भूमि पूजन सामग्री लिस्ट | Bhumi Pujan Samagri List in Hindi | भूमि पूजन पद्धति | भूमि पूजन मंत्र इन संस्कृत
मातृ भूमि यानी की धरा, जिस स्थान पर मनुष्य का जन्म हुआ है. हिंदू धर्म ग्रंथों में भूमी को मां का दर्जा दिया गया है. सनातन संस्कृति में किसी भी भवन के निर्माण के पूर्व भूमी पूजन किए जाने की पंरपरा है. इसका निर्वहन अनादी काल से किया जा रहा है. भूमि पूजन सभी के लिए कितना महत्वपूर्ण हैं इस पंरपरा से कोई भी व्यक्ति अनभिज्ञ नहीं हैं. सभी लोग इस अनूठी रिती से भलीभाँति परिचित हैं. दोस्तों क्या आप जानते हैं कि, मकान या किसी भी निर्माण की नींव रखने के पूर्व भूमी पूजन क्यों किया जाता है. यदि नहीं जानते तो कोई बात नहीं है, आज हम पोस्ट के जरिए आपकों विस्तार पूर्वक बताने वाले है कि, भूमि पूजन सामग्री लिस्ट | Bhumi Pujan Samagri List in Hindi | भूमि पूजन पद्धति | भूमि पूजन मंत्र इन संस्कृत में आशा करते हैं आप पोस्ट को शुरू से लेकर अंत तक जरूर पढ़ेंगे.
Bhumi Pujan Samagri List | भूमि पूजन सामग्री लिस्ट इन हिंदी
Table of Contents
- LIST: भूमि पूजन सामग्री लिस्ट हिंदी में निम्नवत है
- सुपाड़ी (समूची बड़ी) 100 ग्राम
- लौंग 10 ग्राम
- इलायची 10 ग्राम
- सर्वोषधि 1 डिब्बी
- सप्तमृत्तिका 1 डिब्बी
- सप्तधान्य 100 ग्राम
- पीली सरसों 50 ग्राम
- पीला अष्टगंध चंदन 10 ग्राम
- लाल चन्दन 10 ग्राम
- सफ़ेद चन्दन 10 ग्राम
- लाल सिंदूर 10 ग्राम
- हल्दी (पिसी) 50 ग्राम
- हल्दी (समूची) 50 ग्राम
- नवग्रह चावल 1 पैकेट
- रोली 10 ग्राम
- पीला सिंदूर 10 ग्राम
- जनेऊ 5 पीस
- इत्र 1 शीशी
- रुई की बत्ती (गोल / लंबी) 1-1 पै.
- देशी घी 500 ग्राम कपूर 20 ग्राम
- कलावा 5 पीस
- चुनरी (लाल / पीली) 1/1 पीस
- अबीर-गुलाल (लाल, पीला, हरा, गुलाबी) अलग-अलग 10 ग्राम
- बुक्का (अभ्रक) 10 ग्राम
- गरी का गोला (सूखा) 2 पीस
- पानी वाला नारियल 1 पीस
- जटादार सूखा नारियल 1 पीस
- अक्षत (चावल) 1 किलो
- धूपबत्ती 1 पैकेट
- बताशा 500 ग्राम
- लाल वस्त्र 1 मी.
- पीला वस्त्र 1 मी.
- झंडा हनुमान जी का 1 पीस
- गंगाजल 1 शीशी
- गुलाब जल 1 शीशी
- कुश (पवित्री) 4 पीस
- लकड़ी की चौकी 1 पीस
- दोना (छोटा – बड़ा) 1-1 पीस
- मिट्टी का कलश (बड़ा) 1 पीस
- मिट्टी की दियाली 8 पीस
- हवन कुण्ड 1 पीस
- माचिस 1 पीस
- आम की लकड़ी 2 किलो
- नवग्रह समिधा 1 पैकेट
- सुगंध कोकिला 50 ग्राम
- नागरमोथा 50 ग्राम
- जटामांसी 50 ग्राम
- अगर-तगर 100 ग्राम
- इंद्र जौ 50 ग्राम
- बेलगुदा 100 ग्राम
- सतावर 50 ग्राम
- गुर्च 50 ग्राम
- हवन सामग्री 500 ग्राम
- तिल 100 ग्राम
- जौ 100 ग्राम
- कस्तूरी 1 डिब्बी
- केसर 1 डिब्बी
- खैर की लकड़ी 4 पीस
- शहद 50 ग्राम
- पंचमेवा 200 ग्राम
- धोती (पीली/लाल) 1 पीस
- अगोंछा (पीला/लाल) 1 पीस
- गुड़ 500 ग्राम
- कमलगट्टा 100 ग्राम
- गुग्गुल 100 ग्राम
- धूप लकड़ी 100 ग्राम
- सुगंध बाला 50 ग्राम
- जावित्री 25 ग्राम
नींव पूजन (भराई) हेतु सामग्री | भूमि पूजन सामग्री लिस्ट
- नींव पूजन (भराई) हेतु सामग्री (भूमि पूजन सामग्री लिस्ट)
- नवीन ईंट (बालू, मौरंग, सीमेंट) नींव भराई हेतु 11 पीस
- सिक्के 5 पीस
- तुलसी की पत्तियां 35 पीस
- पान के पत्ते (समूचे) 11 पीस
- तांबे का कलश (ढक्कन समेत) 1 पीस
- वास्तु यंत्र 1 पीस
- चांदी के नाग-नागिन का जोड़ा 1 पीस
- चांदी की मछली 1 पीस
- मिट्टी के दीपक 11 पीस
- पानी वाला नारियल 1 पीस
- चांदी का कछुआ 1 पीस
- लोहे की कीलें 4 पीस
- छोटे आकार के औजार 5 पीस
- फल 5 प्रकार के
- पंचरत्न व पंचधातु 1 डिब्बी
- शहद 50 ग्राम
- गुड़ 100 ग्राम
- जनेऊ 2 पीस
- हल्दी की गांठ 5 पीस
- राम-नाम पुस्तिका 1 पीस
- आटे की पंजीरी 100 ग्रामभूमि
- चौकोर पत्थर (काले रंग के) 5 पीस
जाने भूमि पूजन ( Bhoomi Pujan ) क्यों करते हैं ?
हिंदू धर्म शास्त्रों में उल्लेख है कि, जब भी किसी निर्माण की नींव रखी जाती है, तो उसका पूजन किया जाना बेहद ही जरूरी है. यदि निर्माण का भूमी पूजन नहीं किया जाता है तो भविष्य में किसी प्रकार की अप्रिय घटना होने की आशंका बनी रहती है. इसे किया जाना इसलिए भी जरूरी है कि, यदि भवन मालिक से पूर्व में भूमी के संदर्भ में किसी प्रकार का अपराध हुआ हो तो भूमि पूजन करने से धरती माँ सभी प्रकार के दोष व गलतियों को क्षमा प्रदान कर अपना आशीर्वाद देती हैं. निर्माण के समय या उसके बाद जीव की हानि नहीं होती व साथ ही अन्य समस्याओं से भी मुक्ति मिलती हैं.
भूमि पूजन की विधि ( Vidhi ) क्या है ?
पौराणिक कथाओं की मानें तो, कहा जाता हैं कि कोई भी नवीन निर्माण कार्य प्रारंभ करने से पहले भूमि पूजन के दिन उस स्थान पर गंगाजल का छिड़काव करना चाहिए. जिसके बाद प्रातःकाल उठकर जिस भूमि का पूजन किया जाना हैं उस स्थान की सफाई कर उसे पवित्र कर लिया जाता हैं. पूजा के लिए ब्राह्मण को उत्तर मुखी होकर उचित स्थान पर बैठना चाहिए.
पूजन सामग्री में उपयोग होने वाले चांदी के सापँ की जाती है. इसका उद्देश्य भगवान शेषनाग का आशीर्वाद प्राप्त करना होता है. शास्त्रों में उल्लेख मिलता है कि, जिस तरह भगवान शेषनाग पृथ्वी को संभाले हुए हैं और उसका रक्षा करते हैं वैसे ही वे भवन की रक्षा करेंगे. पौराणिक मान्यता हैं कि भूमी पूजन में कलश रखने से भगवान शेषनाग विष्णु जी के साथ क्षीर सागर मे रहते हैं इसलिए कलश मे दूध,दही,घी डालकर मंत्रों के सहायता से भगवान शेषनाग की पूजा होती हैं ताकि शेषनाग भगवान का साक्षात् आशीर्वाद प्राप्त हो .
वास्तु शास्त्र के अनुसार भूमि पूजन क्यों जरुरी है ?
वास्तु शास्त्र ( Vastu shastra ) के अनुसार, आपकी जमीन चाहे किसी दिशा में हो ,लेकिन नींव की खुदाई उत्तर से पूर्व से शुरू करके उत्तर-पश्चिम और दक्षिण-पूर्व की तरफ लाए. जिसके बाद उत्तर पश्चिम और दक्षिण पूर्व से शुरू करके दक्षिण पश्चिम तक साथ करके समाप्त करें. भूमि पूजन मे वास्तु शास्त्र का अत्यधिक महत्व होता हैं इसलिए हमेशा भूमि पूजन उत्तर पूर्व दिशा मे करनी चाहिए.
पृथ्वी पूजन मंत्र ( Prithvi Pujan Mantra )
समुद्र-वसने देवि, पर्वत-स्तन-मंडिते ।
विष्णु-पत्नि नमस्तुभ्यं, पाद-स्पर्शं क्षमस्व मे ॥
अर्थात् समुद्र रुपी वस्त्र धारण करने वाली पर्वत रुपी स्तनों से मंडित भगवान विष्णु की पत्नी हे माता पृथ्वी! आप मुझे पाद स्पर्श के लिए क्षमा करें.
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