी के दिन व्रत पूरा होने पर व्रत का पुण्य प्रेत को दे दिया. एकादशी व्रत का पुण्य प्राप्त करके राजा प्रेत योनि से मुक्त हो गया और स्वर्ग चला गया.

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भूलकर भी न करें ये कार्य :

  • कहा जाता है कि एकादशी तिथि की रात को शयन नहीं चाहिए, पूरी रात जागकर भगवान विष्णु की भक्ति, मंत्र जप और भजन करना चाहिए. फलस्वरूप भगवान विष्णु की अपार कृपा प्राप्त होती है.
  • एकादशी तिथि के दिन पान खाना भी वर्जित माना गया है, इस दिन पान खाने से व्यक्ति के मन में रजोगुण की प्रवृत्ति बढ़ती है.
  • एकादशी के दिन दातून (मंजन) करने की भी मनाही है .
  • एकादशी के दिन दूसरों की बुराई करना यानी की परनिंदा नहीं करनी चाहिए.
  • एकादशी के दिन चुगली नहीं करनी चाहिए, माना जाता है कि ऐसा करने से अपमान का सामना भी करना पड़ सकता है.
  • एकादशी के दिन चोरी करना एक पाप कर्म माना गया है, चोरी करने वाला व्यक्ति परिवार व समाज में घृणा की नजरों से देखा जाता है.
  • एकादशी के दिन हिंसा करना महापाप माना गया है. हिंसा केवल शरीर से ही नहीं मन से भी होती है. इससे मन में विकार आता है. इसलिए शरीर या मन किसी भी प्रकार की हिंसा इस दिन नहीं करनी चाहिए.
  • एकादशी पर ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए. इतना ही नहीं इंद्रियों पर नियंत्रण पूर्ण रूप से आवश्यक है.
  • एकादशी के दिन क्रोध भी नहीं करना चाहिए, क्रोध को मानसिक हिंसा कहा गया है.

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अचला एकादशी के दिन ये करें :

  • अपरा एकादशी से एक दिन पहले यानि दशमी के दिन शाम को सूर्यास्त के बाद भोजन नहीं करना चाहिए. रात्रि में भगवान का ध्यान करते हुए सोना चाहिए.
  • एकादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान के बाद भगवान विष्ण का पूजन करना चाहिए. पूजा में तुलसी, चंदन, गंगा जल और फल का प्रसाद अर्पित करना चाहिए.
  • व्रत रखने वाले व्यक्ति को इस दिन छल-कपट, बुराई और झूठ नहीं बोलना चाहिए. इस दिन चावल खाने की भी मनाही होती है.
  • विष्णुसहस्रनाम का पाठ करना चाहिए. एकादशी पर जो व्यक्ति विष्णुसहस्रनाम का पाठ करता है उस पर भगवान विष्णु की विशेष कृपा होती है.

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