कब है रंगभरी एकादशी, जानें तिथि

रंगभरी एकादशी फाल्गुन शुक्ल पक्ष की एकादशी को कहते हैं. इसे आमलकी एकादशी व्रत के नाम से भी जाना जाता है. रंगभरी एकादशी (Rangbhari Ekadashi 2021) के दिन भगवान विष्णु जी की आराधना के साथ आंवले के वृक्ष की पूजा की जाती है. पौराणिक धार्मिक मान्यता है कि इसी एकादशी के दिन भगवान शिव मां पार्वती को पहली बार काशी में लेकर आए थे. इसलिए यह एकादशी बाबा विश्वनाथ के भक्तों के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है.

यह व्रत मुख्य रूप से भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित है. मालूम हो कि, फाल्गुन शुक्ल की एकादशी को रंगभरी एकादशी के रूप में मनाया जाता है. प्राचीन मान्यताओं के अनुसार इसी दिन भगवान शिव, मां पार्वती को विवाह करके पहली बार काशी पर्वत लाए थे. इस दिन बाबा विश्वनाथ के श्रृंगार का विशेष महत्व होता है और इसी दिन से काशी में होली के पर्व की शुरूआत भी हो जाती है. यह पर्व लगातार छह दिनों तक चलता है.

rangbhari-ekadashi-2021
rangbhari ekadashi 2021

कब है रंगभरी एकादशी 2021? :

फाल्गुन शुक्ल पक्ष तिथि इस साल 25 मार्च को है। अतः रंगभरी एकादशी 25 मार्च को है।

रंगभरी एकादशी व्रत मुहूर्त :

एकादशी तिथि का प्रारंभ – 24 मार्च को सुबह 10 बजकर 23 मिनट
एकादशी तिथि समाप्त – 25 मार्च को 09 सुबह 47 मिनट तक
व्रत पारण का समय – 26 मार्च को सुबह 06:18 बजे से 08:21 बजे तक

रंगभरी एकादशी व्रत विधि :

  • इस दिन सुबह नहाकर पूजा का संकल्प लें.
  • घर से एक पात्र में जल भरकर शिव मंदिर जाएं.
  • अबीर, गुलाल, चन्दन और बेलपत्र भी साथ ले जाएं.
  • पहले शिव लिंग पर चन्दन लगाएं.
  • जिसके बाद बेल पत्र और जल अर्पित करें.
  • जिसके बाद अबीर और गुलाल अर्पित करें.
  • भोलेनाथ से अपनी सभी परेशानियों को दूर करने की प्रार्थना करें।

रंगभरी एकादशी का धार्मिक महत्व :

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, फाल्गुन शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन भगवान विष्णु के साथ आंवले के पेड़ की पूजा की जाती है. लोक किवदंति है कि, सृष्टि की रचना के समय भगवान विष्णु ने आंवले को पेड़ के रूप में प्रतिष्ठित किया था. इसलिए आंवले के वृक्ष में विष्णु का स्थान माना गया है. आमलकी एकादशी के दिन आंवले के वृक्ष के नीचे बैठकर भगवान विष्णु की आराधना की जाती है. हिंदू धर्म की लोक आस्था है कि इस व्रत को रखने से मोक्ष की प्राप्ति होती है.

रंगभरी एकादशी व्रत कथा :

प्राचीन काल में चित्रसेन नामक राजा था. उसके राज्य में एकादशी व्रत का बहुत महत्व था. राजा समेत पूरी प्रजा के लोग एकादशी का व्रत श्रद्धा भाव के साथ किया करते थे. राजा की आमलकी एकादशी के प्रति बहुत गहरी आस्था थी। एक बार राजा शिकार करते हुए जंगल में बहुत दूर निकल गए. उसी वक्त कुछ जंगली और पहाड़ी डाकुओं ने राजा को घेर लिया और डाकू शस्त्रों से राजा पर प्रहार करने लगे, परंतु जब भी डाकू राजा पर प्रहार करते वह शस्त्र ईश्वर की कृपा से पुष्प में बदल जाते. डाकुओं की संख्या अधिक होने के कारण राजा संज्ञाहीन होकर भूमि पर गिर गए. तभी राजा के शरीर से एक दिव्य शक्ति प्रकट हुई और उस दिव्य शक्ति ने समस्त दुष्टों को मार दिया, जिसके बाद वह अदृश्य हो गई.

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rangbhari ekadashi 2021

जब राजा बेहोशी से बाहर आए तो उन्होंने देखा की सभी मृत पड़े हैं. यह सब देखकर राजा को आश्चर्य हुआ. राजा के मन में प्रश्न उठा कि इन डाकुओं को किसने मारा. इसी दौरान आकाशवाणी हुई कि हे राजन! यह सब दुष्ट तुम्हारे आमलकी एकादशी का व्रत करने के प्रभाव से मारे गए हैं.

तुम्हारी देह से उत्पन्न आमलकी एकादशी की वैष्णवी शक्ति ने इनका संहार किया है. इन्हें मारकर वह दोबारा तुम्हारे शरीर में प्रवेश कर गई. यह सारी बातें सुनकर राजा को अत्यंत प्रसन्नता हुई, एकादशी के व्रत के प्रति राजा की श्रद्धा और भी बढ़ गई. तब राजा ने वापस लौटकर राज्य में सबको एकादशी का महत्व बतलाया.

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