15 मार्च 2023, बुधवार को शीतला अष्टमी है. यह पर्व होली के आंठवे दिन मनाया जाता है. भारत में इसे बासौड़ा भी कहते हैं. बासौड़ा यानी इस दिन शीतला माता को बासी पकवानों का भोग चढ़ाया जाता है. और पूजन करने वाली महिलाएं स्वयं भी बासी खाना ही खाती है. (Sheetala Ashtami Pr Na Kare Ye Kaam)
शीतलाष्टमी के एक दिन पूर्व छठ के दिन ही माता को भोग लगाने के लिए बासी प्रसाद यानी बसौड़ा तैयार कर लिया जाता है. अष्टमी तिथि को बासी पदार्थ ही देवी को नैवेद्य के रूप में भोग लगाया जाता है. बासी भोजन ही भक्तों के बीच प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता है.
ये भी पढ़े – सप्तमी और अष्टमी पर शीतला माता की पूजा की विधि
इस कारण से ही संपूर्ण उत्तर भारत में शीतलाष्टमी त्यौहार, बसौड़ा के नाम से जाना जाता है. पौराणिक धार्मिक मान्यता है कि इस दिन के बाद से बासी खाना खाना बंद कर दिया जाता है. ये ऋतु का अंतिम दिन होता है जब बासी खाना खा सकते हैं.
शीतला सप्तमी को ही शरीर को शीतलता प्रदान करने वाले भोजन दाल भात पूड़ी, दही की लस्सी, हरी सब्ज़ियां बनाई जाती है जो अगले दिन ठंडी और बासी खायी जाती है और दूसरे दिन शीतला अष्टमी मनाई जाती है. आइए जानते हैं इस दिन कौन से काम भूलकर भी नहीं करने चाहिए….
- जो महिला शीातला अष्टमी का व्रत करती है उन्हें ध्यान रखना चाहिए कि इस दिन अग्नि प्रज्वल्लित नहीं की जाती. इसलिए इस दिन भूलकर भी आग न जलाएं. मां शीतला की आरती भी जल से करें.
- माता शीतला को भोग लगाने वाले भोजन में तीखा, नमक और खटाई बिल्कुल भी नहीं बनाएं. इन चीजों से बने हुए भोजन का भोग मां शीतला को लगाना वर्जित माना गया है. इस बात का विशेष ध्यान रखें.
- शीतला अष्टमी के दिन महिलाएं भूलकर भी अपने घर में चूल्हा न जलाएं. हिंदू शास्त्रों में इस दिन चूल्हा जलाना वर्जित माना गया है. यदि आप ऐसा करते हैं तो आपको मां शीतला के क्रोध का सामना करना पड़ेगा. परिवार पर बीमारी का प्रकाेप आ सकता हैं.
ये भी पढ़े – शीतला अष्टमी या बसोड़ा की कथा, महत्व तथा विधि
- इस दिन माता शीतला की पूजा करते समय आपको गाढ़े रंग के वस्त्र बिल्कुल भी नहीं पहनने चाहिए और न हीं नए वस्त्र पहनकर पूजा करनी चाहिए.
- शीतला अष्टमी के दिन घर में झाडू लगाना भी वर्जित माना गया है. इसलिए व्रत करने वाली महिलाओं को इस दिन भूलकर घर में झाडू बिल्कुल भी लगाएं.
- इस दिन ऊनी वस्त्रों को न तो पहना जाता है और नहीं उसे बिछाया जाता है. ऐसा करना भी शीतला अष्टमी के दिन मना है, इसे वर्जित माना जाता है.
- इस दिन सूईं में धागा डालना भी वर्जित माना गया है। इसलिए भूलकर भी शीतला अष्टमी के दिन सूईं में धागा बिल्कुल भी न डालें.
- माता शीतला के भोग में प्याज और लहसुन का प्रयोग बिल्कुल भी न करें और न हीं इस दिन प्याज और लहसुन का सेवन करें। यदि आप ऐसा करते हैं तो आपको माता शीतला के क्रोध का सामना करना पड़ सकता है. परिवार पर किसी प्रकार की आपदा आ सकती है.
- इस दिन भूलकर भी शराब और मांसाहार का प्रयोग बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए. यदि आप ऐसा करते हैं तो आपकी संतान को कोई गंभीर रोग हो सकता है.
- शीतला अष्टमी के दिन भूलकर भी किसी जानवर को न तो तंग करें और न हीं उसे मारें विशेषकर गधे को क्योंकि गधे को माता शीतला का वाहन माना जाता है. आपके ऐसा करने से आपको कोई कुष्ठ रोग हो सकता है.
इसे भी पढ़े :