आइए बच्चों में होने वाले इस सूखा रोग के लक्षण, कारण और उपचार के बारे में विस्तार से जानते हैं. (Sukha Rog Ke Totke In Hindi)
वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण के खतरों के बीच ही इन दिनों सूखा रोग (Sukha rog ke totke in hindi) के मरीजों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है. इस बात की पुष्टि दिल्ली स्थित इंडियन स्पाइनल इंजरी सेंटर द्वारा एक प्रेस बयान जारी कर की गई है. इसमें बताया गया है कि दिल्ली में पिछले साल से ही रिकेट्स यानी सूखा रोग के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. इंडियन स्पाइनल इंजरी सेंटर (आईएसआईसी) के अनुसार अस्पताल में हर महीने लगभग 12 मामले सूखा रोग के आ रहे हैं.
सूखा रोग हड्डियों से संबंधित एक बीमारी है जो शरीर में विटामिन डी की कमी से होती है. यह बीमारी मुख्य रूप से 2 से 14 साल की उम्र के बच्चों में देखी जाती है. इस रोग में बच्चों की हड्डियां कमजोर हो जाती हैं, जिस कारण हड्डियों या जोड़ों में दर्द समेत कई तरह की गंभीर समस्याओं के होने की आशंका बनी रहती है.
आइए बच्चों में होने वाले इस सूखा रोग के लक्षण, कारण और उपचार के बारे में विस्तार से जानते हैं. (Sukha Rog Ke Totke In Hindi)
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सूखा रोग क्या है?
सूखा रोग बच्चों में होने वाली एक गंभीर अवसाद है, जो शरीर में विटामिन डी, कैल्शियम और फॉसफोरस की कमी से होती है. इसके अलावा इस बीमारी के अनुवांशिक कारण भी हो सकते हैं. विटामिन डी भोजन के जरिए बच्चों के शरीर में कैल्शियम और फॉस्फोरस को अवशोषित करने में सहायता करता है. शरीर में विटामिन डी की कमी होने से इन तत्वों की भी कमी हो जाती है. विटामिन डी, कैल्शियम और फॉस्फोरस की कमी से बच्चों की हड्डियां कमजोर होती हैं जिस कारण उनमें सूखा रोग हो जाता है.
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यदि सूखा रोग (Sukha Rog in Hindi) सिर्फ विटामिन डी की कमी के कारण उत्पन्न होता है तो वह आसानी से ठीक हो जाता है लेकिन आनुवांशिक कारणों या शरीर की किसी अन्य समस्या से कारण होने वाले इस रोग की समस्या में इलाज की प्रक्रिया बेहद ही जटिल और लंबी हो सकती है. यह रोग ज्यादातर बच्चों में होता है लेकिन इसका उचित समय पर उपचार न होने पर वयस्कों में भी इसके लक्षण बने रहते हैं. इस रोग की समस्या गंभीर होने पर मरीजों को सर्जरी की भी आवश्यकता पड़ सकती है.
कई बार तो यह बीमारी लंबे समय से घर के अंदर रहने के कारण भी हो सकती है. जिन बच्चों के शरीर पर सूर्य की किरणें सही से नहीं पड़ती हैं उनमें विटामिन डी की कमी का खतरा बना रहता है और इस कारण उनमें सूखा हो सकता है. कुछ मामलों में कुपोषण के कारण भी बच्चों में इस बीमारी की समस्या सामने आई है.
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सूखा रोग के कारण– Sukha Rog in Hindi
नवजात शिशुओं को सही पोषण मां के दूध से ही मिलता है लेकिन बच्चा जब 6 महीने का हो जाता है तो उसे कॉम्प्लीमेंट्री फीडिंग की जरूरत होती है. उचित पोषण नहीं मिलने पर उनके शरीर में विटामिन डी की कमी हो जाती है, जिस कारण भोजन से कैल्शियम और फॉस्फोरस का अवशोषण सही तरीके से नहीं हो पाता. यही कारण है कि बच्चों की हड्डियां कमजोर होती हैं और उन्हें सूखा रोग की समस्या होती है.
बच्चे के शरीर में विटामिन डी की कमी, कुपोषण के अलावा सूखा रोग के कई अन्य कारण भी हैं. आइये जानते हैं सूखा रोग की समस्या के प्रमुख कारणों के बारे में-
- शरीर में विटामिन डी, कैल्शियम और फॉस्फोरस की कमी.
- सूरज की रोशनी का नहीं पड़ना.
- सीलिएक डिजीज के कारण.
- किडनी से जुड़ी समस्याओं के कारण.
- वायु प्रदूषण के उच्च स्तर वाले स्थान पर रहना.
- आनुवांशिक कारण.
- शरीर में मेटाबोलिज्म से जुड़ी समस्या.
सूखा रोग के जोखिम
- कई बच्चों में जन्म के समय से ही सूखा रोग का जोखिम रहता है. बच्चों में इस रोग होने के प्रमुख जोखिम कारक इस प्रकार से हैं.
- डार्क स्किन की वजह से बच्चों में इसका खतरा बढ़ जाता है. ऐसी स्किन वाले बच्चों में मेलेनिन के कारण सूरज की रोशनी से विटामिन डी का उत्पादन कम होता है. जिस कारण विटामिन डी की कमी होती है और सूखा रोग का खतरा बढ़ जाता है.
- गर्भावस्था के दौरान मां के शरीर में विटामिन डी की कमी होने पर बच्चों में सूखा रोग का जोखिम बढ़ जाता है. कई बार जन्म से ही बच्चों में सूखा रोग की समस्या देखी जाती है या फिर जन्म के कुछ समय बाद बच्चे इस गंभीर समस्या का शिकार हो जाते हैं.
- प्रीमैच्योर डिलीवरी में भी बच्चों में सूखा रोग का खतरा बढ़ता है.
- खराब पोषण के कारण भी बच्चों में यह रोग होता है.
- एचआईवी संक्रमण के इलाज में इस्तेमाल की जाने वाली एंटीरेट्रोवायरल और अन्य दवाओं के सेवन की वजह से भी बच्चों में सूखा रोग का जोखिम बढ़ जाता है.
- कम धूप वाले स्थान में रहने वाले बच्चे में भी इसकी संभावना बनी रहती है.
सूखा रोग के लक्षण
1. हड्डियों में कमजोरी होना.
2. कोहनी और कलाई के चौड़े जोड़.
3. दिव्यांगता की समस्या.
4. पैरों और रीढ़ की हड्डियों में दर्द.
5. मांसपेशियों का कमजोर हो जाना.
6. ब्रेस्टबोन प्रोजेक्शन.
7. हड्डियों का टेढ़ापन.
8. बच्चों के विकास में समस्या.
9. हड्डियों का आसानी से टूट जाना.
सूखा रोग का इलाज
इस बीमारी (Sukha Rog in Hindi) से पीढ़ित शिशुओं के उपचार के लिए चिकित्सक शरीर में कैल्शियम, फॉस्फोरस और विटामिन डी की मात्रा बढ़ाने के लिए दवाएं देते हैं. इतना ही नहीं सूरज की रोशनी के संपर्क को बढ़ाने की सलाह भी दी जाती है. बच्चों के डाइट में विटामिन डी समेत कैल्शियम और फॉस्फोरस की मात्रा का विशेष ध्यान रखना जरूरी होता है. सामान्य तौर पर इस बीमारी को कुछ दवाओं के सेवन और डाइट से ठीक किया जा सकता है. जिन बच्चों में गंभीर समस्याएं होती हैं उन्हें इलाज के साथ-साथ सर्जरी की भी जरूरत पड़ सकती है.
सूखा रोग से बचाव
- बच्चों के खानपान का विशेष ध्यान रखा जाना.
- गर्भवती महिलाओं को विटामिन डी की कमी होने पर नियमित रूप से विटामिन डी, कैल्शियम और फॉस्फोरस की खुराक का सेवन करवाना.
- बच्चे को रोजाना कम से कम 10 से 15 मिनट तक धूप के संपर्क में रहना.
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