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नरक चतुर्दशी 2020 की पूजा विधि, मुहूर्त समय और कथाएं हिंदी में | Naraka Chaturdashi (Roop Chaudas) Puja Vidhi, Muhurat Samay and Story in Hindi
नरक चतुर्दशी पर्व दिवाली के एक दिन पूर्व मनाया जाता है.चतुर्दशी जिसे काली चौदस, रूप चौदस, नरक निवारण चतुर्दशी के नामों से भी जाना जाता है. पर्व कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि के दिन आता है. इस दिन भगवान श्री कृष्ण ने नरकासुर नामक राक्षस का वध किया था. कारणवश इस दिन को नरक चतुर्दशी कहा जाता है.
अभ्यंग स्नान मुहूर्त | 05:22:59 से 06:43:18 तक |
कुल समय | 1 घंटा 13 मिनट |
कब है नरक चतुर्दशी | 14 नवंबर, 2020 |
किस दिन | शनिवार |
सनातन धर्म में सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान करने की परंपरा है. जिसके बाद चन्दन का उबटन एवं तिल के तेल काे शरीर पर लगाया जाता है. नहाने के बाद भगवान सूर्य को अर्ध्य दिया जाता है. इस दिन धर्मराज यम की पूजा की जाती है. रात के समय लोग घरों की चौखट पर यम के दीप लगाते हैं. चौदस के दिन अंजनी पुत्र हनुमान की भी पूजा की जाती है.
नरक चतुर्दशी मनाने के पीछे कई कथाएं प्रचलित है.
एक पौराणिक कथा में उल्लेख मिलता है कि रंतिदेव नामक एक धर्मात्मा राजा थे. रंतिदेव धार्मिक अनुष्ठाानों के कार्य में सदैव आगे रहते थे. उन्होंने अपने संपूर्ण जीवन कोई पाप नहीं किया था. जब राजा की मृत्यु का समय निकट आया तो उनके सामने यमदूत आ खड़े हुए. यमदूत को सामने देख राजा रंतिदेव अचंभित हो गए और उन्होंने धर्मराज से कहा कि मैंने तो जीवन में किसी प्रकार का कोई पाप नहीं किया सदैव ही धार्मिक कार्य किए है. फिर आप मुझे लेने क्यों आए हैं. जब भी धर्मराज हम किसी को लेने आते हैं तो इसका मतलब उस व्यक्ति को नर्क में जाना पड़ता है. राजा रंतिदेव ने कहा कि आपके यहां आने का मतलब मुझे नर्क में जाना होगा. आप बताएं कि मेरे किस अपराध के कारण मुझे यह सजा मिल रही है.
यमराज ने राजा रंतिदेव से कहा कि हे राजन एक बार आपके द्वार से एक ब्राह्मण भूखा लौट गया था यह आपके उसी पाप कर्म का फल है. इसके बाद राजा ने यमदूत से 1 वर्ष का समय मांगा. धर्मराज ने राजा रंतिदेव को 1 वर्ष का समय दिया. राजा रंतिदेव अपनी समस्या को लेकर ऋषियों के पास पहुंचे और उन्होंने अपनी सारी परेशानी बताई. जिसके बाद महात्माओं से परेशानी का समाधान पूछा. ऋषि ने उन्हें बताया कि कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि के दिन आप व्रत करें और सैकड़ों ब्राह्मणों को भोजन करवाएं. आपसे अनजानें में हुए अपराधों के लिए क्षमा याचना करें. राजा ने ऋषिओं के बताएं अनुसार कार्य किया. जिसके बाद उन्हें नर्क की जगह विष्णु लोक में स्थान मिला. इसलिए नर्क कि मुक्ति की चाह रख लोग कार्तिक चतुर्दशी या नरक चतुर्दशी के दिन व्रत करते हैं.
पुराणों की मानें तो भगवान श्री कृष्ण ने दानव नरकासुर का वध किया था. नरकासुर ने देवताओं की माता अदिति के आभूषण छीनकर, सभी देवताओं, सिद्ध पुरुषों और राजाओं की 16100 कन्याओं का अपहरण कर उन्हें बंदी बना लिया था. नरकासुर ने वरुण देवता को भी छत्र से वंचित कर दिया था. भगवान श्री कृष्ण ने सभी देवताओं की रक्षा करने हेतु नरक चतुर्दशी के दिन है राक्षस नरकासुर का वध किया था.
हिरण्यगर्भ नामक राजा अपना राज पाठ छोड़कर साधना करने का संकल्प किया और कई सालों तक जंगल में कठौर तपस्या की. लेकिन इस कठोर तपस्या के दौरान उनके शरीर में कीड़े लग गए और उनका शरीर सड़ने लगा. हिरण्यगर्भ इस बात से बेहद दुखी हुए. जिसके बाद उन्होंन अपनी पीड़ा को देव ऋषि नारद के समक्ष रखा. नारद ने उनसे कहा कि आपने साधना के दौरान शरीर की स्थिति सही नहीं रखी थी इसलिए यह आपके ही कर्मों का फल है. समस्या का समाधान पूछने पर नारद ने उनसे कहा कि कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष में त्रयोदशी तिथि के दिन अपने शरीर पर उबटन का लेप लगाकर सूर्योदय के पूर्व स्नान करें. जिसके बाद भगवान सूर्य को अर्ध्य देकर सौंदर्य के देवता श्री कृष्ण की पूजा कर उनके आरती करना. हिरण्यगभ ने ऐसा ही किया और अपने शरीर को स्वस्थ किया.
एक प्राचीन लोक कथा के अनुसार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि के दिन भगवान हनुमान ने माता अंजनी के गर्भ से जन्म लिया था. दुखों एवं कष्टों से मुक्ति प्राप्त करने के लिए बल और बुद्धि के देवता हनुमान जी की पूजन किए जाने की मान्यता है.इस बात का उल्लेख वाल्मीकि की रामायण में मिलता है. सनातन धर्म में चेत्र माह की पूर्णिमा और कार्तिक मास की चतुर्दशी के दिन हनुमान जयंती मनाई जाती है.
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