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भारत के विभिन्न भागों में नवरात्रि कैसे मनाई जाती है? जानें गुजरात के गरबा से बंगाल की दुर्गा पूजा तक का सफर

भारत के विभिन्न भागों में नवरात्रि कैसे मनाई जाती है? एक देश, अनेक उत्सव

How is Navratri celebrated in different parts of India in hindi? (भारत के विभिन्न भागों में नवरात्रि कैसे मनाई जाती है?) – नवरात्रि का पर्व आते ही पूरा भारत भक्ति, ऊर्जा और उत्सव के नौ अलग-अलग रंगों में सराबोर हो जाता है। यह एक ऐसा अद्भुत त्योहार है जो कश्मीर से कन्याकुमारी तक, हर क्षेत्र में अपनी अनूठी परंपराओं और रीति-रिवाजों के साथ मनाया जाता है। भले ही पूजा पद्धतियां, पहनावा और भाषाएं अलग-अलग हों, लेकिन इन सब के मूल में एक ही भावना निहित है – आदिशक्ति की आराधना और बुराई पर अच्छाई की विजय का जश्न।

कहीं गरबा की धूम है, तो कहीं भव्य पंडालों की चमक; कहीं रामलीला का मंचन होता है, तो कहीं गुड़ियों का सजावट। यह त्योहार भारत की “अनेकता में एकता” की सच्ची भावना को दर्शाता है। गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर के शब्दों में, “नवरात्रि का समय हमारे लिए अपने मूल स्रोत से जुड़ने का समय होता है।”

आइए, इस लेख के माध्यम से भारत के विभिन्न कोनों की यात्रा करें और देखें कि यह नौ दिवसीय महापर्व किस तरह अलग-अलग रूपों में मनाया जाता है।

नवरात्रि का सार: देवी के नौ रूप

इससे पहले कि हम क्षेत्रीय उत्सवों में गोता लगाएं, यह जानना महत्वपूर्ण है कि नवरात्रि का मूल सार देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा है। प्रत्येक दिन देवी के एक विशिष्ट स्वरूप को समर्पित है, जो एक विशेष गुण का प्रतीक है।


नवरात्रि और दुर्गा पूजा से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण लेख


उत्तर भारत (दिल्ली, उत्तर प्रदेश, पंजाब, बिहार): रामलीला, जागरण और कन्या पूजन

उत्तर भारत में नवरात्रि का पर्व माँ दुर्गा, जिन्हें ‘शेरां वाली माता’ भी कहा जाता है, की भक्ति और भगवान राम की विजय के उत्सव के रूप में मनाया जाता है।

  • रामलीला: नवरात्रि के दौरान, शहरों और गांवों में रामायण का नाट्य रूपांतरण, यानी ‘रामलीला’ का मंचन किया जाता है। यह नौ दिनों तक चलता है और दसवें दिन, यानी दशहरा पर, रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद के विशाल पुतलों का दहन किया जाता है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।
  • जागरण: कई स्थानों पर, भक्तगण रात भर जागकर माँ दुर्गा के भजन और गीत गाते हैं, जिसे ‘जागरण’ या ‘जगराता’ कहा जाता है।
  • कन्या पूजन: अष्टमी या नवमी के दिन, कन्या पूजन की परंपरा का पालन किया जाता है। इसमें नौ छोटी कन्याओं को देवी का स्वरूप मानकर उनके पैर धोए जाते हैं, उन्हें भोजन कराया जाता है और उपहार दिए जाते हैं।

पश्चिमी भारत (गुजरात, महाराष्ट्र): गरबा और डांडिया रास का उल्लास

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जब नवरात्रि की बात आती है, तो गुजरात के गरबा और डांडिया का जीवंत दृश्य तुरंत आँखों के सामने आ जाता है।

  • गरबा: यह एक पारंपरिक नृत्य है जो एक छिद्रित मिट्टी के बर्तन (गरबो) के चारों ओर किया जाता है, जिसके अंदर एक दीपक जलाया जाता है। यह दीपक गर्भ में जीवन का प्रतीक है और नृत्य ब्रह्मांड के चक्रीय स्वरूप को दर्शाता है।
  • डांडिया रास: इसमें पुरुष और महिलाएं रंग-बिरंगी डांडिया छड़ियों के साथ लयबद्ध रूप से नृत्य करते हैं। यह नृत्य देवी दुर्गा और महिषासुर के बीच हुए युद्ध का प्रतीकात्मक चित्रण माना जाता है।
  • महाराष्ट्र में घटस्थापना: महाराष्ट्र में भी नवरात्रि बड़े उत्साह से मनाई जाती है। यहां भी गरबा का आयोजन होता है और घरों में घटस्थापना (कलश स्थापना) की जाती है।

पूर्वी भारत (पश्चिम बंगाल, असम, ओडिशा): दुर्गा पूजा का भव्य कार्निवल

पूर्वी भारत, विशेषकर पश्चिम बंगाल में, नवरात्रि का मतलब है दुर्गा पूजा। यह सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि पांच दिनों तक चलने वाला एक विशाल सांस्कृतिक कार्निवल है।

दुर्गा पूजा
  • भव्य पंडाल: शहरों और कस्बों में कलात्मक और थीम-आधारित पंडाल बनाए जाते हैं, जिनमें माँ दुर्गा की महिषासुर का वध करती हुई विशाल और सुंदर मूर्तियाँ स्थापित की जाती हैं।
  • धार्मिक अनुष्ठान: पूजा का मुख्य उत्सव षष्ठी से शुरू होता है। पुष्पांजलि, संधि पूजा, सिंदूर खेला और धनुची नृत्य इसके प्रमुख आकर्षण हैं।
  • विसर्जन: विजयादशमी के दिन, माँ दुर्गा की मूर्तियों को भव्य जुलूस के साथ निकट की नदी या तालाब में विसर्जित कर दिया जाता है, इस वादे के साथ कि “अगले बरस तू फिर आना माँ!”।

दक्षिण भारत (तमिलनाडु, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश): गोलू और विद्यारंभ का ज्ञान पर्व

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दक्षिण भारत में नवरात्रि मनाने का तरीका बिल्कुल अनूठा है। यहाँ यह त्योहार ज्ञान, कला और शिल्प कौशल को समर्पित है।

  • गोलू / बोम्मई कोलु: तमिलनाडु, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में, घरों में सीढ़ीनुमा मंच बनाए जाते हैं, जिन पर देवी-देवताओं, मनुष्यों और जानवरों की रंग-बिरंगी गुड़ियों को सजाया जाता है। इसे ‘गोलू’ या ‘कोलु’ कहते हैं। यह ब्रह्मांड में जीवन के पदानुक्रम का प्रतीक है।
  • आयुध पूजा: महानवमी के दिन कर्नाटक और अन्य दक्षिणी राज्यों में ‘आयुध पूजा’ की जाती है। इस दिन लोग अपने औजारों, उपकरणों, वाहनों और किताबों की पूजा करते हैं, जो उनके जीवनयापन में सहायक होते हैं।
  • विद्यारंभ: केरल में, विजयादशमी का दिन ‘विद्यारंभ’ के रूप में मनाया जाता है। इस दिन छोटे बच्चों को पहली बार अक्षरों की दुनिया से परिचित कराया जाता है। उन्हें चावल या रेत की थाली पर “हरि श्री गणपतये नमः” लिखना सिखाया जाता है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)

प्रश्न 1: How is Navratri celebrated in different parts of India in hindi?
उत्तर: भारत के विभिन्न भागों में नवरात्रि अलग-अलग तरीकों से मनाई जाती है: उत्तर भारत में रामलीला और कन्या पूजन, पश्चिम भारत में गरबा और डांडिया, पूर्वी भारत में दुर्गा पूजा और पंडाल, और दक्षिण भारत में गोलू (गुड़िया) और आयुध पूजा का विशेष महत्व है।

प्रश्न 2: क्या सभी जगहों पर नवरात्रि में उपवास रखा जाता है?
उत्तर: उपवास मुख्य रूप से उत्तर और पश्चिम भारत में एक प्रमुख परंपरा है। पूर्वी और दक्षिणी भारत में, उत्सव का ध्यान पूजा, सांस्कृतिक कार्यक्रमों और सामुदायिक भोज पर अधिक होता है, हालांकि कुछ लोग वहां भी उपवास रखते हैं।

प्रश्न 3: गरबा और डांडिया में क्या अंतर है?
उत्तर: गरबा आमतौर पर हाथों की ताली और गोलाकार कदमों के साथ किया जाता है, जबकि डांडिया में रंगीन छड़ियों का उपयोग होता है। गरबा देवी की भक्ति का प्रतीक है, और डांडिया एक प्रतीकात्मक युद्ध नृत्य है।

प्रश्न 4: गोलू का क्या महत्व है?
उत्तर: दक्षिण भारत में नवरात्रि के दौरान मनाया जाने वाला गोलू उत्सव, ब्रह्मांड में दैवीय और सांसारिक जीवन के संतुलन और पदानुक्रम को दर्शाता है। यह एक सामाजिक और सांस्कृतिक मिलन का भी अवसर होता है।

निष्कर्ष

नवरात्रि का पर्व भारत की अविश्वसनीय सांस्कृतिक विविधता का एक शानदार उदाहरण है। चाहे पूजा का तरीका कोई भी हो, यह त्योहार हमें एक ही आध्यात्मिक सूत्र में पिरोता है – शक्ति की आराधना, बुराई पर अच्छाई की विजय में विश्वास, और जीवन में एक नई, सकारात्मक शुरुआत की आशा। यह नौ रातें वास्तव में हमें अपने भीतर की दिव्यता से जुड़ने और जीवन के आनंदमय स्वरूप को समझने का अवसर प्रदान करती हैं।

(Disclaimer: यह लेख सांस्कृतिक परंपराओं और सार्वजनिक रूप से उपलब्ध जानकारी पर आधारित है।)

KAMLESH VERMA

दैनिक भास्कर और पत्रिका जैसे राष्ट्रीय अखबार में बतौर रिपोर्टर सात वर्ष का अनुभव रखने वाले कमलेश वर्मा बिहार से ताल्लुक रखते हैं. बातें करने और लिखने के शौक़ीन कमलेश ने विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन से अपना ग्रेजुएशन और दिल्ली विश्वविद्यालय से मास्टर्स किया है. कमलेश वर्तमान में साऊदी अरब से लौटे हैं। खाड़ी देश से संबंधित मदद के लिए इनसे संपर्क किया जा सकता हैं।

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