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NGO FULL FORM IN HINDI | एनजीओ (NGO) क्या होता है

NGO का full form Non Governmental Organization है। हिंदी में एनजीओ का फुल फॉर्म गैर सरकारी संगठन होता है। बताते चलें कि, NGO एक ऐसा संगठन होता है, जो न तो सरकार के अधीन होता है और न ही किसी अन्य शासकीय अंग का हिस्सा होता है। यह ना तो किसी व्यवसाय या व्यापार के रूप में लाभ कमाता है। यह एक प्रकार का गैर-लाभकारी, गैर व्यवसाय है जो वृद्ध, सीनियर सिटीजन, बच्चों और पर्यावरण के क्षेत्र में कार्य करता है। उक्त परेशानियों के निदान के लिए NGO बनाया जाता है। सरल शब्दों में कहा जाए तो जनहित में कार्य करने के लिए इसका गठन किया जाता है। NGO चलाने के लिए राजस्व के रूप में किसी भी संस्था, व्यक्ति या शासन से दान के रूप में राशि ली जाती है। दूसरी ओर एनजीओ को गैर लाभ संगठनों (NPO) के रूप में जाना जाता है। एनजीओ पर किसी एक व्यक्ति का स्वामित्व नहीं होता है। एनजीओ में लाभांश के रूप में लाभ या आय का वितरण नहीं किया जाता है। एक एनजीओ द्वारा अपनी गतिविधियों से जो भी मुनाफा कमाया जाता है, उसे गैर लाभकारी कार्य या गतिविधियों पर खर्च किया जाता है।  यदि आप भी एन.जी.ओ.का फुल फॉर्म क्या है, एन.जी.ओ. क्या है, एन.जी.ओ. किस प्रकार बनायें, एन.जी.ओ. के काम और एन.जी.ओ. के बारे में विस्तार से जानकारी दी जा रही है |

NGO एन.जी.ओ. का फुल फॉर्म

एन.जी.ओ. (NGO) का फुल फॉर्म “Non- Governmental Organization” होता है, इसे हिंदी में “गैर सरकारी संगठन” कहा जाता है, एन.जी.ओ. एक ऐसी समिति/ संगठन होता है, जिसको किसी भी सरकार द्वारा संचालन नही किया जाता है।

एन.जी.ओ. (NGO) क्या है

एन.जी.ओ. की सर्वप्रथम शुरुआत अमेरिका देश में की गई थी, इसका सीधा कारण है कि, अमेरिका में सरकार के अतिरिक्त बहुत से सामाजिक कार्य इन समिति के जरिए ही किए जाते थे।

एन.जी.ओ. (NGO) किस प्रकार बनायें

एन.जी.ओ. (NGO)  समिति/ संगठन बनाने के पूर्व इस बात का पता होना चाहिए, कि आपके द्वारा बनाया गया एन.जी.ओ. (NGO) का कार्य किस प्रकार होगा, कार्य के विवरण के आधार पर उसका रजिस्ट्रेशन होगा।

भारत में एन.जी.ओ. (NGO) का रजिस्ट्रेशन तीन प्रकार से करवाया जा सकता है। इन तीनों की अपनी अलग – अलग भूमिका है, और इसे अलग – अलग कार्यों के  लिए आवश्यकता अनुसार उपयोग में लाया जाता है, जो इस प्रकार है-

  • सोसाइटी एक्ट
  • ट्रस्ट एक्ट
  • कंपनी एक्ट

(1) सोसाइटी एक्ट

इसके अंतर्गत रजिस्ट्रेशन करवाने के लिए “Memorandum Of Association And Rules And Regulation Document” की आवश्यकता हाेती है। रजिस्ट्रेशन सोसइटी रजिस्ट्रेशन एक्ट 1860 के तहत किया जाता है।

सोसइटी एक्ट के अंतर्गत रजिस्ट्रेशन दो प्रकार से करवाया जा सकता है। पहला राज्य के चयन के आधार पर, जिसमें समिति/ संगठन केवल राज्य की सीमा क्षेत्र में ही कार्य सकती है, और दूसरा केंद्र के आधार पर करवा सकते है, जिसमे आप की समिति पूरे देश या किसी भी राज्य में काम कर सकती है।

(A) राज्य स्तर पर एन.जी.ओ.

राज्यों स्तर पर एन.जी.ओ. बनाने के लिए कम से कम सात व्यकितयों के समूह की आवश्यकता होती है, जिसमे प्रत्येक व्यकित अलग – अलग घरो का होना चाहिए।

(B)केंद्र स्तर पर एन.जी.ओ.

केंद्र स्तर पर एन.जी.ओ. बनाने के लिए कम से कम आठ व्यकितयों के समूह की आवश्यकता होती है , जिसमे प्रत्येक व्यकित अलग – अलग राज्यों का होना चाहिए।

(2)कंपनी एक्ट

कंपनी एक्ट के तहत एन.जी.ओ. का रजिस्ट्रेशन करने के लिए कम से कम दो (डायरेक्टर\निदेशक ) की आवश्यकता होती है। कंपनी एक्ट के तहत “Memorandum Of Association And Rules And Regulation Document” होता है। कंपनी एक्ट के तहत  समिति, पूरे भारत में यानि कहीं पर काम कर सकती है, लेकिन केंद्र सरकार द्वारा वेरीफाईड होना अनिवार्य होगा।

(3)ट्रस्ट एक्ट

भारत के अलग-अलग राज्यों में ट्रस्ट अधिनियम होते है, परन्तु अगर किसी राज्य में कोई ट्रस्ट अधिनियम नहीं है, तो उस राज्य में 1882 ट्रस्ट एक्ट  लागू होता है, इस अधिनियम के तहत कम से कम दो ट्रस्टीज होना आवश्यक है

इस अधिनियम के तहत एन.जी.ओ.का रजिस्ट्रेशन करने के लिए आपको चैरिटी कमिश्नर या रजिस्ट्रार के ऑफिस में आवेदन देना होगा ट्रस्ट एक्ट के तहत एन.जी.ओ. (NGO)  रजिस्टर करने के लिए आपको (DEED) नामक डॉक्यूमेंट की आवश्यकता होती है।

भारत के बेहद प्रसिद्ध और शीर्ष NGO

Child Rights and You (CRY)
Give foundation
GOONJ….A Voice, an Effort
Help Age India
The Akshaya Patra Foundation(TAPF)
K C Mahindra Education Trust(Nanhi Kali)
LEPRA India
Pratham Education Foundation
Sammaan Foundation
Smile Education
Udaan Welfare Foundation
Deepalaya

इतिहास

अंतर्राष्ट्रीय गैर-सरकारी संगठनों का इतिहास कम से कम 18वीं शताब्दी के अंत का है। एक अनुमान के मुताबिक यह कहा जा सकता है कि, 1914 तक, 1083 गैर सरकारी संगठन थे। अंतर्राष्ट्रीय NGO गुलामी विरोधी आंदोलन और महिलाओं के मताधिकार के लिए आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते थे। विश्व निरस्त्रीकरण सम्मेलन के समय चरम पर पहुंचे गए थे। हालांकि “Non Governmental Organization” वाक्यांश केवल 1945 में संयुक्त राष्ट्र संगठन की स्थापना के साथ बेहद ही लोकप्रिय हुआ था। 20वीं शताब्दी के दौरान वैश्वीकरण ने गैर-सरकारी संगठनों के महत्व को लोगों के समक्ष रखा। विश्व गैर सरकारी संगठन दिवस 27 फरवरी को मनाया जाता है। 17 अप्रैल 2010 को इसे अधिकारिक रूप से मान्यता दी गई है।

इसे भी पढ़े : 

KAMLESH VERMA

दैनिक भास्कर और पत्रिका जैसे राष्ट्रीय अखबार में बतौर रिपोर्टर सात वर्ष का अनुभव रखने वाले कमलेश वर्मा बिहार से ताल्लुक रखते हैं. बातें करने और लिखने के शौक़ीन कमलेश ने विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन से अपना ग्रेजुएशन और दिल्ली विश्वविद्यालय से मास्टर्स किया है. कमलेश वर्तमान में साऊदी अरब से लौटे हैं। खाड़ी देश से संबंधित मदद के लिए इनसे संपर्क किया जा सकता हैं।

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