News

दुनिया का पहला कावड़िया कौन था, जानें यहां

दुनिया का पहला कावड़िया कौन था, जानें यहां । First Kanwariya In The World Know Interesting Facts । किसने किया था सबसे पहले शिव लिंग का जल अभिषेक?
दोनों सावन माह की शुरुआत हो चुकी है. भगवान शिव का बेहद ही प्रिय माह श्रावण आते ही हर कोई शिव की भक्ति में डूब जाता है. इस पावन माह को पूरे उत्तर भारत और शेष अन्य प्रांतों में उत्साह के साथ पूजा जाता है. भारत के सभी प्रांतों में कावड़िये शिव के पवित्र धामों पर जल की कावड़ लेकर जल अर्पण करने पहुंचते हैं.
कावड़ियों को नंगे पैर बहुत दूर चलकर गंगा जल लाना होता है. शर्त यह होती है की कावड़ी, शिव कावड़ को जमीन में नहीं रखता. इस प्रकार शिव भक्त अनेक कठिनाइयों का समाना करके गंगा जल लाते है तथा उससे शिव का जलाभिषेक करते है. बीते दो दशकों से कावड़ यात्रा की लोकप्रियता बढ़ी है और अब समाज का उच्च एवं शिक्षित वर्ग भी कावड यात्रा में शामिल होने लगा है.
लेकिन क्या कभी आपके दिमाग में यह सवाल आया क्या? आखिर वह कौन पहला व्यक्ति होगा जो सबसे पहला कावड़ी था तथा जिसने सबसे पहले भगवान शिव का जलाभिषेक कर उनकी कृपा प्राप्त करी. इस परम्परा का आरम्भ कब हुआ. चलिए आपके सवालों का जवाब देते हुए बताते हैं-
1. भगवान परशुराम थे पहले कावड़िया- कुछ हिंदू धर्म विद्वानों का मानना है कि सबसे पहले भगवान परशुराम ने उत्तर प्रदेश के बागपत के पास स्थित ‘पुरा महादेव’का कावड़ से गंगाजल लाकर जलाभिषेक किया था.
परशुराम, इस प्रचीन शिवलिंग का जलाभिषेक करने के लिए गढ़मुक्तेश्वर से गंगा जी का जल लाए थे. वर्तमान समय में भी इस परंपरा का पालन करते हुए सावन के महीने में गढ़मुक्तेश्वर से जल लाकर लाखों लोग ‘पुरा महादेव’ का जलाभिषेक करते हैं. गढ़मुक्तेश्वर का वर्तमान नाम ब्रजघाट है.
2. श्रवण कुमार थे पहले कावड़िया- एक अन्य किवदंति की मानें तो, सबसे पहले त्रेतायुग में श्रवण कुमार ने पहली बार कावड़ यात्रा की थी. अपने बुजुर्ग माता-पिता को तीर्थ यात्रा कराने के क्रम में श्रवण कुमार हिमाचल के ऊना क्षेत्र में थे जहां उनके अंधे माता-पिता ने उनसे मायापुरी यानि हरिद्वार में गंगा स्नान करने की इच्छा जाहिर की थी.
माता-पिता की इस इच्छा को पूरी करने के लिए श्रवण कुमार अपने माता-पिता को कावड़ में बैठा कर हरिद्वार लाए और उन्हें गंगा स्नान कराया. वापसी में वे अपने साथ गंगाजल भी ले गए. इसे ही कावड़ यात्रा की शुरुआत माना जाता है.
3. भगवान राम ने की थी कावड़ यात्रा की शुरुआत-
कुछ अन्य मान्यताओं के अनुसार भगवान राम पहले कावडिया थे. उन्होंने बिहार के सुल्तानगंज से कावड़ में गंगाजल भरकर, बाबाधाम में शिवलिंग का जलाभिषेक किया था.
4. रावण ने की थी इस परंपरा की शुरुआत- हिंदू धर्म के पुराणों के अनुसार कावड यात्रा की परंपरा, समुद्र मंथन से जुड़ी है. समुद्र मंथन से निकले विष को पी लेने के कारण भगवान शिव का कंठ नीला हो गया और वे नीलकंठ कहलाए. लेकिन असर यह हुआ कि, विष के नकारात्मक प्रभावों ने शिव को घेर लिया.
शिव को विष के नकारात्मक प्रभावों से मुक्त कराने के लिए उनके अनन्य भक्त रावण ने ध्यान किया. जिसके बाद कावड़ में जल भरकर रावण ने ‘पुरा महादेव’ स्थित शिवमंदिर में शिवजी का जल अभिषेक किया. इससे शिवजी विष के नकारात्मक प्रभावों से मुक्त हुए और यहीं से कावड़ यात्रा की परंपरा का आरंभ हुआ.
5. देवताओं ने सर्वप्रथम शिव का किया था जलाभिषेक
हिंदू धर्म की पौराणिक मान्यताओं के अनुसार समुद्र मंथन से निकले हलाहल के प्रभावों को दूर करने के लिए
देवताओं ने शिव पर पवित्र नदियों का शीतल जल चढ़ाया था. सभी देवता शिवजी पर गंगाजी से जल लाकर अर्पित करने लगे. सावन मास में कावड़ यात्रा का प्रारंभ यहीं से हुआ.
इसे भी पढ़े :

Ravi Raghuwanshi

रविंद्र सिंह रघुंवशी मध्य प्रदेश शासन के जिला स्तरिय अधिमान्य पत्रकार हैं. रविंद्र सिंह राष्ट्रीय अखबार नई दुनिया और पत्रिका में ब्यूरो के पद पर रह चुकें हैं. वर्तमान में राष्ट्रीय अखबार प्रजातंत्र के नागदा ब्यूरो चीफ है.

Related Articles

Back to top button
DMCA.com Protection Status