Aja Ekadashi 2025 Kab Hai: जानें सही तारीख, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, पारण का समय और महत्व

Aja Ekadashi 2025 Kab Hai: जानें सही तारीख, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, पारण का समय और महत्व
सनातन धर्म में एकादशी तिथि का व्रत सभी व्रतों में श्रेष्ठ और अत्यंत पुण्यदायी माना गया है। हर महीने में दो एकादशी तिथियां आती हैं, और प्रत्येक का अपना एक विशेष महत्व होता है। इसी क्रम में, भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष में आने वाली एकादशी को अजा एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस दिन जगत के पालनहार भगवान विष्णु के ऋषिकेश स्वरूप की पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ उपासना की जाती है।
धार्मिक मान्यता है कि जो भी व्यक्ति सच्चे मन से अजा एकादशी का व्रत रखता है और विधि-विधान से पूजा-पाठ करता है, उसे अपने सभी ज्ञात-अज्ञात पापों से मुक्ति मिलती है, जीवन में सुख-समृद्धि का वास होता है, और मृत्यु के पश्चात उसे विष्णु लोक में स्थान प्राप्त होता है। हालांकि, इस व्रत का पूर्ण फल तभी प्राप्त होता है जब पूजा के साथ अजा एकादशी की व्रत कथा सुनी या पढ़ी जाए।
हर साल की तरह, इस वर्ष भी भक्तों के मन में यह सवाल है कि अजा एकादशी 2025 कब है? व्रत किस दिन रखा जाएगा? पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है? और व्रत का पारण कब करना शुभ रहेगा? तो चलिए, आपके इन सभी प्रश्नों का समाधान करते हैं और जानते हैं अजा एकादशी 2025 से जुड़ी संपूर्ण जानकारी।

Aja Ekadashi
अजा एकादशी 2025: तिथि, मुहूर्त और पारण का सही समय
हिंदू पंचांग के अनुसार, त्योहारों की तिथि सूर्योदय के समय की तिथि (उदयातिथि) के आधार पर निर्धारित की जाती है।
पंचांग के अनुसार 2025 में अजा एकादशी की तिथियां:
भाद्रपद कृष्ण एकादशी तिथि का आरंभ: 18 अगस्त 2025, सोमवार को शाम 05:22 बजे से।
भाद्रपद कृष्ण एकादशी तिथि का समापन: 19 अगस्त 2025, मंगलवार को दोपहर 03:32 बजे तक।
उदयातिथि के आधार पर, अजा एकादशी का व्रत 19 अगस्त 2025, मंगलवार को रखा जाएगा।
अजा एकादशी 2025 शुभ मुहूर्त और पारण का समय
पर्व / तिथि | तारीख और दिन | समय |
अजा एकादशी व्रत की तारीख | 19 अगस्त 2025, मंगलवार | |
पूजा का शुभ मुहूर्त (विष्णु पूजा) | 19 अगस्त 2025, मंगलवार | सुबह 09:08 बजे से दोपहर 12:25 बजे तक |
व्रत पारण की तारीख | 20 अगस्त 2025, बुधवार | |
पारण का शुभ समय | 20 अगस्त 2025, बुधवार | सुबह 05:53 बजे से सुबह 08:29 बजे तक |
द्वादशी तिथि का समापन | 20 अगस्त 2025, बुधवार | दोपहर 01:58 बजे |
(नोट: ऊपर दिए गए समय नई दिल्ली, भारत के लिए हैं। आपके शहर के अनुसार समय में कुछ मिनटों का अंतर हो सकता है।)
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अजा एकादशी का महत्व (Significance of Aja Ekadashi)
अजा एकादशी को मोक्षदायिनी और कष्टों का नाश करने वाली माना गया है।
पापों का नाश: पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस व्रत के प्रभाव से व्यक्ति के जन्म-जन्मांतर के पाप नष्ट हो जाते हैं।
संकटों से मुक्ति: पौराणिक कथाओं में उल्लेख मिलता है कि इस व्रत का पालन करने से सत्यवादी राजा हरिश्चंद्र को भी अपने सभी संकटों से मुक्ति मिली थी और उन्हें अपना खोया हुआ राज्य और परिवार पुनः प्राप्त हुआ था।
सुख-समृद्धि की प्राप्ति: यह व्रत जीवन से दुख, दरिद्रता और बाधाओं को दूर कर घर-परिवार में सुख-शांति और समृद्धि लाता है।
पितरों का आशीर्वाद: इस दिन विधिपूर्वक व्रत और दान करने से पितरों का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है।
संतान सुख: जो दंपत्ति संतान सुख की कामना रखते हैं, उनके लिए इस दिन गोपाल स्तोत्र का पाठ करना बेहद शुभ और फलदायी माना गया है।
कैसे करें: अजा एकादशी की संपूर्ण पूजा विधि (Step-by-Step Puja Vidhi)
अजा एकादशी का व्रत करने के लिए दशमी तिथि से ही सात्विक नियमों का पालन करना चाहिए।
चरण 1: व्रत का संकल्प
अजा एकादशी के दिन प्रातः काल (ब्रह्म मुहूर्त में) जल्दी उठें और घर की सफाई करें।
स्नान आदि से निवृत्त होकर स्वच्छ, पीले रंग के वस्त्र धारण करें।
घर के मंदिर में दीपक प्रज्वलित करें और भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए हाथ में जल, फूल और अक्षत लेकर व्रत का संकल्प लें।
चरण 2: भगवान विष्णु की पूजा
एक चौकी पर पीला वस्त्र बिछाकर भगवान विष्णु की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें।
भगवान को गंगाजल और पंचामृत से स्नान कराएं।
उन्हें पीले वस्त्र, पीले फूल (विशेषकर गेंदा), चंदन, और तुलसी दल अर्पित करें।
फल, मिठाई (विशेषकर केसर युक्त) और अन्य सात्विक भोग लगाएं। भोग में तुलसी का पत्ता अवश्य रखें।
घी का एक दीपक जलाएं और धूप दिखाएं।
चरण 3: कथा और मंत्र जाप
पूजा के दौरान विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें।
इसके बाद अजा एकादशी व्रत की कथा अवश्य पढ़ें या सुनें। कथा के बिना व्रत अधूरा माना जाता है।
दिन भर “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करते रहें।
चरण 4: संध्या पूजा और जागरण
शाम के समय पुनः भगवान विष्णु की आरती करें।
तुलसी के पौधे के सामने घी का दीपक जलाकर उनकी परिक्रमा करें।
रात्रि में जागरण कर भजन-कीर्तन करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
चरण 5: व्रत का पारण
अगले दिन (द्वादशी तिथि) को सुबह स्नान आदि के बाद पुनः पूजा करें।
किसी ब्राह्मण या जरूरतमंद व्यक्ति को भोजन कराएं और अपनी क्षमता अनुसार दान-दक्षिणा दें।
इसके बाद ही ऊपर दिए गए शुभ मुहूर्त में अपना व्रत खोलें (पारण करें)।
अजा एकादशी पर किए जाने वाले अचूक उपाय (Effective Remedies for Aja Ekadashi)
इस दिन किए गए कुछ विशेष उपाय भगवान विष्णु की असीम कृपा दिलाते हैं।
केसर युक्त दूध का भोग: अजा एकादशी के दिन भगवान विष्णु को केसर युक्त दूध का भोग लगाएं और बाद में इसे प्रसाद के रूप में परिवार में बांटें। इससे घर में खुशियों का वास होता है और रिश्तों में मजबूती आती है।
घर की शांति के लिए दीपक: यदि आपके घर में अक्सर लड़ाई-झगड़े होते हैं, तो अजा एकादशी की शाम को पूजा स्थान, रसोई और तुलसी के पौधे के पास घी का एक दीपक जलाएं। इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
मनोकामना पूर्ति के लिए गौ सेवा: इस दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा के साथ-साथ गौ माता की सेवा करें। गाय को गुड़ के साथ 4 रोटियां खिलाएं और इस दौरान अपनी मनोकामना मन में 3 बार दोहराएं। माना जाता है कि इस उपाय से आपकी इच्छा पूरी हो सकती है।
तुलनात्मक सारणी: अजा एकादशी व्रत में क्या करें और क्या न करें
क्या करें (Do’s) | क्या न करें (Don’ts) |
पीले वस्त्र धारण करें। | काले या गहरे रंग के वस्त्र न पहनें। |
फलाहार या सात्विक भोजन करें। | अनाज, चावल, दाल, लहसुन, प्याज का सेवन न करें। |
“ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” का जाप करें। | किसी की निंदा या चुगली न करें, क्रोध से बचें। |
तुलसी के पत्ते पूजा में अर्पित करें। | एकादशी के दिन तुलसी के पत्ते न तोड़ें (एक दिन पहले तोड़ लें)। |
दान-पुण्य और गौ सेवा करें। | तामसिक भोजन और नशीले पदार्थों का सेवन न करें। |
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
प्रश्न 1: अजा एकादशी 2025 में किस दिन है?
उत्तर: उदयातिथि के अनुसार, अजा एकादशी का व्रत 19 अगस्त 2025, मंगलवार को रखा जाएगा।
प्रश्न 2: अजा एकादशी व्रत का पारण कब करना है?
उत्तर: व्रत का पारण अगले दिन, 20 अगस्त 2025, बुधवार को सुबह 05:53 बजे से 08:29 बजे के बीच करना शुभ रहेगा।
प्रश्न 3: क्या इस व्रत में नमक खा सकते हैं?
उत्तर: इस व्रत में साधारण नमक का प्रयोग वर्जित है। यदि आवश्यक हो तो आप सेंधा नमक का उपयोग कर सकते हैं।
प्रश्न 4: अजा एकादशी की कथा का क्या महत्व है?
उत्तर: अजा एकादशी की कथा सुनना या पढ़ना व्रत का एक अनिवार्य अंग है। कथा के श्रवण मात्र से अश्वमेध यज्ञ के समान फल की प्राप्ति होती है और व्रत पूर्ण माना जाता है।
निष्कर्ष
अजा एकादशी का व्रत न केवल हमारे पापों का नाश करता है, बल्कि हमें आध्यात्मिक और मानसिक शांति भी प्रदान करता है। यह हमें जीवन की कठिनाइयों से लड़ने और धैर्य के साथ आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है। राजा हरिश्चंद्र की कथा इसका सबसे बड़ा प्रमाण है कि इस व्रत के प्रभाव से बड़े से बड़े संकट भी टल जाते हैं।
हमें उम्मीद है कि इस विस्तृत लेख ने आपके मन में Aja Ekadashi 2025 से जुड़े सभी प्रश्नों का समाधान कर दिया होगा। इस दिन पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ व्रत और पूजन करें और भगवान विष्णु की असीम कृपा के पात्र बनें।
जय श्री हरि विष्णु!
संदर्भ और प्रेरणा स्रोत (References & Sources of Inspiration)
Bhavishya Purana (भविष्य पुराण), for the story and significance of Aja Ekadashi.
Drik Panchang & other reliable Panchang sources for dates and muhurat timings.
Hindu scriptures on the rituals and importance of Ekadashi Vrats.