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करवा चौथ 2024: जानें सही तारीख, शुभ मुहूर्त और व्रत की विधि, जो बनाएगी आपके रिश्ते को और भी मजबूत

करवा चौथ 2024 की तारीख और शुभ मुहूर्त की पूरी जानकारी, सरगी से लेकर चंद्रमा पूजन तक की विधि और सोलह श्रृंगार के महत्व को जानें इस आर्टिकल में।

करवा चौथ 2024: सुहागिन महिलाओं की सबसे महत्वपूर्ण व्रत, जानें सही तारीख, शुभ मुहूर्त और तैयारी से जुड़ी हर जानकारी

करवा चौथ का पर्व सुहागिन महिलाओं के लिए बेहद खास होता है। इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और उनके सुखी जीवन के लिए व्रत रखती हैं। करवा चौथ का महत्व सदियों से चला आ रहा है और आज भी यह पर्व हर वर्ष बड़े हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है। इस आर्टिकल में हम जानेंगे करवा चौथ 2024 की तारीख, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और व्रत से जुड़े सभी महत्वपूर्ण पहलुओं को।

करवा चौथ 2024 की तारीख और शुभ मुहूर्त

करवा चौथ का व्रत हर साल कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। यह तिथि हमेशा दीवाली से नौ दिन पहले आती है। 2024 में करवा चौथ का पर्व 17 अक्टूबर को मनाया जाएगा। करवा चौथ के दिन सुहागिन महिलाएं सूर्योदय से पहले उठकर सरगी खाती हैं और फिर पूरे दिन बिना पानी और भोजन के निर्जला व्रत रखती हैं। चंद्रमा के उदय के बाद वे व्रत का पारण करती हैं।

2024 में करवा चौथ का शुभ मुहूर्त:

  • व्रत शुरू करने का समय: सूर्योदय से पहले
  • चंद्रोदय का समय: शाम 08:15 बजे (समय स्थान के अनुसार बदल सकता है)
  • पूजा का शुभ मुहूर्त: शाम 06:05 बजे से रात 07:30 बजे तक

करवा चौथ व्रत की कथा और महत्व

करवा चौथ के व्रत का महत्व पौराणिक कथाओं में बखूबी वर्णित है। ऐसा कहा जाता है कि इस व्रत को करने से महिलाओं को उनके पति की लंबी उम्र और सुखी वैवाहिक जीवन का आशीर्वाद मिलता है। इस व्रत से जुड़ी एक प्रमुख कथा है वीरावती की। वीरावती के पतिव्रता व्रत और दृढ़ संकल्प के कारण उनके पति का जीवन बचा और वह स्वस्थ हो गए।

पौराणिक कथा का सार:

एक समय की बात है, वीरावती नाम की एक महिला ने करवा चौथ का व्रत किया था, लेकिन भूख और प्यास के कारण वह बेहोश हो गई। उनके भाइयों ने उन्हें झूठी चंद्रमा की छवि दिखाकर व्रत तुड़वा दिया। इसके बाद उनके पति की मृत्यु हो गई, लेकिन वीरावती ने दुबारा कठोर तपस्या और व्रत रखा, जिसके फलस्वरूप उनके पति को नया जीवन प्राप्त हुआ। इस कथा के आधार पर आज भी महिलाएं पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ करवा चौथ का व्रत करती हैं।

करवा चौथ व्रत की तैयारी और सरगी का महत्व

करवा चौथ की तैयारी बहुत ही विशेष और रोमांचक होती है। महिलाएं व्रत से पहले रात में सरगी खाती हैं, जो कि उनकी सास द्वारा दी जाती है। सरगी में पौष्टिक और हल्के व्यंजन होते हैं जो पूरे दिन व्रत में शरीर को ऊर्जा प्रदान करते हैं। इसमें सूखे मेवे, फल, मिठाई, और पारंपरिक पकवान शामिल होते हैं।

सरगी में क्या-क्या शामिल होता है?

  • फल: एनर्जी का स्रोत होते हैं और पेट को हल्का रखते हैं।
  • मिठाई: व्रत के दौरान शुगर लेवल को बनाए रखने के लिए।
  • ड्राई फ्रूट्स: शरीर को ऊर्जा देने के लिए।
  • पानी: शरीर को हाइड्रेट रखने के लिए जरूरी है।

सरगी खाने के बाद महिलाएं पूरे दिन पानी की एक बूंद भी नहीं पीती हैं और न ही कुछ खाती हैं। इस व्रत को निर्जला व्रत कहा जाता है, और यह व्रत सुहागिन महिलाओं के लिए एक कठिन परिक्षा के समान होता है।

करवा चौथ की पूजा विधि

करवा चौथ के दिन महिलाएं सोलह श्रृंगार करती हैं और पूजन सामग्री के साथ शाम को पूजा करती हैं। करवा चौथ की पूजा घर पर या सामूहिक रूप से भी की जा सकती है। पूजा के दौरान करवा यानी मिट्टी के छोटे बर्तन का विशेष महत्व होता है, जिसमें जल भरकर भगवान शिव, माता पार्वती और गणेश जी की पूजा की जाती है। महिलाएं कथा सुनती हैं और फिर चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत का पारण करती हैं।

पूजन सामग्री:

  • करवा (मिट्टी का बर्तन)
  • रोली, चावल
  • दिया, धूप
  • फूल, फल
  • दूध, जल
  • स्वीट्स

पूजा की विधि:

  1. सोलह श्रृंगार करके पूजा स्थल पर बैठें।
  2. करवा को बीच में रखकर भगवान शिव, माता पार्वती और गणेश जी की मूर्तियों की स्थापना करें।
  3. चावल, रोली और फूलों से पूजन करें।
  4. करवा चौथ की कथा सुनें।
  5. चंद्रमा के उदय होने पर चंद्रमा को जल से अर्घ्य दें और पति की लंबी उम्र की कामना करें।

चंद्रमा की पूजा का महत्व और विज्ञान

करवा चौथ के व्रत में चंद्रमा को देखने का विशेष महत्व होता है। चंद्रमा को हिंदू धर्म में शीतलता, शांति, और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि चंद्रमा की रोशनी में व्रत का पारण करने से नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है और जीवन में सुख-शांति का आगमन होता है। इसके साथ ही, चंद्रमा की पूजा वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण मानी गई है। चंद्रमा की शीतल किरणों से मन और मस्तिष्क शांत होते हैं, जो व्रत के दौरान शारीरिक और मानसिक ऊर्जा प्रदान करता है।

सोलह श्रृंगार का महत्व

करवा चौथ के दिन महिलाएं पूरे दिन निर्जल व्रत रखती हैं और शाम को सोलह श्रृंगार करती हैं। सोलह श्रृंगार सुहाग का प्रतीक माना जाता है और इसे महिलाएं अपनी पति की लंबी उम्र और वैवाहिक जीवन की खुशहाली के लिए करती हैं। इन सोलह श्रृंगारों में बिंदी, सिंदूर, चूड़ियां, काजल, पायल आदि शामिल होते हैं।

करवा चौथ के दौरान रखें कुछ जरूरी सावधानियां

करवा चौथ का व्रत कठिन होता है, इसलिए इस दौरान कुछ सावधानियां रखना जरूरी होता है, ताकि सेहत पर बुरा प्रभाव न पड़े। आइए जानते हैं कि किन बातों का ध्यान रखना चाहिए:

  1. सरगी में पौष्टिक चीजें खाएं: फलों, मेवों और हल्के व्यंजनों का सेवन करें, ताकि पूरे दिन ऊर्जा बनी रहे।
  2. ताजगी बनी रहे: अगर व्रत के दौरान कमजोरी महसूस हो, तो आराम करें और शरीर को हाइड्रेट रखने के लिए बार-बार पानी से मुँह धो लें।
  3. बुजुर्ग या बीमार महिलाएं विशेष ध्यान रखें: अगर पहले से कोई स्वास्थ्य समस्या है, तो डॉक्टर की सलाह अवश्य लें।

करवा चौथ 2024 के लिए महत्वपूर्ण टिप्स

  1. पूजा की तैयारी पहले से कर लें ताकि समय पर कोई दिक्कत न हो।
  2. समय पर सरगी का सेवन करें, ताकि व्रत आसानी से रखा जा सके।
  3. चंद्रमा के समय का ध्यान रखें और पूजा की सभी सामग्री को तैयार रखें।

निष्कर्ष: करवा चौथ का महत्व

करवा चौथ न केवल पति-पत्नी के रिश्ते को मजबूत बनाता है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और परंपराओं का भी प्रतीक है। यह पर्व महिलाओं के लिए अपनी पति की लंबी उम्र और सुखी जीवन के लिए एक समर्पण है। करवा चौथ 2024 में यह पर्व और भी भव्य रूप में मनाया जाएगा, जहां महिलाएं पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ व्रत रखेंगी और अपने पति के सुखमय जीवन की कामना करेंगी।

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KAMLESH VERMA

दैनिक भास्कर और पत्रिका जैसे राष्ट्रीय अखबार में बतौर रिपोर्टर सात वर्ष का अनुभव रखने वाले कमलेश वर्मा बिहार से ताल्लुक रखते हैं. बातें करने और लिखने के शौक़ीन कमलेश ने विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन से अपना ग्रेजुएशन और दिल्ली विश्वविद्यालय से मास्टर्स किया है. कमलेश वर्तमान में साऊदी अरब से लौटे हैं। खाड़ी देश से संबंधित मदद के लिए इनसे संपर्क किया जा सकता हैं।

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