हरियाली अमावस्या | हरियाली अमावस्या क्या हैं | 2023 में कब हैं हरियाली अमावस्या
महत्वपूर्ण जानकारी
Table of Contents
- हरियाली अमावस्या 2023
- सोमवार, 17 जुलाई 2023
- अमावस्या तिथि शुरू: 16 जुलाई 2023 रात 10:08 बजे
- अमावस्या तिथि समाप्त: 18 जुलाई 2023 दोपहर 12:01 बजे
हरियाली अमावस्या 2023 कब और क्यों मनाई जाती हैं क्या हैं महत्व Hariyali Amavasya 2023 Date and Puja Timings : भारत वर्ष में हर साल श्रावण माह की अमावस्या को पंजाब, मध्यप्रदेश के मालवा प्रांत, राजस्थान, गुजरात ,उत्तरप्रदेश और हरियाणा आदि राज्यों में हरियाली अमावस्या का पर्व मनाया जाता है. इसका उद्देश्य धार्मिक रुप से लोगों के बीच प्रकृति को बचाए जाने के लिए जागरूकता पैदा करना है. इस दिन किसान आने वाले वर्ष में कृषि कैसी होगी इनका अनुमान लगाते हैं, शगुन करते हैं. सुहागिन महिलाएं हरी साड़ी और श्रृंगार कर पौधा रोपण कर उसे बचाने का संकल्प लेती है.
हरियाली अमावस्या 2023 कब और क्यों मनाई जाती हैं महत्व
इस वर्ष हरियाली अमावस्या 17 जुलाई 2023, सोमवार को पड़ रहा है. सामाजिक संस्थाओं द्वारा इस दिन जंगलों को बचाए जाने के उद्देश्य से विभिन्न प्रकार के पौधे लगाए जाते हैं. सदियों पुरानी परम्परा के निर्वहन के रूप में हरियाली अमावस्या के दिन एक नया पौधा लगाना शुभ माना जाता हैं. गुजरात में इन्हे हरियाली अमावस के नाम से जानी जाती हैं.
हरियाली अमावस्या के दिन सभी लोग वृक्ष पूजा करने की प्रथा के अनुसार पीपल और तुलसी के पेड़ की पूजा करते हैं. हमारे धार्मिक ग्रंथो में सजीव और निर्जीव जीवों से पर्वत और पेड़ पौधो में भी इश्वर का वास बताया जाता हैं.
पीपल का सर्वगुणसंपन्न होने के साथ इसमे त्रिदेवों का वास भी माना जाता हैं. ठीक इसी तरह आंवले के वृक्ष में भगवान श्री लक्ष्मीनारायण का वास माना जाता हैं.
2023 में हरियाली अमावस्या कब मनाई जाएगी
इस साल यानि 2023 में श्रावण हरियाली अमावस्या 17 जुलाई 2023, सोमवार को पड़ रही है.
अमावस्या के दिन कई शहरों में हरियाली अमावस्या के मेलों का भी आयोजन किया जाता हैं. इस कृषि उत्सव को सभी समुदायों के लोग आपस में मिलकर मनाते हैं.
तथा एक दुसरे को गुड़ और धानी की प्रसाद देकर आने वाली मानसून त्रतु की शुभकामना देते हैं. इस दिन अपने हल और कृषि यंत्रो का पूजन करने का रिवाज हैं.
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इस पर्व के ठीक तीन दिन बाद हरियाली तीज का पर्व भी आता हैं. पेड़ों के महत्व को हमारे वेदों और पुराणों में अच्छी तरह से महिमामंडित किया गया हैं,
आज सम्पूर्ण विश्व में पर्यावरण सरक्षण की हवा जोरों पर हैं. ऐसे में इस प्रकार के तीज त्योहारों को मनाने से हम पर्यावरण संरक्षण में बहुत बड़ा योगदान दे सकते हैं.
Hariyali Amavasya क्यों मनाई जाती हैं
सनातन धर्म में प्रत्येक तिथि का अपना एक खास महत्व होता हैं. भारत में 365 दिन ही कोई न कोई तीज त्यौहार आता ही हैं, कई बार एक ही तिथि को दो अलग-अलग त्यौहार एक साथ पड़ते हैं.
अमावस्या हर माह में 2 और इस तरह वर्ष में 24 अमावस्या होती हैं.इस तिथि को अपने पितरों की आत्मा को शांति के लिए हवन पूजा पाठ दान दक्षिणा देने का विशेष महत्व हैं. अमावस्या में सावन महीने की हरियाली अमावस्या का अपना अलग ही महत्व हैं.
इस दिन विभिन्न स्थानों पर मेलों और पूजा पाठ का भी आयोजन किया जाता हैं.पीपल तथा आंवले के वृक्ष की इस दिन पूजा कर एक नया वृक्ष लगाने का सकल्प भी किया जाता हैं.
हरियाली अमावस्या के दिन उत्तर भारत में मथुरा और वृंदावन के खासकर बांके बिहारी मंदिर एंव द्वारकाधिश मंदिर विशेष पूजा और दर्शन के कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं. कई अन्य शिव मन्दिरों में भी लोग अमावस्या के दिन दर्शन और पवित्र स्नान करने जाते हैं.
हरियाली श्रावण अमावस्या का महत्व
- इस दिन स्नानादि करने के पश्तात पीपल अथवा तुलसी के वृक्ष की पूजा कर परिक्रमा करे.
- भूखे और दीन लोगों को दान पुण्य के रूप में कुछ भेट दे.
- यदि आप सर्पदोष, शनी की दशा और प्रकोप व पितृपीड़ा से परेशान हो तो हरियाली अमावस्या के दिन शिवलिंग पर जल और पुष्प चढ़ाए.
- अपने पर्यावरण की खातिर वर्षो से आ रही प्रथा को निभाने के लिए एक पौधा जरुर लगाए.
- वेदों के अनुसार आरोग्य प्राप्ति के लिए नीम का पेड़ सुख की प्राप्ति लिए तुलसी का पौधा, संतान प्राप्ति के लिए केले का वृक्ष और धन सम्पदा के लिए आंवले का पौधा ही लगाए.
- गेहूं, ज्वार, चना,मक्का, बाजरा की इस दिन प्रतीक के रूप में कुछ भाग पर बुवाई करे.
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