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साल 2019 मुंह ढकने और लोगों से दूरियां बनाने में निकल गया. हालांकि वैक्सीन मिलने से दुनियाभर के देशों ने राहत की सांस ली है. कोरोना पूरी तरह से खत्म नहीं हो सका है, कोरोना का नया स्ट्रेन दुनिया में देखने को मिल रहा है. कई डॉक्टर तथा हेल्थ एक्सपर्ट ने कोविड -19 महामारी के दौरान मरीजों को अपने घर में एक (Pulse Oximeter) पल्स ऑक्सीमीटर रखने की सलाह दे रहे हैं.
मार्च 2021 में दोबारा से कोरोना मरीजों की संख्या एकाएक बढ़ती देखने को मिल रही है. अस्पतालों में मरीजों की बढ़ती तादात को देखते हुए केंद्र सरकार ने यह निर्णय लिया है की जिन मरीज़ों के लक्षण गंभीर नहीं हैं, उन्हें घर पर रहकर इस बीमारी से इलाज दिया जाए. कारण बीमारी में ज्यादातर मरीज बिना इलाज लिए खुद ब खुद ही ठीक हो जाते है. (Pulse Oximeter For Covid19)
कोरोना संक्रमण से जूझ रहे मरीजों को ऑक्सीजन लेवल पर नजर रखने की बेहद ही जरूरत होती है, क्योंकि बीमारी के शुरुआती दिनों में कम ऑक्सीजन का असर मरीज के फेफड़ों पर नहीं पड़ता जिससे सांस लेने में कठिनाई की समस्या कम ही आती है. इसलिए शुरुआत में यह उपकरण हालात बता देगा की कोरोना मरीज के फेफड़ों पर क्या असर डाल रहा है.
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ऐसे में आवश्यकता है कि, यदि आप कोरोना संक्रमित है तो, जरुरी उपकरणों की मदद से अपने स्वास्थ्य पर नजर रखे. जैसे शरीर में ऑक्सिजन की मात्रा बताने वाला पल्स ऑक्सीमीटर, मरीज के बुखार को चैक करने के लिए थर्मामीटर या अन्य कुछ उपकरण भी रखे तो और अच्छा रहेगा.
आज हम इस लेख के जरिए पल्स ऑक्सीमीटर के विषय में बताएँगे की यह क्यों जरुरी है? यह कैसे काम करता है? सही रीडिंग क्या होती है? इसे इस्तमाल कैसे किया जाता है? तथा इसके प्रयोग से जुडी कुछ अन्य महत्त्वपूर्ण जानकारियाँ
क्या है पल्स ऑक्सीमीटर ?
Table of Contents
ऑक्सीमीटर बहुत ही छोटे आकार का एक इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस है, जो कोरोना संक्रमित मरीज के खून में ऑक्सीजन का प्रवाह कितना है इसी रीडिंग लगाती है. ऑक्सीमीटर को उंगली या कान पर क्लिप की तरह इस्तेमाल करना होता है. जो हमारे द्वारा लेख में तस्वीर में दिखाया गया है. आपके खून में ऑक्सीजन की रीडिंग को ऑक्सीमीटर की स्क्रीन पर दिखती है जो नंबर में दिखती है. सांस की बीमारी से पीड़ित मरीज इसे अक्सर अपने पास रखते है, इससे मरीज को यह अंदाजा हो जाता है की उसे अलग से ऑक्सीजन लेने की जरूरत है या नहीं.
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यह कैसे काम करता है ?
असल में पल्स ऑक्सीमीटर त्वचा पर एक लाइट छोड़ता है. जिसके बाद खून के सेल्स के रंग और उनकी गति को नापकर स्क्रिन पर दिखाता है. जिन ब्लड सेल्स में सही मात्रा में ऑक्सीजन मौजूद होती है वे चमकदार लाल दिखाई देती हैं जबकि बाकी गहरी लाल दिखती हैं. इन दोनों जानकारियों को आधार बनाकर यह मशीन ऑक्सीजन की मात्रा को प्रतिशत में नापकर दिखाती है. जैसे- यदि मशीन 97% की रीडिंग दे रही है इसका अर्थ हुआ की 3% खून के सेल्स कोशिकाओं में ऑक्सीजन नहीं है.
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कितनी होनी चाहिए रीडिंग्स ?
पूर्ण रूप से स्वस्थ इंसान के रक्त में ऑक्सीजन की मात्रा 95 % से 100 % के बीच होता है. इस बीच की रीडिंग पल्स ऑक्सीमीटर में नार्मल रेंज है. ध्यान देने वाली बात यह है कि यदि ऑक्सीजन की मात्रा 92 % से नीचे आए तो मरीज की स्थिति बेहद ही गंभीर है और उसे तुरंत सप्लीमेंट्री ऑक्सीजन की देने की जरूरत है. यह पल्स ऑक्सीमीटर मरीज के ह्दय की पल्स (Pulse Rate) को भी मापकर स्क्रिन पर दिखाता है. एक स्वस्थ मनुष्य में सामान्य हार्ट रेट लगभग 60 से 100 बीट प्रति मिनट तक होती है.
Pulse Oximeter इस्तेमाल करने का तरीका :
ऑक्सीमीटर में रीडिंग देखने के लिए किसी दूसरे व्यक्ति की मदद आवश्यक रूप से लेना चाहिए. कारण कई बार मरीज गलत रीडिंग पढ़कर घबरा जाते हैं. ऑक्सीमीटर का इस्तेमाल करते समय इन बातों का विशेष तौर पर ध्यान रखें जिससे आपको सही परिणाम प्राप्त हो सकें-
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– उँगलियों पर किसी तरह का कोई रंग या मेहँदी ना हो :
ऑक्सीमीटर्स से रीडिंग लेते समय इस बात का विशेष ध्यान रखें की मरीज की उँगलियों पर किसी तरह का कोई रंग या मेहँदी ना लगी हो, साथ ही नाखून पर नेल पोलिश ना लगा हो. नाखून लंबे होने के कारण भी मशीन ठीक से काम नहीं कर पाती. और ऑक्सीजन की मात्रा नहीं बता पाएगी.
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ऑक्सीमीटर ठंडे हाथों की तुलना में गर्म हाथों से ठीक तरह से काम करता है. आमतौर पर दिन में तापमान के उतार चढ़ाव कारण शरीर में ऑक्सीजन लेवल में भी उतार-चढ़ाव होता रहता है इसलिए सटीक जानकारी के लिए दिन में दो तीन बार माप लेना चाहिए. कोशिश करें कि, पीठ के बल लेटते समय या चलते समय आक्सीमीटर का उपयोग करें.
– तर्जनी ऊँगली पर ही लगाएं :
ऑक्सीमीटर तर्जनी उंगली में शतप्रतिशत माप देता है. इसके अलावा हाथ के तीसरी उंगली का उपयोग करने पर भी यह सटीक माप देता है. ऑक्सीमीटर से माप के लिए दाएं हाथ का इस्तेमाल करते हैं तो दाईं मध्यम उंगली का उपयोग करें. इसी प्रकार यदि आप बाएं हाथ का इस्तेमाल ज्यादा करते हैं तो बाईं मध्यम उंगली का उपयोग करें. पैर के अंगूठे पर इसे ना लगायें मशीन की क्लिप की साइज़ के अनुसार ही हाथो की ऊँगली में लगायें यदि आपका हाथ का अंगूठा इसकी क्लिप से बड़ा है वहां भी इसे ना लगायें.
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– अच्छी तरह से फिट होना आवश्यक :
यह संभव है कि कई बार बिना अनुभव के या ऑक्सीमीटर का कोरोना संक्रमण मरीज ठीक प्रकार से उपयोग नहीं करने से यह गलत रीडिंग दे सकता है इसे सुनिश्चित करने के लिए की ये मशीन ठीक से काम कर रही है या नहीं आप पहले इसे किसी स्वस्थ व्यक्ति पर इसका परीक्षण कर सकते हैं.
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पल्स ऑक्सीमीटर हाथों की उंगली पर ठीक से फिट होना चाहिए, इसे ना तो ऊँगली पर बहुत टाइट लगायें (इससे यह रक्त के प्रवाह को बाधित करेगी) और ना ही बहुत ढीली लगायें (इससे यह ऊँगली से निकल कर गिर सकती है या बाहरी लाइट इस मशीन के अंदर आ सकती है) ऐसा होने पर यह रीडिंग सही नहीं बता पायेगी.
– तेज रोशनी घातक :
सूरज की तेज किरणें या किसी अन्य तेज बल्ब की रौशनी में इसका प्रयोग ना करें क्योंकि इससे यह सही रीडिंग नहीं बताएगा. ध्यान रहे कि रीडिंग लेते समय शारीरिक गतिविधि कम से कम रखें.
ये लक्षण होने पर लगाएं पल्स ऑक्सीमीटर :
कई कारणों से घर में पल्स ऑक्सीमीटर प्रयोग करने से यह गलत जानकारी दे सकता है इसलिए मरीज के लक्षणों पर भी ध्यान देना जरुरी है शरीर में ऑक्सीजन स्तर कम होने के लक्षण ये हैं.
- हृदय की धडकन में बढ़ोतरी.
- जल्दी जल्दी सांस लेना.
- सांस लेने में तकलीफ महसूस होना या हांफना.
- शारीरिक गतिविधि करने में असमर्थता.
- अगर पल्स ऑक्सीमीटर के प्राइस की बात करें तो इसकी कीमत 1,900 रूपये से शुरू होकर 4,000 तक होती है |
अस्वीकरण : newsmug.in साइट पर उपलब्ध सभी जानकारी और लेख केवल शैक्षिक उद्देश्यों के लिए हैं. बीमारी के निदान या उपचार हेतु बिना विशेषज्ञ की सलाह के नहीं किया जाना चाहिए। चिकित्सा परीक्षण और उपचार के लिए हमेशा एक योग्य चिकित्सक की सलाह लेनी चाहिए.