NewsUttar Pradesh

रामकोला धाम की पूरी कहानी, जानें क्या हैं मंदिर का इतिहास | Ramkola Dham Vishv Darshan temple story

रामकोला धाम की पूरी कहानी, जानें क्या हैं मंदिर का इतिहास । रामकोला धाम विश्व दर्शन मंदिर की पूरी कहानी । uttar pradesh Ramkola Dham temple full story know what is the history of the temple । Ramkola Dham Vishv Darshan temple story

संतों की भूमी उत्तर प्रदेश का गौरवशाली इतिहास रहा है. उत्तर प्रदेश के कुशीनगर जिले में एक रामकोला मंदिर है. मंदिर का वास्तविक नाम विश्व दर्शन मंदिर रामकोला धाम है. मंदिर की कहानी बेहद ही रोचक हैं. जिसे सभी उत्तर प्रदेशवासियों को जानना बेहद ही जरूरी है.रामकोला गांव की सबसे प्रसिद्ध यहां की भागवत कथा रही, जिसके जरिए मंदिर और रामकोला गांव को पूरे विश्व में अनोखी पहचान मिली. रामकोला भारत का पहला गांव था, जहां अंग्रेजों के गुलामी के दौर में दो चीनी मिल स्थापित हुई. वहीं अनुसुइया मंदिर बनने के बाद रामकोला को रामकोला धाम के नाम से जाना जाने लगा.

क्या है रामकोला धाम की कहानी | Ramkola Dham Vishv Darshan temple story

भारत की आजादी के पूर्व, रामकोला की पहचान महज एक गांव के रुप में थी. रामकोला को टाउन एरिया का दर्जा 1958 में मिला. जनश्रुतियों के अनुसार जब प्रदेश में जमींदारी प्रथा थी, उस दौरान रामकोला के जमींदारों की जमींदारी कोसों दूर तक थी. करीब सौ वर्ष पहले यहां के जमींदारों ने एक बार रामकोला में भागवत कथा का आयोजन किया था. उसमें यहीं बगल के गांव मांडेराय के पुरोहित ने भागवत कथा शुरू की.

uttar-pradesh-ramkola-dham-temple-full-story-know-what-is-the-history-of-the-temple

स्थानीय लोग बताते हैं कि जब कथा शुरू हुई तो शुरुआत के समय कुछ लोग सुनने नहीं आ सके थे. देरी से पहुंचने के बाद भी ग्रामीणों ने कथा वाचक को भागवत कथा दोबारा सुनाने के लिए कहा. पंडित ने दोबारा कथा शुरू की. इसी प्रकार जो भी ग्रामीण देर से आता था, वह कथा दोबारा शुरू से कहने के लिए बाध्य करता था. इस कारण आठ दिनों में समाप्त होने वाली भागवत कथा की महीनों बीत जाने के बाद भी केवल शुरुआत ही होती रही.

जमींदारों के इस रवैये से परेशान होकर कथा का श्रवण कराने वाले ब्राह्मण भाग गए और जब उन्हें ढूंढा जाने लगा तो वे एक पेड़ पर चढ़े दिखाई दिए. अंत में तंग आकार कथा वाचक ने खुदखुशी कर ली, जिससे उनकी मौत हो गई. ब्राह्मण की मौत के बाद जमींदारों ने मुआवजे के रूप में उनके परिवार को दान में 700 एकड़ जमीन मांडेराय में दे दी. जहां अब भी उनकी बस्ती है. इस प्रकार रामकोला की भागवत कथा कभी समाप्त न होने वाली कथा के नाम से पूरे विश्व में प्रसिद्ध हो गई.

एक गांव में बनी दो चीनी मिले

इसके बाद रामकोला गांव में 1930-31 में केदार नाथ खेतान ने खेतान चीनी मिल की स्थापना की गई. जिसके एक साल बाद दी रामकोला शुगर मिल कंपनी के नाम की दूसरी चीनी मिल 1932 बाल मुकुंद शाह साहनी द्वारा स्थापित की. उस समय यह देश का पहला गांव था, जहां एक गांव में दो चीनी मिलें लगी थीं. इन दो कार्यों की वजह से रामकोला की पहचान देश और प्रदेश में रही.

1992 में बकाए गन्ना मूल्य को लेकर किसान नेता राधेश्याम सिंह की अगुवाई में गन्ना आंदोलन शुरू किया गया. आंदोलन के 33वें दिन हुई फायरिंग के बाद राधेश्याम सिंह के साथ 75 किसानों पर मुकदमे दर्ज किए गए. इसके कारण इन लोगों को महीनों जेल में रहना पड़ा. रामकोला गन्ना आंदोलन के लिए भी जाना जाता है.

वहीं रामकोला के ही निवासी एक व्यक्ति ने अनुसुइया जाकर अपनी तपस्या के दम पर इसी नाम पर मंदिर का निर्माण करवाया. जिसके बाद उन्हें परमहंस की उपाधि मिली. उन्हीं के शिष्यों ने रामकोला में विश्व दर्शन अनुसुइया मंदिर का निर्माण करवाया. इसी के कारण रामकोला को रामकोला धाम के नाम से जाना जाने लगा.

इसे भी देखे :

 गोवर्धन पूजन के मंत्र  वक्रतुंड महाकाय मंत्र
 ॐ यन्तु नद्यो वर्षन्तु पर्जन्या प्रतिवेदन किसे कहते हैं?
एकात्मता स्तोत्र, मंत्र अर्थविद्या प्राप्ति के लिए सरस्वती मंत्र
 हिंदी लोक में खोजें, ज्ञानकराग्रे वसते लक्ष्मी मंत्र
बुखार उतारने का मंत्रनिबंध लेखन की परिभाषा
प्रधानमंत्री जी को पत्र कैसे लिखेंआवेदन पत्र क्या होते हैं 
 ATM कार्ड के लिए पत्रखाता खुलवाने के लिए पत्र

KAMLESH VERMA

दैनिक भास्कर और पत्रिका जैसे राष्ट्रीय अखबार में बतौर रिपोर्टर सात वर्ष का अनुभव रखने वाले कमलेश वर्मा बिहार से ताल्लुक रखते हैं. बातें करने और लिखने के शौक़ीन कमलेश ने विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन से अपना ग्रेजुएशन और दिल्ली विश्वविद्यालय से मास्टर्स किया है. कमलेश वर्तमान में साऊदी अरब से लौटे हैं। खाड़ी देश से संबंधित मदद के लिए इनसे संपर्क किया जा सकता हैं।

Related Articles

DMCA.com Protection Status