श्री शिव रामा अष्टक स्तोत्रम् | Shiva Ramashtakam Stotram
आदि शंकर महादेव की महिमा हर सनातनी को मालूम है. यदि आपके कठिन परिश्रम के बाद भी आपकों कार्यों में सफलता हासिल नहीं हो पा रही हैं, तो आपकों श्री शिव रामा अष्टक स्तोत्रम् का पाठ करना चाहिए. हिंदू पुराणों में उल्लेख मिलता है कि, जिस भी देव या देव रूपी मनुष्य श्री शिव रामा अष्टक स्तोत्रम् | Shiva Ramashtakam Stotram का नित्य पाठ किया है. उसका जीवन सफल हुआ है.
श्री शिव रामा अष्टक स्तोत्रम्
शिव हरे शिव राम सखे प्रभो त्रिविधतापनिवारण हे प्रभो ।
अज जनेश्वर यादव पाहि मां शिव हरे विजयं कुरु मे वरम् ॥१॥
कमललोचन राम दयानिधे हर गुरो गजरक्षक गोपते ।
शिवतनो भव शङ्कर पाहि मां शिव हरे विजयं कुरु मे वरम् ॥२॥
सुजनरञ्जन मङ्गलमन्दिरं भजति ते पुरुषः परमं पदम्।
भवति तस्य सुखं परमद्भुतं शिव हरे विजयं कुरु मे वरम् ॥३॥
जय युधिष्ठिरवल्लभ भूपते जय जयार्जितपुण्यपयोनिधे।
जय कृपामय कृष्ण नमोऽस्तु ते शिव हरे विजयं कुरु मे वरम् ॥४॥
भवविमोचन माधव मापते सुकविमानसहंस शिवारते।
जनकजारत राघव रक्ष मां शिव हरे विजयं कुरु मे वरम् ॥५॥
अवनिमण्डलमङ्गल मापते जलदसुन्दर राम रमापते।
निगमकीर्तिगुणार्णव गोपते शिव हरे विजयं कुरु मे वरम् ॥६॥
पतितपावन नाममयी लता तव यशो विमलं परिगीयते।
तदपि माधव मां किमुपेक्षसे शिव हरे विजयं कुरु मे वरम् ॥७॥
अमरतापरदेव रमापते विजयतस्तव नामधनोपमा।
मयि कथं करुणार्णव जायते शिव हरे विजयं कुरु मे वरम् ॥८॥
हनुमतः प्रिय चापकर प्रभो सुरसरिद्धृतशेखर हे गुरो।
मम विभो किमु विस्मरणं कृतं शिव हरे विजयं कुरु मे वरम् ॥९॥
अहरहर्जनरञ्जनसुन्दरं पठति यः शिवरामकृतं स्तवम्।
विशति रामरमाचरणाम्बुजे शिव हरे विजयं कुरु मे वरम् ॥१०॥
प्रातरुत्थाय यो भक्त्या पठेदेकाग्रमानसः।
विजयो जायते तस्य विष्णुमाराध्यमाप्नुयात् ॥११॥