सावन सोमवार व्रत कथा | Savan Somvar Vrat Katha 2024 | सावन सोमवार कहानी, पूजा विधि, आरती, व्रत के नियम | Sawan Somvar Vrat katha PDF Download
सावन सोमवार व्रत कथा | Savan Somvar Vrat Katha 2024| सावन सोमवार कहानी, पूजा विधि, आरती, व्रत के नियम | Sawan Somvar Vrat katha PDF Download
सावन सोमवार एक पर्व की तर्ज पर भारत में मनाया जाता है. इस माह का शिव भक्त पूरे माह इंतजार करते हैं. भारत के साथ-साथ अन्य देशों में रहने वाले हिंदू लोग इस माह को उत्साह पूर्वक मनाते हैं. यह त्यौहार श्रावण मास (जुलाई-अगस्त) में होता है। ‘सावन’ का अर्थ है ‘मानसून’ और सोमवार का अर्थ है ‘सोमवार’. भारत में मानसून जुलाई और अगस्त के दौरान पूर्ण रूप से सक्रिय हो जाता हैं. श्रावण मास के सोमवार को लोग शिव को समर्पित व्रत करते हैं. शिव भक्त इस पवित्र माह के दौरान शिव को प्रसन्न करने के लिए व्रत रखते हैं, प्रार्थना करते हैं और कुछ लोग धार्मिक अनुष्ठान भी करते हैं. शिव एक ऐसे देवता हैं जिन्हें प्रसन्न करना आसान है, इसलिए वह अपने उन भक्तों की इच्छाओं को पूर्ण कर सकते हैं जो इस दौरान भक्तिपूर्वक उनकी पूजा करते हैं. लोग मंदिरों में भी शिव लिंग पर दूध, जल और अन्य प्रसाद चढ़ाते हैं. लोगों की मान्यता है कि, आदि देव महादेव की भक्ति जीवन में समृद्धि और खुशी सुनिश्चित करती है। इस महीने के दौरान भक्त उत्तराखंड के हरिद्वार तक कावड़ यात्रा (तीर्थयात्रा) भी करते हैं. दोस्तों इस धार्मिक पोस्ट के जरिए हम आपको सावन सोमवार के बारे में विस्तार पूर्वक से तो बताएंगे ही , इसके साथ ही हम आपके साथ सावन सोमवार व्रत कथा, कहानी, पूजा विधि, आरती, व्रत के नियम | Sawan Somvar 2024 Vrat Katha PDF आपके साथ साझा करने जा रहे हैं.
इस लेख में हमने कई और बिंदूओं को जोड़ा है जो पॉइन्ट वाइस आपको डिटेल में सावन सोमवार के बारे में समझाएंगे. इसमें हम आपको बताएंगे कि सावन 2024 में कब से कब तक होगा. वहीं सावन सोमवार की कहानी | sawan somvar vrat katha in hindi इसी धार्मिक पोस्ट में आपको मिल जाएगी. सावन के माह में लोगों द्वारा सोमवार के व्रत कर भगवान शिव को प्रसन्न किया जाता है तो इस लेख के जरिए जाने कि कब-कब हैं सावन में सोमवार (Sawan Somvar 2024)। वहीं व्रत के कुछ नियम होते है जो आपको सावन सोमवार व्रत के नियम | sawan somvar vrat ke niyam के पॉइन्ट के जरिए हम आपको बताएंगे। यह उपवास ज्यादातर महिलाओं और लड़कियों द्वारा किया जाता है पर क्यों किया जाता है इसके बारे में सब नहीं जानते इसके मद्देनजर हम लड़कियां सोमवार का व्रत क्यों करती है इस पॉइन्ट में आपको इसकी जानकारी देंगे। इसके साथ ही आपको सावन सोमवार पूजा विधि | sawan somvar vrat vidhi ,सावन सोमवार की व्रत कथा | sawan somvar vrat katha,सावन सोमवार व्रत की आरती | sawan somvar vrat aarti in hindi,sawan somvar vrat katha pdf download,sawan somvar me kya khana chahiye के बारे में सब कुछ बताएंगे।
सावन सोमवार की कहानी | Sawan Somvar Vrat Katha in Hindi
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किसी नगर में एक साहूकार रहता था. उसके घर में धन की कोई कमी नहीं थी लेकिन उसकी कोई संतान नहीं थी इस कारण वह बहुत दुखी था. पुत्र प्राप्ति के लिए वह प्रत्येक सोमवार व्रत रखता था और पूरी श्रद्धा के साथ शिव मंदिर जाकर भगवान शिव और पार्वती जी की पूजा करता था.
उसकी भक्ति देखकर एक दिन मां पार्वती प्रसन्न हो गईं और भगवान शिव से उस साहूकार की मनोकामना पूर्ण करने का आग्रह किया. पार्वती जी की इच्छा सुनकर भगवान शिव ने कहा कि ‘हे पार्वती, इस संसार में हर प्राणी को उसके कर्मों का फल मिलता है और जिसके भाग्य में जो हो उसे भोगना ही पड़ता है.’ लेकिन पार्वती जी ने साहूकार की भक्ति का मान रखने के लिए उसकी मनोकामना पूर्ण करने की इच्छा जताई.
माता पार्वती के आग्रह पर शिवजी ने साहूकार को पुत्र-प्राप्ति का वरदान तो दिया लेकिन साथ ही यह भी कहा कि उसके बालक की आयु केवल बारह वर्ष होगी. माता पार्वती और भगवान शिव की बातचीत को साहूकार सुन रहा था. उसे ना तो इस बात की खुशी थी और ना ही दुख. वह पहले की भांति शिवजी की पूजा करता रहा.
कुछ समय के बाद साहूकार के घर एक पुत्र का जन्म हुआ. जब वह बालक ग्यारह वर्ष का हुआ तो उसे पढ़ने के लिए काशी भेज दिया गया. साहूकार ने पुत्र के मामा को बुलाकर उसे बहुत सारा धन दिया और कहा कि तुम इस बालक को काशी विद्या प्राप्ति के लिए ले जाओ और मार्ग में यज्ञ कराना. जहां भी यज्ञ कराओ वहां ब्राह्मणों को भोजन कराते और दक्षिणा देते हुए जाना.
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दोनों मामा-भांजे इसी तरह यज्ञ कराते और ब्राह्मणों को दान-दक्षिणा देते काशी की ओर चल पड़े. रात में एक नगर पड़ा जहां नगर के राजा की कन्या का विवाह था. लेकिन जिस राजकुमार से उसका विवाह होने वाला था वह एक आंख से काना था. राजकुमार के पिता ने अपने पुत्र के काना होने की बात को छुपाने के लिए एक चाल सोची.
साहूकार के पुत्र को देखकर उसके मन में एक विचार आया. उसने सोचा क्यों न इस लड़के को दूल्हा बनाकर राजकुमारी से विवाह करा दूं. विवाह के बाद इसको धन देकर विदा कर दूंगा और राजकुमारी को अपने नगर ले जाऊंगा. लड़के को दूल्हे के वस्त्र पहनाकर राजकुमारी से विवाह कर दिया गया. लेकिन साहूकार का पुत्र ईमानदार था. उसे यह बात न्यायसंगत नहीं लगी.
उसने अवसर पाकर राजकुमारी की चुन्नी के पल्ले पर लिखा कि ‘तुम्हारा विवाह तो मेरे साथ हुआ है लेकिन जिस राजकुमार के संग तुम्हें भेजा जाएगा वह एक आंख से काना है. मैं तो काशी पढ़ने जा रहा हूं.’
जब राजकुमारी ने चुन्नी पर लिखी बातें पढ़ी तो उसने अपने माता-पिता को यह बात बताई. राजा ने अपनी पुत्री को विदा नहीं किया जिससे बारात वापस चली गई. दूसरी ओर साहूकार का लड़का और उसका मामा काशी पहुंचे और वहां जाकर उन्होंने यज्ञ किया. जिस दिन लड़के की आयु 12 साल की हुई उसी दिन यज्ञ रखा गया. लड़के ने अपने मामा से कहा कि मेरी तबीयत कुछ ठीक नहीं है. मामा ने कहा कि तुम अंदर जाकर सो जाओ.
शिवजी के वरदानुसार कुछ ही देर में उस बालक के प्राण निकल गए. मृत भांजे को देख उसके मामा ने विलाप शुरू किया. संयोगवश उसी समय शिवजी और माता पार्वती उधर से जा रहे थे. पार्वती ने भगवान से कहा- स्वामी, मुझे इसके रोने के स्वर सहन नहीं हो रहा. आप इस व्यक्ति के कष्ट को अवश्य दूर करें.
जब शिवजी मृत बालक के समीप गए तो वह बोले कि यह उसी साहूकार का पुत्र है, जिसे मैंने 12 वर्ष की आयु का वरदान दिया. अब इसकी आयु पूरी हो चुकी है. लेकिन मातृ भाव से विभोर माता पार्वती ने कहा कि हे महादेव, आप इस बालक को और आयु देने की कृपा करें अन्यथा इसके वियोग में इसके माता-पिता भी तड़प-तड़प कर मर जाएंगे.
माता पार्वती के आग्रह पर भगवान शिव ने उस लड़के को जीवित होने का वरदान दिया. शिवजी की कृपा से वह लड़का जीवित हो गया. शिक्षा समाप्त करके लड़का मामा के साथ अपने नगर की ओर चल दिया. दोनों चलते हुए उसी नगर में पहुंचे, जहां उसका विवाह हुआ था. उस नगर में भी उन्होंने यज्ञ का आयोजन किया. उस लड़के के ससुर ने उसे पहचान लिया और महल में ले जाकर उसकी खातिरदारी की और अपनी पुत्री को विदा किया.
इधर साहूकार और उसकी पत्नी भूखे-प्यासे रहकर बेटे की प्रतीक्षा कर रहे थे. उन्होंने प्रण कर रखा था कि यदि उन्हें अपने बेटे की मृत्यु का समाचार मिला तो वह भी प्राण त्याग देंगे परंतु अपने बेटे के जीवित होने का समाचार पाकर वह बेहद प्रसन्न हुए. उसी रात भगवान शिव ने व्यापारी के स्वप्न में आकर कहा- हे श्रेष्ठी, मैंने तेरे सोमवार के व्रत करने और व्रतकथा सुनने से प्रसन्न होकर तेरे पुत्र को लम्बी आयु प्रदान की है. इसी प्रकार जो कोई सोमवार व्रत करता है या कथा सुनता और पढ़ता है उसके सभी दुख दूर होते हैं और समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं |
कब-कब हैं सावन में सोमवार (Sawan Somvar List 2024)
पहला सावन सोमवार व्रत | 22 जुलाई 2024 (सावन मास प्रारंभ) |
दूसरा सावन सोमवार व्रत | 29 जुलाई 2024 |
तीसरा सावन सोमवार व्रत | 05 अगस्त 2024 |
चौथा सावन सोमवार व्रत | 12 अगस्त 2024 |
पांचवा सावन सोमवार व्रत | 19 अगस्त 2024 (सावन मास समाप्त) |
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सावन सोमवार व्रत के नियम | Sawan Somvar Vrat Ke Niyam
सुबह जल्दी उठें, पूजा कक्ष साफ करें, भगवान शिव का अभिषेक करें, ब्रह्मचर्य बनाए रखें, मांस, अंडे, लहसुन और प्याज खाने से बचें, शराब से दूर रहें, हाइड्रेटेड रहें, मेवे और फल खाएं, दूध पीने से बचें और सात्विक भोजन बनाएं सेंधा नमक के प्रयोग से।मंत्र “ओम नमः शिवाय” जिसका अर्थ है “मैं शिव को प्रणाम करता हूं” का जाप फायदेमंद है क्योंकि माना जाता है कि यह मंत्र सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है। इसे पांच अक्षरों वाला मंत्र भी कहा जाता है।
लड़कियां सोमवार का व्रत क्यों करती है? Ladkiya Somvar Ka Vrat Kyu Karti Hai
हिंदू धर्मग्रंथों में सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित है। धार्मिक शास्त्रों में सोमवार व्रत को बहुत ही शुभ फलदायी माना गया है। कहा जाता है कि कुंवारी लड़कियां अपने अखंड सौभाग्य के लिए मनचाहा वर और सुहागिन कन्या पाने के लिए सोमवार का व्रत रखती हैं | वहीं पुरुष भी जीवन की समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए व्रत रखते हैं। व्रत और विधि-विधान से पूजा करने से भगवान शिव बहुत प्रसन्न होते हैं और भक्तों को उनकी मनोकामनाएं पूरी करने का आशीर्वाद देते हैं। लेकिन कुछ लोगों के लिए सोमवार का व्रत वर्जित माना जाता है। अगर ये लोग सोमवार का व्रत रखते हैं तो इन्हें भगवान शिव की नाराजगी का सामना करना पड़ सकता है। साथ ही इन लोगों को व्रत और पूजा का शुभ फल नहीं मिलता है। इन्हें फायदे की जगह नुकसान हो सकता है।
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सावन सोमवार पूजा विधि | Sawan Somvar Vrat Vidhi
- लोगों को ब्रह्म मुहूर्त में जल्दी उठना चाहिए, पवित्र स्नान करना चाहिए और अच्छे साफ कपड़े पहनने चाहिए।
- भगवान शिव और देवी पार्वती की मूर्ति रखें और एक दीया जलाएं।
- सफेद और लाल फूल, सफेद मिठाई, पान का पत्ता, इलायची, लौंग और सुपारी, पांच फल और पंचामृत (दूध, दही, शहद, चीनी और घी का मिश्रण) चढ़ाएं।
- भक्तों को भगवान शिव और देवी पार्वती को वस्त्र और जनेऊ अवश्य चढ़ाना चाहिए।
- महिला भक्त देवी पार्वती को श्रृंगार भी अर्पित कर सकती हैं।
- शिव चालीसा का पाठ और भगवान शिव की आरती का जाप करना चाहिए।
- भक्तों को महामृत्युंजय मंत्र का जाप रुद्राक्ष की माला पर 108 बार करना चाहिए।
- लोगों को सावन सोमवार के दिन मंदिर जाना चाहिए और शिवलिंग का पंचामृत से अभिषेक करना चाहिए।
- उन्हें शिव लिंग पर कम से कम 11 या 21 बेल पत्र, भांग और धतूरा चढ़ाना चाहिए।
- अगर संभव हो तो लोगों को भगवान शिव का अभिषेक करते समय गंगा जल अवश्य चढ़ाना चाहिए।
सावन सोमवार व्रत की आरती | Sawan Somvar Vrat Aarti in Hindi
Sawan Somvar Vrat Katha PDF Download
इस पॉइन्ट में हम आपको Sawan Somvar Vrat katha PDF में उपलब्ध करा रहे है जो आप Download कर सकते है और कभी भी पढ़ सकते हैं।
Sawan Somvar Vrat Me Kya Khana Chahiye | सावन सोमवार व्रत में क्या खाना चाहिए
1. साबूदाना: सोमवार के व्रत में साबूदाना से बनी चीजें खानी चाहिए। साबूदाने की खीर, खीर और साबूदाना वड़ा बना सकते हैं
2. सिंघाड़ा: सोमवार के व्रत में सिंघाड़ा के आटा का पूरी, पराठा, हलवा, बर्फी बनाकर खाई जा सकती है.
3. हरी सब्जियां: व्रत के दौरान हरी सब्जियां, लौकी, खीरा, टमाटर और कच्चा केला आदि खाया जा सकता है.
4. आलू: इस व्रत में आलू से बनी चीजें खाई जा सकती हैं. व्रत के दौरान आलू टिक्की आराम से खाई जाती है.
5. मौसमी फल: सोमवार के व्रत में हम मौसमी फल जैसे आम, केला, सेब आदि खा सकते हैं, लेकिन तरबूज और खरबूज नहीं खाना चाहिए |