हिंदू धर्म की महिलाओं के लिए करवाचौथ के त्यौहार का विशेष महत्व रखता है. यह व्रत पति की दीघार्यु की कामना के उद्देश्य से किया जाता है. हिंदू धर्म में सभी व्रतों से करवाचौथ के व्रत को सबसे कठिन बताया गया है. व्रत निर्जल रखा जाता है और शाम को पूजा करके, चंद्रोदय के बाद चन्द्रमा को अर्घ्य देकर अपने व्रत का पारण किया जाता है। जिसके बाद पति के हाथों जल ग्रहण कर व्रत को खोला जाता है.
कार्तिक मास के कृष्णा पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी के नाम से जाना जाता है और इसे ही करवा चौथ कहा जाता है. सिर्फ इतना ही नहीं, भारत के कुछ प्रांतों में करवाचौथ को करक चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है. करवा या करक का अर्थ घड़ा होता है, जिससे चंद्रोदय के बाद चन्द्रमा को अर्घ्य दिया जाता है. चलिए इस लेख में हम जानते है की साल 2023 में करवाचौथ कब की है – Karva Chauth Kab Hai 2023 Date
साल 2023 में करवाचौथ कब की है – Karva Chauth Kab Hai 2023 Mein Date
करवाचौथ के दिन सुहागन महिलाएं, सूर्योदय से पहले स्नान आदि करके अपनी सास द्वारा भेजी गई सरगी ग्रहण करती है. जिसके बाद पूरा दिन निराहार व्रत रहकर चंद्रोदय के बाद चन्द्रमा को अर्घ्य देकर अपने व्रत का पारण करती है.
2023 Mein Karva Chauth Vrat Kab Hai- हिन्दू धर्म ग्रंथाें के अनुसार, करवा चौथ हर वर्ष कार्तिक मास की कृष्णा पक्ष की चतुर्थी के दिन किया जाता है. साल 2023 में करवाचौथ का व्रत 31 अक्टूबर 2023 का है, जिस दिन मंगलवार है. विवाहित स्त्रियों के साथ साथ, अविवाहित स्त्रियाँ भी इस व्रत को अच्छे वर की कामना के लिए रखती है.
करवाचौथ का शुभ मुहूर्त 2023 – Karvachauth Shubh Muhurat 2023
इस दिन चाँद निकलने से पहले व्रत में पूजा की जाती है और चाँद दिखाई देने के बाद व्रत को खोला जाता है.
Karva Chauth 2023 Shubh Muhurat- करवाचौथ की पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 5 बजकर 36 मिनट से शाम 6 बजकर 42 मिनट तक है. जो करीब 1 घंटे 6 मिनट तक का है. इस दिन व्रत के लिए चंद्रोदय का समय 8 बजकर 15 मिनट रहेगा.
करवाचौथ के कुछ नियम
करवाचौथ का व्रत बहुत ही महत्वपूर्ण व कठिन होता है, जिस वजह से इस व्रत को नियम अनुसार और पूरी सावधानी पूर्वक करना चाहिए। इस व्रत के नियम कुछ इस प्रकार है-
- करवाचौथ का व्रत सूर्योदय से पहले से शुरू कर चाँद निकलने तक रखना चाहिए और चन्द्रमा के दर्शन के पश्चात ही इसको खोला जाता है.
- शाम के समय चंद्रोदय से 1 घंटा पहले सम्पूर्ण शिव परिवार की पूजा की जाती है.
- पूजन के समय देव प्रतिमा का मुख पश्चिम की तरफ होना चाहिए तथा स्त्री को पूर्व की तरफ मुख करके बैठना चाहिए.
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