महाशिवरात्रि का व्रत कैसे किया जाता हैं | Mahashivaratri Ka Vart Kaise Kiya Jata Hai

महाशिवरात्रि का व्रत कैसे किया जाता हैं | Mahashivaratri Ka Vart Kaise Kiya Jata Hai

महाशिवरात्रि (Monday) का दिन भगवान शिवजी (Lord Shiva) को समर्पित है. ऐसे में कहा जाता है कि यदि आप महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव का व्रत सच्चे मन से करें तो सारे कष्टों (Pains) से मुक्ति मिलती है. इतना ही नहीं व्रत करने वाले की सभी मनोकामना पूरी होती है. भगवान शिव भक्तों पर कृपा बरसाते हैं. सनातन धर्म में मान्यता है कि भगवान शिव को खुश करने के लिए महाशिवरात्रि की अलसुबह उठकर स्नान कर व्रत का संकल्प लिया जाए तो मनचाही मन्नत पूरी होती है. महाशिवरात्र के दिन भगवान भोलेनाथ के साथ माता पार्वती और नंदी को गंगाजल चढ़ाना चाहिए. लेख के जरिए हम जानेंगे कि महाशिवरात्रि का व्रत कैसे किया जाता है. इस दिन शिवजी पर खास तौर से चंदन, अक्षत, बिल्व पत्र, धतूरा या आंकड़े के फूल चढ़ाने चाहिए. ये सभी चीजें भगवान शिव की प्रिय हैं. इन्हें चढ़ाने पर भोलेनाथ खुश होकर अपनी कृपा बरसाते हैं.

महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव को घी, शक्कर और गेंहू के आटे से बने प्रसाद का भोग लगाना चाहिए. इसके बाद धूप, दीप से आरती करनी चाहिए. इसके बाद प्रसाद को गुरुजनों, बुजुर्गों और परिवार, मित्र सहित ग्रहण करें. मान्यता है कि महाशिवरात्रि के दिन महामृत्युंजय मंत्र का जाप 108 बार करने से भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है. महाशिवरात्रि के दिन शिवलिंग पर गाय का कच्चा दूध चढ़ाने से भगवान शिव की कृपा हमेशा बनी रहती है. इसके अलावा भगवान के अन्य मंत्रों का भी स्मरण करने से भगवान की कृपा बरसती है.

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 Mahashivaratri Ka Vart Kaise Kiya Jata Hai

भगवान शिव का मंत्र-
नम: शिवाय, ऊँ नम: शिवाय॥

महाशिवरात्रि के दिन शिव पूजा में इन बातों का रखें खास ख्याल
महाशिवरात्रि के दिन शिव पूजा में बहुत सी ऐसी चीजें अर्पित की जाती हैं जो अन्य किसी देवता को नहीं चढ़ाई जाती, जैसे- आक, बिल्वपत्र, भांग आदि. इसी तरह माना जाता है कि शिव पूजा में कई ऐसी चीजें होती हैं जो आपकी पूजा का फल देने की बजाय आपको नुकसान पहुंचा सकती हैं.

हल्दी
भगवान शिव की पूजा में हल्दी नहीं चढ़ाई जाती है. हल्दी सौंदर्य की सामग्री है. शास्त्रों के अनुसार शिवलिंग पुरुषत्व का प्रतीक है, इसके कारण भोलेनाथ को हल्दी नहीं चढ़ाई जाती है.

फूल
महादेव को कनेर और कमल के अलावा लाल रंग के फूल प्रिय नहीं हैं, महादेव भोलेनाथ को केतकी और केवड़े के फूल चढ़ाना निषेध माना जाता है. महाशिवरात्रि व्रत के दौरान पूजन करते समय इस बात का ध्यान रखें.

कुमकुम या रोली
शास्त्रों के अनुसार शिव जी को कुमकुम और रोली नहीं लगाई जाती है। महाशिवरात्रि व्रत के दौरान इस बात का ध्यान रखें.

महाशिवरात्रि पूजा में वर्जित है शंख
शंख भगवान विष्णु को बेहद ही प्रिय हैं, लेकिन भगवान शंकर ने शंखचूर नामक असुर का वध किया था इसलिए शंख भगवान शिव की पूजा में उपयोग नहीं किया जाना चाहिए.

नारियल पानी
नारियल पानी से भगवान शिव का अभिषेक नहीं करना चाहिए. पौराणिक मान्यता की मानें तो नारियल को लक्ष्मी का स्वरूप माना जाता है, इसलिए सभी शुभ कार्य में नारियल को प्रसाद के तौर पर ग्रहण किया जाता है लेकिन कहा जाता है कि महाशिवरात्रि के दिन अर्पित होने के बाद नारियल पानी ग्रहण योग्य नहीं रह जाता है.

तुलसी
तुलसी का पत्ता भी भगवान शिव को नहीं चढ़ाना चाहिए. इस संदर्भ में असुर राज जलंधर की बेहद ही प्राचीन कथा है जिसकी पत्नी वृंदा तुलसी का पौधा बन गई थी. भगवान शिव ने जलंधर का वध किया था इसलिए वृंदा ने महाशिवरात्रि व्रत के दौरान पूजा में तुलसी के पत्तों का प्रयोग न करने की बात कही थी.

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