जरीब किसे कहते है | जरीब के प्रकार | एकड़ बीघा सम्बन्ध

जरीब किसे कहते है | जरीब के प्रकार | एकड़ बीघा सम्बन्ध
दोस्तों यदि आपने किसी भी खाली प्लॉट या खेत का नापतौल होते देखा होगा तो जरीब नाम से सुना ही होगा। यदि नाम नहीं भी सुना हो तो आपने नपाई के दौरान दो लोगों को लोहे ती जंजीर पकड़े प्लॉट या खेत पर खड़े हुए देखा होगा। खेत या प्लॉट की नपाई के लिए प्रयोग में होने वाली लोहे की जंजीर का प्रशासनिक नाम जरीब है। उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में अलग-अलग मापों की जरीबें (Chains) प्रयोग होती हैं। जरीब (جریب) लम्बाई नापने की एक इकाई होती है। कड़ियों के समूह या जिस जंजीर से यह दूरी नापी जाती है उसे भी जरीब कहते हैं। मुख्य रूप से जरीब तीन प्रकार की होती हैं – दाशमिक जरीब, गन्ट्री जरीब और शाहजहानी जरीब। अब हम इन जरीबों के बारे में विस्तार से जानेंगे।
जरीब के प्रकार
जरीब (दाशमिक प्रणाली वाली)
एक जरीब = 20 मीटर = 10 गट्ठा = 100 कड़ी
एक गट्ठा = 2 मीटर
एक कड़ी = 20 सेंटीमीटर
जरीब गन्ट्री (एकड़ वाली)
एक कड़ी = 7.92 इंच
एक गट्ठा = 10 कड़ी = 2.2 गज या 2
गज
एक जरीब = 22 गज = 66 फीट = 10 गट्ठा = 100 कड़ी
10 जरीब = 1 फर्लांग = 220 गज
80 जरीब = 1 मील = 1760 गज
जरीब शाहजहानी
शाहजहानी जरीब (Shahjahani Jarib) लम्बाईयों के आधार पर 8 प्रकार की होती हैं। मानक (Standard) बीघा वाली पूरी जरीब 55 गज की होती है, परन्तु भारी होने के कारण शाहजहानी जरीब का आधा भाग ही माप के लिए इस्तेमाल में लाया जाता है। इस्तेमाल में आने वाली जरीब आधी अर्थात 27.5 गज की होती है।
पूरी जरीब x पूरी जरीब = 1 बीघा (मानक / पक्का)
55 गज x 55 गज = 3025 वर्ग गज = एक मानक पक्का बीघा
विभिन्न जिलों में अलग-अलग मापों की जरीब प्रयोग में लायी जाती थीं। इनको नीचे तालिका में दिया गया है।क्षेत्रानुसार एकड़ बीघा सम्बन्ध भी तालिका में दिया गया है।
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