क्यों नहीं चढ़ाते शिवलिंग पर शंख से जल। reason why lord shiva is not offered water with shell
भगवान भोलेनाथ को औघड़दानी कहा जाता है. भक्तों के द्वारा मन से आराधना करने से बाबा प्रसन्न होकर उनकी मनोकामनाएं पूरा करते हैं. भोले को जल, पीले चावल के साथ बिल्वपत्र विशेष प्रिय है. लेकिन बहुत ही कम शिवसाधकों को पता होगा कि, बाबा को शंख से जल अर्पित क्यों नहीं किया जाता. इसके पीछे बेहद ही पौराणिक कहानी है.
करीब सभी देवी-देवताओं को शंख के माध्यम से जल अर्पित किया जाता है लेकिन भगवान शिव को ऐसा करना वर्जित है. शिव पुराण के अनुसार श्रृंखलापुर में एक बड़ा दैत्य निवास करता था जो कि दंभ का पुत्र था. दैत्यराज दंभ ने भगवान विष्णु से वरदान पाने के लिए घोर तपस्या की.
उन्होंने अपने अजन्में बेटे शंखचूड़ के लिए के लिए तीन वरदान को मांगे. शंखचूड़ बड़ा हुआ तो उन्होंने पुष्कर में अपनी घोर तपस्या के बल पर ब्रह्मा जी को प्रसन्न कर वरदान प्राप्त की. ब्रह्मा जी ने शंखचूड़ को कृष्ण कवच प्रदान किए थे.
अब शंखचूड़ का अहंकार सातवें आसमान पर था. उसने संपूर्ण ब्राह्मंड में अत्याचार करना शुरु कर दिया. उनके अत्याचारों से त्रस्त होकर सभी देवता भगवान विष्णु जी के पास सहायता के लिए गए लेकिन अपने ही वरदान से उत्पन्न शंखचूड़ का वध करने से उन्होंने मना कर दिया.
जिसके बाद सभी देवतागण भगवान भोलेनाथ के पास मदद मांगने के लिए पहुंचे. शंखचूड़ के अत्याचारों को देखकर भगवान शंकर ने अपने त्रिशुल से उस पापी राक्षस का वध कर दिया. इससे उसका शरीर भस्म हो गया तथा उस भस्म से शंख की उत्पत्ति हुई. शंखचूड़ चूकिं विष्णु जी के आशीर्वाद से उत्पन्न हुआ था इसलिए यह लक्ष्मी माता को अत्यंत प्रिय है.
शंख से दरिद्रता का नाश होता है.सभी देवताओं को शंख से जल चढ़ाया जाता है लेकिन शिवजी ने शंखचूड़ का वध किया इसलिए शंख से शिवजी को जल अर्पित नहीं किया जाता है.
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