अमावस्या कब है 2025-26? | Amavasya Dates List, पूजा विधि, महत्व और अचूक उपाय

अमावस्या कब है 2025-26? देखें पूरी सूची, जानें महत्व, पूजा विधि और अचूक उपाय
अमावस्या कब है 2025-26? यह सवाल हर उस व्यक्ति के लिए महत्वपूर्ण है जो हिंदू धर्म की परंपराओं और पंचांग में गहरी आस्था रखता है। अमावस्या तिथि, जिसे कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि माना जाता है, केवल एक खगोलीय घटना नहीं है, बल्कि यह आध्यात्मिक ऊर्जा, पितरों की शांति और साधना का एक शक्तिशाली केंद्र भी है। इस दिन चंद्रमा आकाश में अदृश्य हो जाता है, जिससे रात्रि घोर अंधकारमय होती है।
शास्त्रों में इस दिन को पितृ कर्म, स्नान-दान और दोष निवारण के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण बताया गया है। अक्सर लोगों को आने वाले वर्षों की अमावस्या तिथियों को लेकर संशय होता है। आपकी इसी दुविधा को दूर करने के लिए, हम इस विस्तृत लेख में अमावस्या कब है 2025-26, इसकी पूरी सूची प्रस्तुत कर रहे हैं। साथ ही, हम अमावस्या के गहरे महत्व, इसकी चरण-दर-चरण पूजा विधि, विशेष उपायों और इस दिन क्या करना और क्या नहीं करना चाहिए, इस पर भी प्रकाश डालेंगे।
2025 में अमावस्या कब है? (Amavasya Dates List 2025)
आइए सबसे पहले जानते हैं कि साल 2025 में अमावस्या की तिथियां कब-कब पड़ रही हैं।
महीना | तारीख | दिन | अमावस्या का विशेष नाम |
जनवरी | 29 जनवरी | बुधवार | माघ (मौनी) अमावस्या |
फरवरी | 28 फरवरी | शुक्रवार | फाल्गुन अमावस्या |
मार्च | 29 मार्च | शनिवार | चैत्र (शनि) अमावस्या |
अप्रैल | 27 अप्रैल | रविवार | वैशाख अमावस्या |
मई | 27 मई | मंगलवार | ज्येष्ठ (वट सावित्री) अमावस्या |
जून | 25 जून | बुधवार | आषाढ़ (हलहारिणी) अमावस्या |
जुलाई | 24 जुलाई | गुरुवार | श्रावण (हरियाली) अमावस्या |
अगस्त | 23 अगस्त | शनिवार | भाद्रपद (शनि) अमावस्या |
सितंबर | 21 सितंबर | रविवार | आश्विन (सर्वपितृ) अमावस्या |
अक्टूबर | 21 अक्टूबर | मंगलवार | कार्तिक (दीपावली) अमावस्या |
नवंबर | 19 नवंबर | बुधवार | मार्गशीर्ष अमावस्या |
दिसंबर | 19 दिसंबर | शुक्रवार | पौष अमावस्या |
2026 में अमावस्या कब है? (Amavasya Dates List 2026)
अब एक नजर डालते हैं साल 2026 की अमावस्या तिथियों की सूची पर।
महीना | तारीख | दिन | अमावस्या का विशेष नाम |
जनवरी | 17 जनवरी | शनिवार | माघ (मौनी/शनि) अमावस्या |
फरवरी | 16 फरवरी | सोमवार | फाल्गुन (सोमवती) अमावस्या |
मार्च | 18 मार्च | बुधवार | चैत्र अमावस्या |
अप्रैल | 16 अप्रैल | गुरुवार | वैशाख अमावस्या |
मई | 15 मई | शुक्रवार | ज्येष्ठ (वट सावित्री) अमावस्या |
जून | 14 जून | रविवार | आषाढ़ अमावस्या |
जुलाई | 13 जुलाई | सोमवार | श्रावण (सोमवती) अमावस्या |
अगस्त | 12 अगस्त | बुधवार | भाद्रपद अमावस्या |
सितंबर | 10 सितंबर | गुरुवार | आश्विन (सर्वपितृ) अमावस्या |
अक्टूबर | 09 अक्टूबर | शुक्रवार | कार्तिक (दीपावली) अमावस्या |
नवंबर | 08 नवंबर | रविवार | मार्गशीर्ष अमावस्या |
दिसंबर | 08 दिसंबर | मंगलवार | पौष अमावस्या |
अमावस्या का इतना गहरा महत्व क्यों है?
अमावस्या को केवल एक तिथि मान लेना इसकी महत्ता को कम आंकना है। इसका महत्व आध्यात्मिक, ज्योतिषीय और सामाजिक स्तर पर बहुत व्यापक है।
- पितरों की शांति का पर्व: गरुड़ पुराण के अनुसार, अमावस्या के दिन हमारे पूर्वज (पितर) पृथ्वी पर अपने वंशजों को देखने आते हैं। इस दिन किया गया तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध कर्म उन्हें सीधे प्राप्त होता है, जिससे वे तृप्त होकर आशीर्वाद देते हैं। इससे परिवार में पितृ दोष का निवारण होता है और सुख-शांति आती है।
- ज्योतिषीय महत्व: ज्योतिष में सूर्य को आत्मा और चंद्रमा को मन का कारक माना गया है। अमावस्या के दिन सूर्य और चंद्रमा एक ही राशि में एक साथ आ जाते हैं। इस दिन चंद्रमा की शक्ति लगभग शून्य हो जाती है, जिससे मन में अस्थिरता, घबराहट और नकारात्मक विचार बढ़ सकते हैं। इसलिए इस दिन ध्यान, मंत्र जाप और साधना करने की सलाह दी जाती है ताकि मन को स्थिर रखा जा सके।
- दोष निवारण का दिन: यह दिन कालसर्प दोष, शनि दोष और पितृ दोष जैसे गंभीर ज्योतिषीय दोषों के निवारण के लिए सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। विशेषकर शनि अमावस्या और सोमवती अमावस्या का संयोग इन उपायों के प्रभाव को कई गुना बढ़ा देता है।
विशेष अमावस्याओं की तुलना: सोमवती बनाम शनि अमावस्या
विशेषता | सोमवती अमावस्या (जब सोमवार को हो) | शनि अमावस्या (जब शनिवार को हो) |
प्रमुख देवता | भगवान शिव और चंद्रमा | शनि देव और पितर |
मुख्य उद्देश्य | अखंड सौभाग्य, पति की लंबी आयु, पितृ शांति | शनि दोष, साढ़ेसाती, ढैय्या से मुक्ति, कालसर्प दोष निवारण |
विशेष पूजा | पीपल के वृक्ष की 108 बार परिक्रमा, शिव जी का रुद्राभिषेक | शनि मंदिर में तेल चढ़ाना, पीपल के नीचे सरसों तेल का दीपक जलाना |
लाभ | दरिद्रता का नाश, वैवाहिक जीवन में सुख | कार्यों में आ रही बाधाएं दूर होती हैं, न्याय मिलता है |
किनके लिए विशेष | विवाहित महिलाओं और चंद्र दोष से पीड़ित लोगों के लिए | शनि की महादशा से गुजर रहे लोगों और पितृ दोष से पीड़ित जातकों के लिए |
कैसे करें अमावस्या पर संपूर्ण पूजा? (Step-by-Step Puja Guide)
How-To: अमावस्या के दिन की पूजा विधि
आवश्यक सामग्री: गंगाजल, काले तिल, जौ, कुश (पवित्र घास), सफेद फूल, धूप, दीपक, फल, मिठाई, कच्चा सूत।
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- चरण 1: ब्रह्म मुहूर्त में स्नान एवं संकल्प
- अमावस्या के दिन सूर्योदय से पहले उठकर किसी पवित्र नदी, तालाब या कुंड में स्नान करें। यह संभव न हो तो घर में पानी में कुछ बूंदें गंगाजल की डालकर स्नान करें।
- स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र पहनकर पूजा स्थान पर बैठें और हाथ में जल लेकर व्रत और पूजा का संकल्प लें।
- चरण 2: सूर्य देव को अर्घ्य
- एक तांबे के लोटे में शुद्ध जल, लाल चंदन और लाल फूल डालकर सूर्य देव को “ॐ सूर्याय नमः” मंत्र का जाप करते हुए अर्घ्य दें।
- चरण 3: पीपल वृक्ष की पूजा
- पीपल के पेड़ को विष्णु का स्वरूप माना गया है। उसकी जड़ में जल, दूध, फूल, और काले तिल अर्पित करें।
- यदि सोमवती अमावस्या हो तो पीपल की 108 बार परिक्रमा करते हुए कच्चा सूत लपेटें।
- चरण 4: पितरों का तर्पण (सबसे महत्वपूर्ण क्रिया)
- दक्षिण दिशा की ओर मुख करके बैठें। एक कांसे या तांबे के पात्र में जल, काले तिल, जौ और सफेद फूल डालें।
- हाथ में कुश लेकर अपने ज्ञात-अज्ञात पितरों का स्मरण करते हुए उस जल को धीरे-धीरे पृथ्वी पर गिराएं। इसे तिलांजलि कहते हैं।
- “ॐ पितृभ्यो नमः” या पितृ गायत्री मंत्र का जाप करें।
- चरण 5: दान-पुण्य का कार्य
- पूजा के बाद अपनी श्रद्धा और सामर्थ्य के अनुसार किसी ब्राह्मण या जरूरतमंद को भोजन कराएं या अन्न, वस्त्र, तिल, गुड़ और धन का दान करें। गाय को हरी घास खिलाना भी अत्यंत पुण्यदायी है।
अमावस्या पर करने योग्य अचूक उपाय
- पितृ दोष से मुक्ति के लिए: अमावस्या के दिन शाम को घर के दक्षिण-पश्चिम कोने (नैऋत्य कोण) में एक सरसों के तेल का दीपक जलाएं। यह दीपक पितरों के लिए होता है।
- शनि दोष के लिए: शनि अमावस्या के दिन एक लोहे की कटोरी में सरसों का तेल भरकर उसमें अपना चेहरा देखें और फिर तेल सहित उस कटोरी को किसी शनि मंदिर में दान कर दें।
- आर्थिक तंगी दूर करने के लिए: अमावस्या की शाम को घर के ईशान कोण में गाय के घी का एक दीपक जलाएं। बत्ती में केसर का प्रयोग करें। इससे माँ लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं।
- नकारात्मक ऊर्जा हटाने के लिए: अमावस्या के दिन पूरे घर में गंगाजल का छिड़काव करें और लोबान या गुग्गुल का धुआं करें।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
प्रश्न 1: अमावस्या कब है 2025-26, क्या सभी तिथियां पूरे दिन मान्य होंगी?
उत्तर: अमावस्या तिथि का प्रारंभ और समापन समय होता है। उपरोक्त सूची में दी गई तारीखें उदया तिथि के अनुसार हैं, जिस दिन सूर्योदय के समय अमावस्या होती है। पूजा, स्नान-दान के लिए यही तिथि मान्य होती है। सटीक मुहूर्त के लिए आप किसी पंचांग का अनुसरण कर सकते हैं।
प्रश्न 2: क्या अमावस्या पर जन्म लेना अशुभ होता है?
उत्तर: यह एक मिथक है। ज्योतिष के अनुसार, अमावस्या पर जन्मे बच्चे बहुत भावुक, कल्पनाशील और मजबूत अंतर्ज्ञान वाले होते हैं। हालांकि, उनके जीवन में चंद्रमा के प्रभाव के कारण कुछ उतार-चढ़ाव आ सकते हैं, जिसका उपाय पूजा-पाठ से संभव है।
प्रश्न 3: क्या महिलाएं अमावस्या का व्रत रख सकती हैं?
उत्तर: जी हाँ, बिलकुल। विशेषकर सोमवती अमावस्या का व्रत सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और परिवार की सुख-शांति के लिए रखती हैं।
प्रश्न 4: सर्वपितृ अमावस्या और अन्य अमावस्या में क्या अंतर है?
उत्तर: सर्वपितृ अमावस्या (आश्विन मास की अमावस्या) पितृ पक्ष का अंतिम और सबसे महत्वपूर्ण दिन होता है। इस दिन उन सभी पितरों का श्राद्ध किया जाता है जिनकी मृत्यु की तिथि ज्ञात नहीं होती। जबकि अन्य अमावस्याएं मासिक पितृ शांति और सामान्य पूजा-पाठ के लिए होती हैं।
निष्कर्ष
अमावस्या कब है 2025-26, इसकी जानकारी के साथ-साथ यह समझना भी आवश्यक है कि यह तिथि भय या अंधकार की नहीं, बल्कि आत्म-मंथन, शुद्धि और अपने पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का एक पवित्र अवसर है। इस लेख में दी गई तिथियों, पूजा विधि और उपायों का पालन कर आप न केवल अपने पितरों को प्रसन्न कर सकते हैं, बल्कि अपने जीवन में आने वाली अनेक बाधाओं को भी दूर कर सकते हैं। इस आध्यात्मिक दिन का श्रद्धापूर्वक पालन करें और अपने जीवन को सकारात्मक ऊर्जा से भरें।