कोविड-19 की दूसरी लहर में ऑक्सीजन ने पीड़ित मरीजों के परिजनों को परेशान कर रखा है. बीते एक महीने से बहुत से कोविड-19 मरीजों की मौत का कारण समय पर ऑक्सीजन ना मिलना है. इसका मुख्य कारण ऑक्सीजन की कमी नहीं बल्कि बहुत सी हैं. What Is Oxygen Concentrator
भारत सरकार ने भी Oxygen की कमी को पूरा करने के लिए एक लाख Oxygen Concentrator का उत्पादन किए जाने की घोषण की हैं, जो तरल चिकित्सकीय ऑक्सीजन का विकल्प होंगे जिससे कई राज्यों पर ऑक्सीजन का दबाव कम हो सकेगा. इसे खरीदने से पहले कई बातों का ध्यान रखना होगा.
Oxygen Concentrator क्या है? :
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जिस हवा में हम सांस लेते हैं उसमें दो मुख्य गैस से मौजूद होती हैं – 78% नाइट्रोजन और 21% ऑक्सीजन। बाकी गैस सिर्फ 1% होती हैं. शुद्ध Oxygen पाने के लिए हमें नाइट्रोजन और अन्य अशुद्धियों को खत्म करने की जरूरत होती है। एक Oxygen Concentrator ठीक यही कार्य करता है.
Oxygen Concentrator एक मेडिकल डिवाइस होता है जो मोटर की मदद से कमरे में मौजूद हवा को खींचता है. जिसके बाद एक फिल्टर के जरिए से यह नाइट्रोजन को दोबारा हवा में छोड़ता है और Oxygen Concentrator करके मरीज को उपलब्ध कराता है. कंसंट्रेटर का काम ऑक्सीजन को प्रोड्यूस करना नहीं होता है, बल्कि यह ऑक्सीजन कंसंट्रेट करता है जिससे मरीज में ऑक्सीजन की कमी को पूरा करने में सहायता मिलती है.
आमतौर पर ज्यादा मरीजों का ऑक्सीजन लेवल 90 से 94 तक होने पर उनकी ऑक्सीजन की कम मानी जाने लगती है. लेकिन 80-85 तक का ऑक्सीजन लेवल बहुत चिंताजनक स्थिति माना जाता है. ऐसे में Oxygen Concentrator कब उपयोगी होगा यह जानना जरूरी है.
कब होती है सिलेंडर की जरूरत :
Oxygen Concentrator 87 से 94 तक के Oxygen लेवल के लिए पर्याप्त रूप से उपयुक्त है और बहुत कारगर भी साबित होता है. लेकिन यदि मरीज का Oxygen लेवल 85 से कम होने लगे और Oxygen Concentrator के इस्तेमाल के बाद भी वह सामान्य या 90 से ऊपर ना हो पा रहा हो तब तरल ऑक्सीजन सिलेंडर ही एक विकल्प रह जाता है.
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कब होती है ऑक्सीजन कंसन्ट्रेटर की जरूरत? :
डॉक्टर्स के मुताबिक कोरोना के हल्के और मध्यम लक्षणों वाले मरीजों के लिए Oxygen Concentrator बेहद ही फायदेमंद है. जिन कोरोना मरीजों का ऑक्सीजन सैचुरेशन लेवल 15 फ़ीसदी उससे ज्यादा होता है उनके लिए ऑक्सीजन कंसंट्रेटर कार्य करें लेकिन कोरोना के गंभीर लक्षणों में Oxygen Concentrator से काम नहीं चल सकता है.
ऑक्सीजन सिचुएशन सैचुरेशन लेवल 85% से नीचे जाने पर मरीज को फुर्ती से अस्पताल में भर्ती करवाना चाहिए और मेडिकल ऑक्सीजन सप्लाई मुहैया करवानी चाहिए. Oxygen Concentrator का उपयोग करने से पहले आपको डॉक्टर की सलाह अवश्य लेनी चाहिए डॉक्टर की सलाह से ही आप जान पाएंगे कि आपको इस तरह का ऑक्सीजन कंसंट्रेटर खरीदना चाहिए और मरीज को ऑक्सीजन कंसंट्रेटर से फायदा होगा भी या नहीं.
कैसे कार्य करता है Oxygen Concentrator :
ऑक्सीजन की मात्रा हमारे वातावरण की हवा में केवल 21 प्रतिशत होती है और सामान्य परिस्थिति में हमारा श्वसन तंत्र इससे जरूरी ऑक्सीजन लेने में सक्षम होता है. Oxygen Concentrator वायुमंडल की हवा को लेता है उससे नाइट्रोजन और अन्य गैसों को फिल्टर करता है और फिर बची ऑक्सीजन को कंप्रैस कर देता है. ऐसे में फेफड़ों में ऑक्सीजन एक लीटर 24 प्रतिशत, दो लीटर 28 प्रतिशत और दस लीटर 60 प्रतिशत बढ़ा सकती है जिसे जरूरत केमुताबिक नियंत्रित किया जा सकता है.
कौन सा कंसन्ट्रेटर खरीदें? :
आजकल बाजार में दो तरह के कंसंट्रेटर मौजूद हैं – स्टेशनरी कंसंट्रेटर और पोर्टेबल Oxygen Concentrator. स्टेशनरी ऑक्सीजन कंसंट्रेटर सीधे बिजली से चलते हैं जबकि पोर्टेबल ऑक्सीजन कंसंट्रेटर बैटरी से भी चल सकते हैं. इसके साथ ही बाजार में अलग-अलग क्षमता वाले Oxygen Concentrator मौजूद हैं. छोटे कंसंट्रेटर 1 मिनट में 1 से 2 लीटर प्रति मिनट ऑक्सीजन सप्लाई कर सकते हैं. जबकि बड़े कंसंट्रेटर 5 से 10 लीटर प्रति मिनट ऑक्सीजन अप्लाई कर सकते हैं. क्षमता के मुताबिक, ऑक्सीजन कंसंट्रेट की कीमत 40,000 रूपए से ₹1 लाख रूपए तक हो सकती है.
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