जन्माष्टमी पर श्रीकृष्ण को प्रसन्न करने के लिए ऐसे करें व्रत और पूजा
Janmashtmi : हिंदू धर्म के बेहद ही प्रिय श्री कृष्ण भगवान् विष्णु के अवतार है, और उनका पूरा जीवन ही रोमांचक कहानियों से भरा हुआ है. श्री कृष्ण की भागवत गीता में लोगो को आज भी अपनी मुश्किलों में हल मिलते है. और इसी कारण से भगवान् श्री कृष्ण के जन्म दिवस को लोग बड़े उत्साह के साथ हर साल मनाते है और इसे जन्माष्टमी के रूप में मनाया जाता है. पूरे भारत में यह पर्व बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है, पूजा अराधना करने के साथ कई लोग पूरा दिन उपवास भी रखते है. और उसके बाद रात को बारह बजे माखन मिश्री के प्रसाद के साथ अपने उपवास को खोलते है.
Krishna Janmashtami Shubh Muhurat 2022
- जन्माष्टमी तिथि – 18 अगस्त 2022, गुरुवार
- अष्टमी तिथि प्रारंभ – 18 अगस्त को शाम 09 बजकर 21 मिनट से
- अष्टमी तिथि समाप्त – 19 अगस्त को रात 10 बजकर 59 मिनट तक।
- अभिजीत मुहूर्त – 18 अगस्त को दोपहर 12 बजकर 05 मिनट से 12 बजकर 56 मिनट तक रहेगा।
- वृद्धि योग मुहूर्त – 17 अगस्त को दोपहर 08 बजकर 56 मिनट से 18 अगस्त रात 08 बजकर 41 मिनट तक रहेगा।
- धुव्र योग मुहूर्त – 18 अगस्त रात 08 बजकर 41 मिनट से 19 अगस्त रात 08 बजकर 59 मिनट तक रहेगा।
- भरणी नक्षत्र मुहूर्त – 17 अगस्त रात 09 बजकर 57 मिनट से 18 अगस्त रात 11 बजकर 35 मिनट तक
- राहुकाल मुहूर्त – 18 अगस्त दोपहर 2 बजकर 06 मिनट से 3 बजकर 42 मिनट तक
- निशिथ पूजा मुहूर्त – रात्रि 12 बजकर 20 मिनट से 01:05 तक रहेगा
- व्रत पारण का समय – 19 अगस्त को रात 10 बजकर 59 मिनट के बाद होगा।
क्यों मनाया जाता है जन्माष्टमी का त्यौहार:-
सत्य और धर्म की स्थापना करने के लिए, धर्म की रक्षा के लिए, और असुरों के नाश के लिए भगवान् हमेशा पृथ्वी पर अवतरित होते है. ऐसे ही भाद्रपद माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मध्यरात्रि (आधी रात) को अत्याचारी कंस का विनाश करने के लिए मथुरा में भगवान कृष्ण ने अवतार लिया था. इसीलिए लोग भगवान् कृष्ण के जन्म की खुशी में इस त्यौहार को रात के बारह बजह तक व्रत करते है.
लोग इस प्रकार गाते हुए आनंद में सराबोर हो जाते हैं –
हाथी घोड़ा पालकी , जय कन्हैया लाल की
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नन्द के आनंद भयो , जय कन्हैया लाल की
बृज में आनंद भयो , जय यशोदा लाल की
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श्री कृष्ण जन्माष्टमी का व्रत कैसे करें:-
* सबसे पहले जन्माष्मी की एक रात पहले आपको ब्रह्चर्य का पालन करना चाहिए.
* उसके बाद सुबह समय से उठकर नहा धोकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें.
* फिर सूर्य, सोम, यम, काल, संधि, भूत, पवन, दिक्पति, भूमि, आकाश, खेचर, अमर और ब्रह्मादि सभी देवताओ को याद करें.
* और नमस्कार कर पूर्व या उत्तर की तरफ मुँह करके बैठें.
* ऐसा करने के बाद अपने हाथ में जल, फल, कुश और गंध लेकर संकल्प करें, और इस मन्त्र का जाप करें :
ममखिलपापप्रशमनपूर्वक सर्वाभीष्ट सिद्धये
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी व्रतमहं करिष्ये॥
* अब दोपहर के समय काले तिलों को पानी में डालकर देवकीजी स्नान के लिए ‘सूतिकागृह’ नियत करें.
* और फिर भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति या चित्र स्थापित करें, आप इसे अलग से या अपने मंदिर में स्थापित कर सकते है.
* यदि आपका चित्र या मूर्ति मेंदेवकी माँ बालक श्रीकृष्ण को स्तनपान कराती हुई हों और लक्ष्मी जी उनके चरण स्पर्श किए हों अथवा ऐसे भाव हो,तो यह बहुत उत्तम होता है.
* इसके बाद विधि-विधान से पूजन अर्चना करें.
* पूजा करते समय आपको देवकी, वासुदेव, बलदेव, नंद, यशोदा और लक्ष्मी इन सबका नाम लेना चाहिए.
* और उसके बाद निम्न मंत्र से पुष्पांजलि अर्पण करें:-
‘प्रणमे देव जननी त्वया जातस्तु वामनः।
वसुदेवात तथा कृष्णो नमस्तुभ्यं नमो नमः।
सुपुत्रार्घ्यं प्रदत्तं में गृहाणेमं नमोऽस्तुते।
* उसके बाद मंदिर में जाकर भजन कीर्तन करना चाहिए और रात को मिलने वाले भगवान् कृष्ण के माखन मिश्री के भोग से अपने उपवास को खोलना चाहिए.
कृष्ण जन्माष्टमी का महत्व :
कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व सनातन धर्म में बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. इस दिन कृष्ण भगवान के भक्त व्रत रखते हैं तथा उनकी विधिवत तरीके से पूजा करते हैं. कहा जाता है कि जो भक्त इस दिन श्रद्धा-भाव से भगवान श्री कृष्ण की पूजा-आराधना करता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. जिन लोगों की कुंडली में चंद्रमा कमजोर होता है उन्हें यह व्रत अवश्य करना चाहिए.
कहा जाता है कि भगवान श्री कृष्ण की पूजा करने से कुंडली में चंद्र की स्थिति मजबूत होती है. संतान प्राप्ति के लिए भी इस दिन व्रत किया जाता है. इस दिन भगवान श्री कृष्ण को झूला झुलाया जाता है, ऐसी मान्यता है कि भगवान श्री कृष्ण को झूला झुलाने से भगवान श्री कृष्ण अपने भक्तों के मनवांछित फल पूरा करते हैं.
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