दीपावली के पांच त्यौहार कैसे, कब और क्यों मनाया जाता है । How, when and why five festivals of Deepawali are celebrated in Hindi
भारत को त्यौहारों का देश कहा जाता है.शायद ही ऐसा कोई देश होगा जहां पर भारत के समान त्यौहार सालभर में मनाए जाते हाे. दीपावली एक सनातन धर्म का पर्व हैं. हिंदू धर्म के लोग इसे पूरे वर्ष में सबसे बड़ा त्यौहार मानते हैं. पर्व को अधर्म पर धर्म की विजय और अंधकार पर रोशनी की विजय के प्रतीक के रूप में मनाया जाता हैं. इस पर्व के इतिहास से जुडी बहुत सारी कहानियां हैं. पर्व की तैयारियों को लेकर एक माह पूर्व से ही तैयारियों शुरू करर दी जाती है. लोग घरों की सफाई कर उसे सजाते है.माता लक्ष्मी का पूजन किया जाता है.
दीपावली का महत्व (Deepawali Ka Mahatva)
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दीपावली पर्व भारत में ही नहीं बल्कि नेपाल, श्रीलंका, मलेशिया, मॉरीशस, सूरीनाम, त्रिनिदाद, अमेरिका और दक्षिण अफ्रीका में भी मनाया जाता हैं. दीपाेत्सव पर्व मुख्य रूप से 5 दिनों का होता हैं. शुरुआत दीपावली के एक दिन पूर्व धनतेरस के साथ होती हैं. दीपाेत्सव के हर दिन का एक विशेष महत्व हैं. जिसके कारण इसे उल्लास और धूमधाम से मनाया जाता हैं.
धनतेरस
दीपावली की शुरुआत धनतेरस से होती हैं. आपकों नाम से ही स्पष्ट हो रहा होगा कि इस दिन धन की देवी माता लक्ष्मी और भगवान धन्वंतरि की पूजा की जाती है. हिंदू धर्म में इस दिन लोग अपने दूकान और व्यवसाय वाली जगह पर माता लक्ष्मी का चित्र रख पूजन करते हैं. इस दिन पर सोना या आभूषण खरीदा जाना बेहद ही शुभफलदायी होता है.
रूपचौदस
दीपावली का दूसरा दिन रूपचौदस का होता हैं. इस दिन महिलाएं घरों में बेसन से बने उबटन का उपयोग कर अपने रूप को निखारती हैं जिसके कारण इसे रूपचौदस कहा जाता हैं. इस दिन को छोटी दीवाली, रूप चौदस और नरक चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है. मान्यता है कि कार्तिक माह कि कृष्ण चतुर्दशी पर विधि-विधान से पूजन करने वाले व्यक्ति को जीवन में किए गए सभी पापों से मुक्ति मिलती है. इसी दिन शाम को दीपदान किए जाने की परंपरा है.
दीपावली
दीपावली इस कड़ी में तीसरे दिन मनाया जाता हैं. पर्व कार्तिक माह की अमावस्या के दिन पड़ता है.सनातन धर्म का यह मात्र ऐसा इकलौत पर्व हैं जो कि अमावस के दिन मनाया जाता हैं. इस दिन लोग माता लक्ष्मी, गणेश व माता सरस्वती का पूजन करते हैं. पर्व के बारे में अनेकों पौराणिक कथाएं प्रचलित है.भारत में लोग इस दिन घरों में दिए जलाते हैं. पूजन के बाद बच्चे पटाखे छोड़ते हैं.
- पहली कथा
भगवान श्रीराम त्रेता युग में रावण को हराकर जब अयोध्या वापस लौटे थे. तब प्रभु श्री राम के आगमन पर सभी अयोध्यावासियों ने घी के दीए जलाकर उनका स्वागत किया था. कारणवश 5 दिनों के उत्सव दीपावली में सभी दिन लोग अपने-अपने घर के मुख्य द्वार पर दिए जलाते हैं.
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- दूसरी कथा
पौराणिक लोक कथाओं के अनुसार नरक चतुर्दशी के दिन भगवान श्री कृष्ण ने आताताई नरकासुर का वध किया था. इसलिए सभी ब्रजवासियों ने दीपों को जलाकर खुशियां मनाई थी.
- तीसरी कथा
एक और कथा में उल्लेख मिलता है कि, राक्षसों का वध करने के लिए माता पार्वती ने महाकाली का रूप धारण किया था. जब राक्षसों का वध करने के बाद महाकाली का क्रोध कम नहीं हुआ तब भगवान शिव स्वयं उनके चरणों में लेट गए थे. और भगवान शिव के स्पर्श मात्र से ही उनका क्रोध समाप्त हो गया था. इसलिए इस दिन माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है.
- चौथी कथा
दानवीर राजा बलि ने अपने तप और बाहुबल से संपूर्ण देवताओं को परास्त कर दिया था और तीनों लोको पर विजय प्राप्त कर ली थी. बलि से भयभीत होकर सभी देवताओं ने भगवान विष्णु से प्रार्थना की कि वे इस समस्या का निदान करें. तब भगवान विष्णु ने वामन अवतार धारण कर महाप्रतापी राजा बलि से सिर्फ तीन पग भूमि का दान मांगा. राजा बलि तीन पग भूमि दान देने के लिए राजी हो गए. भगवान विष्णु ने अपने तीन पग में तीनों लोको को नाप लिया था. राजा बलि की दानवीरता से प्रभावित होकर भगवान विष्णु ने उन्हें पाताल लोक का राज्य दे दिया था. उन्हीं की याद में प्रत्येक वर्ष दीपावली मनाई जाती है
- पांचवी कथा
कार्तिक मास की अमावस्या के दिन सिखों के छठे गुरु हरगोविंद सिंह बादशाह जहांगीर हकीकत से मुक्त होकर अमृतसर वापस लौटे थे. इसलिए सिख समाज भी इसे त्यौहार के रूप में मनाता है. इतिहासकारों के अनुसार अमृतसर के स्वर्ण मंदिर का निर्माण भी दीपावली के दिन प्रारंभ हुआ था.
- छटी कथा
सम्राट विक्रमादित्य का राज्याभिषेक भी कार्तिक मास की अमावस्या के दिन ही हुआ था. इसलिए सभी राज्यवासियों ने दीप जलाकर खुशियां मनाई थी.
गोवर्धन पूजा
चौथे दिन गोवर्धन और धोक पड़वा के रूप में मनाया जाता हैं. इस दिन सभी अपनों से बड़ों के घर जाकर आशीर्वाद लेते हैं. और इस दिन गौमाता की भी पूजा की जाती हैं.
भाईदूज
दीपाेत्सव का आखिर दिन भाईदूज का पर्व मनाया जाता हैं. यह भाई-बहन का त्यौहार हैं. इस दिन बहन अपने भाई को अपने घर पर बुलाती हैं. और उसकी लम्बी उम्र की कामना करती हैं. भाई अपनी बहन को इस त्यौहार पर उपहार भेट करता हैं. इस पर्व से जुडी एक कथा भी हिन्दू पुराणों में मौजूद हैं. जिसके अनुसार सूर्यपुत्र यमराज और उनकी बहन यमुना में अपार स्नेह था. यमुना यम से बार-बार निवेदन करती कि इष्ट मित्रों सहित उसके घर आकर भोजन करो. अपने कार्य में व्यस्त यमराज बात को टालता रहा. कार्तिक शुक्ला का दिन आया. यमुना ने उस दिन फिर यमराज को भोजन के लिए निमंत्रण देकर, उसे अपने घर आने के लिए वचनबद्ध कर लिया.
दीपावली तिथि और शुभ मुहूर्त (Deepawali 2022 Puja Shubh Muhurat )
शुभ मुहूर्त और तिथि
निशिता काल – 24 अक्टूबर, 23:39 से 00:31
सिंह लग्न – 24 अक्टूबर, 00:39 से 02:56
स्थिर लग्न के बिना लक्ष्मी पूजा का मुहूर्त
अमावस्या तिथि प्रारंभ – 24 अक्टूबर 2022 को 06:03 बजे
अमावस्या तिथि समाप्त – 24 अक्टूबर 2022 को 02:44 बजे
लक्ष्मी पूजा मुहूर्त (akshmi Puja Muhurat):18:54:52 से 20:16:07
कुल अवधि: 1 घंटा 21 मिनट
प्रदोष काल:17:43:11 से 20:16:07
वृष अवधि:18:54:52 से 20:50:43
दिवाली शुभ चौघड़िया मुहूर्त
सुबह का मुहूर्त (शुभ): 06:34:53 से 07:57:17
सुबह का मुहूर्त (चल, लाभ, अमृत): 10:42:06 से 14:49:20 तक
संध्या मुहूर्त (शुभ, अमृत, चल): 16:11:45 से 20:49:31 तक
रात्री मुहूर्त (लाभ): 24:04:53 से 25:42:34 तक