Skand Shasti 2023 – स्कंध षष्ठी व्रत 2023 संपूर्ण कैलेंडर – दोस्तों यदि आप स्कंद षष्ठी व्रत करना चाहते हैं तो आपकों हमारे द्वारा पोस्ट में बताई गई संपूर्ण व्रत विधि का पूर्ण रूप से पालन करना होगा। पोस्ट के जरिए आपकों स्कंध षष्ठी व्रत के संबंध में संपूर्ण व्रत विधि को विस्तार पूर्वक सरल भाषा में बताया गया है। भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र कार्तिकेय को ही स्कंध नाम से जाना जाता है। हिंदू कैलेंडर के आषाढ़ शुक्ल पक्ष और कार्तिक मास शुक्ल पक्ष के विशिष्ट अतिथि को स्कंध षष्ठी व्रत के नाम से जाना जाता है। भगवान शिव के ज्येष्ठ पुत्र कार्तिकेय जो कि भगवान श्री गणेश के बड़े भ्रात हैं। इनकी आस्था में ही स्कंद षष्ठी व्रत रखा जाता है। आमतौर पर इस व्रत का दक्षिण भारत में विशेष महत्व है, उक्त क्षेत्र में इस व्रत को श्रद्धा और विधि विधान से किया जाता है। भारत के अन्य प्रांतामें इस व्रत को ‘संतान षष्ठी’ नाम से भी जाना जाता है। यह व्रत प्रत्येक मास की कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को पूरे विधि विधान के साथ उपासकों द्वारा किया जाता है। विशेष रूप से चैत्र, आश्विन और कार्तिक मास की षष्ठी को इस व्रत को आरंभ करने का प्रचलन अधिक है।
Skand shasti – स्कंद षष्ठी इस व्रत का परिपालन के पूर्व आप इस व्रत की विशेषता इस पोस्ट के जरिए जानेंगे। अत: आपसे अनुरोध है कि, उक्त पोस्ट को शुरू से लेकर अंत तक जरू पढ़े।
आईये जानते है स्कंद षष्ठी व्रत का महत्व क्या है – Jante Hai Skand Shasti Vrat Ka Mahatva Kya Hai
Table of Contents
Skand shasti – स्कंद षष्ठी व्रत संतान के ऊपर छाई पीड़ा को दूर करने के लिए महिलाओं द्वारा रखा जाता है। पौराणिक मान्यता है कि, स्कंद षष्ठी के दिन पर शिव-पार्वती की पूजा के साथ ही स्कंद का भी पूजन किया जाता है। स्कंद षष्ठी व्रत विशेष रूप से दक्षिण भारत के लोगोंं द्वारा किया जाता है। विशेषतौर पर तमिलनाडु में इस व्रत को बड़े ही उत्साह और उमंग के साथ किया जाता है। दक्षिण भारत में कार्तिकेय को कुमार, स्कंद और मुरुगन के नाम से भी जाना जाता है।
Skand shasti – दक्षिण भारत में उक्त व्रत को ‘संतान षष्ठी’ नाम से भी जाना जाता है। दक्षिण भारत में लोक मान्यता है कि, इस व्रत को धारण करने पर संतान पर आए तमाम प्रकार के दुखों और कष्टों का अंत हाे जाता है। जिन उपासकों को घर में परेशानी होती है और संतान सुख प्राप्त नहीं है। तथा संतान को किसी प्रकार की व्याधि है। ऐसे में कोई भी जातक इस व्रत को धारण कर सकता है। इस व्रत को रखना बहुत ही आसान है। तथा एक दिन पूर्व व्रत रख कर षष्ठी को कार्तिकेय का पूजन किया जाता है।
स्कंद षष्ठी व्रत के लाभ – Skand Shasti Vrat Ke Labh
Skand shasti – हिंदू धर्म की धार्मिक पौराणिक कथाओं और स्कंदपुराण की मानेंं तो नारद-नारायण संवाद में इस व्रत की महिमा का वर्णन मिलता है। इस व्रत को धारण करने से पुत्र पर आए सभी प्रकार के संकट नष्ट होते हैै। सभी प्रकार के कष्टों का अंत होता है।
Skand shasti – व्रत का विशेष लाभ के रूप में च्यवन ऋषि को आंखों की ज्योति प्राप्त हुई थी। हिंदू धर्म की पौराणिक कथा में सुनने को मिलता है कि, स्कंद षष्ठी की कृपा से प्रियव्रत का मृत शिशु जीवित हो गया था।
Skand shasti – सनातन धर्म की पौराणिक मान्यता की मानें तो, स्कंद षष्ठी व्रत को स्वास्थ्य की दृष्टि से भी देखा जाता है। व्रत धारण करने वाले जातकों को स्वास्थ्य संबंधित जो भी कष्ट होते हैं उसने निश्चित तौर पर छुटकारा मिलता है। स्वास्थ्य संबंधी दुखों के निवारण के लिए ही इस व्रत को धारण किया जाता है।
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स्कन्द षष्ठी व्रत के दिन – Skand Shasti Vrat Ke Din
12 महीने | मुहूर्त | दिनांक |
जनवरी | प्रारम्भ – 11:10, जनवरी 07 | शुक्रवार, जनवरी 07,2022 |
फरवरी | प्रारम्भ – 03:46, फरवरी 06 | रविवार, फरवरी 06,2022 |
मार्च | प्रारम्भ – 22:32, मार्च 07 | मंगलवार,मार्च 08,2022 |
अप्रैल | प्रारम्भ – 18:01, अप्रैल 06 | बुधवार,अप्रैल 06,2022 |
मई | प्रारम्भ – 12:32, मई 06 | शुक्रवार,मई 06,2022 |
जून | प्रारम्भ – 04:52, जून 05 | रविवार, जून 05,2022 |
जुलाई | प्रारम्भ – 18:32, जुलाई 04 | सोमवार,जुलाई 04,2022
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अगस्त | प्रारम्भ – 05:41, अगस्त 03 | बुधवार,अगस्त 03,2022 |
सितम्बर | प्रारम्भ – 14:49, सितम्बर 01 | गुरुवार,सितम्बर 01,2022 |
अक्टूबर | प्रारम्भ – 22:34, सितम्बर 30 | शनिवार,अक्टूबर 01,2022 |
नवम्बर | प्रारम्भ – 13:35, नवम्बर 28 | सोमवार,नवम्बर 28,2022 |
दिसम्बर | प्रारम्भ – 22:52, दिसम्बर 27 | बुधवार , दिसम्बर 28,2022 |
स्कंद षष्ठी त्यौहार का महत्व – SKand Shasti Tyohar Ka Mahatva
Skand shasti – प्रतिवर्ष स्कंद षष्ठी व्रत को दक्षिण भारत में बड़े ही उत्साह और उमंग के साथ मनाया जाता है, स्कंद षष्ठी 2023 भी उमंग के साथ मनाया जाएगा। इस दिन भगवान श्री कार्तिकेय अर्थात श्री माता पार्वती के जेष्ठ पुत्र कार्तिकेय का पूजन किया जाता है। यह दक्षिण भारत के प्रमुख और विशेष त्योहारों में से एक है। इस दिन यहां लोग कार्तिकेय को मुरुगन नाम से पूजन करते हैं।
Skand shasti – हिंदू धर्म की लोक मान्यताओं के अनुसार इस षष्ठी का उपवास रखने वाले जातकों को विशेष फलों की प्राप्ति होती है। इस व्रत को सुख समृद्धि का प्रभाव भी कहा जाता है। तथा इस छह दिवसीय उत्सव में सभी भक्त बड़ी संख्या में भगवान कार्तिकेय के मंदिरों में इकट्ठा होते हैं। तथा भक्ति भाव से कार्तिकेय की पूजा करते हैं और व्रत धारण करते हैं।
स्कंद षष्ठी त्यौहार की पूजा विधि – Kand Shasti Tyohar Ki Puja Vidhi
Skand shasti – वर्ष स्कंद षष्ठी 2023 बहुत शुभ मुर्हूत में है , षष्ठी के दिन श्रद्धालु व्रत का संकल्प लेते हैं। साथ ही भगवान मुरुगन का पाठ बड़े भक्ति भाव से करते हैं। भगवान मुरुगन के मंदिर में सुबह जाकर उनकी पूजा करने का नियम है। व्रत करने वाले जातक इस दिन निराहार रहते है और सिर्फ 1 दिन फलाहार लेते हैं। यह उत्सव 6 दिनों तक लगातार चलता है और जो जातक 6 दिन लगातार एक वक्त व्रत रखता है। उन्हें अभीष्ट फलों की प्राप्ति होती है।
Skand shasti – स्कंद षष्ठी व्रत धारण करने वाले श्रद्धालु ‘ॐ तत्पुरुषाय विधमहे: महा सैन्या धीमहि तन्नो स्कंदा प्रचोदयात’ मंत्र का जाप करते हैं। इस मंत्र का जाप बहुत ही शुभ फलों की प्राप्ति करवाता है। इस व्रत को धारण करने वाले श्रद्धालुओं को यह भी ध्यान रखना चाहिए कि इस दिन किसी प्रकार के तामसी भोजन का उपभोग नहीं करना चाहिए। तथा इस दिन किसी से लड़ाई झगड़ा या अन्य प्रकार के तमोगुण को महत्व नहीं देना चाहिए। तथा सात्विक भोजन करते हुए सतोगुण को ही महत्व देना उचित रहता है।
Skand shasti – जो उपासक आस्था और विश्वास के साथ स्कंद षष्ठी का व्रत रखता है। उसे भगवान शिव और पार्वती के साथ-साथ कार्तिकेय की विशेष कृपा निहित होती है।
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