
श्री गणेश आरती – जय गणेश जय गणेश देवा (Shri Ganesh Aarti Lyrics in Hindi with Meaning)
“जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा।” – यह दिव्य ध्वनि जैसे ही कानों में पड़ती है, मन स्वतः ही भक्ति और श्रद्धा से भर जाता है। श्री गणेश आरती (Shri Ganesh Aarti) हिंदू धर्म की सबसे प्रसिद्ध और सर्वमान्य आरतियों में से एक है। किसी भी शुभ कार्य, पूजा, अनुष्ठान या त्योहार का आरंभ भगवान गणेश की वंदना से ही होता है, और उनकी आरती के बिना कोई भी पूजा पूर्ण नहीं मानी जाती।
भगवान गणेश, जिन्हें विघ्नहर्ता, मंगलमूर्ति और गणपति के नाम से भी जाना जाता है, बुद्धि, समृद्धि और सौभाग्य के देवता हैं। उनकी आरती ‘जय गणेश जय गणेश देवा’ न केवल गणेश उत्सव के दौरान, बल्कि हर दिन घरों और मंदिरों में श्रद्धापूर्वक गाई जाती है। यह आरती अत्यंत सरल और भावपूर्ण है, जो भगवान गणेश के स्वरूप, उनकी महिमा और उनकी कृपा का सुंदर वर्णन करती है।

इस लेख में, हम आपको श्री गणेश जी की आरती के संपूर्ण और शुद्ध लिरिक्स (lyrics) हिंदी में प्रदान करेंगे। साथ ही, हम इस आरती की प्रत्येक पंक्ति का विस्तृत अर्थ समझेंगे, आरती करने की सही विधि जानेंगे और इसके गहरे आध्यात्मिक महत्व पर भी प्रकाश डालेंगे।
क्यों है श्री गणेश आरती इतनी महत्वपूर्ण?
भगवान गणेश को ‘प्रथम पूज्य’ का वरदान प्राप्त है, अर्थात किसी भी देवता की पूजा से पहले उनकी पूजा करना अनिवार्य है।
- विघ्नों का नाश: गणेश जी ‘विघ्नहर्ता‘ हैं। उनकी आरती करने से जीवन में आने वाली सभी बाधाएं, संकट और नकारात्मक ऊर्जाएं दूर होती हैं।
- शुभता का आरंभ: आरती के दिव्य स्वर और कपूर की सुगंध वातावरण में सकारात्मकता और पवित्रता का संचार करती है, जिससे हर कार्य में सफलता और शुभता का वास होता है।
- ईश्वर से जुड़ाव: आरती, ईश्वर के प्रति अपने प्रेम, समर्पण और कृतज्ञता को व्यक्त करने का एक सरल और संगीतमय तरीका है। यह हमारी आत्मा को परमात्मा से जोड़ती है।
श्री गणेश आरती (संपूर्ण लिरिक्स हिंदी में) – Shri Ganesh Aarti Lyrics in Hindi
॥ श्री गणेश जी की आरती ॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
॥ जय गणेश, जय गणेश… ॥
एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी।
माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी॥
॥ जय गणेश, जय गणेश… ॥
♦ लेटेस्ट जानकारी के लिए हम से जुड़े ♦ |
WhatsApp पर हमसे बात करें |
WhatsApp पर जुड़े |
TeleGram चैनल से जुड़े ➤ |
Google News पर जुड़े |
पान चढ़े, फल चढ़े, और चढ़े मेवा।
लड्डुअन का भोग लगे, संत करें सेवा॥
॥ जय गणेश, जय गणेश… ॥
अंधन को आँख देत, कोढ़िन को काया।
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया॥
॥ जय गणेश, जय गणेश… ॥
‘सूर’ श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
॥ जय गणेश, जय गणेश… ॥
(अतिरिक्त पद)
दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी।
कामना को पूर्ण करो, जाऊं बलिहारी॥
॥ जय गणेश, जय गणेश… ॥
श्री गणेश आरती का विस्तृत अर्थ (Meaning of Ganesh Aarti in Hindi)
यह आरती सिर्फ भक्तिमय पंक्तियों का संग्रह नहीं है, बल्कि इसमें भगवान गणेश के स्वरूप और महिमा का गहरा वर्णन है।
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
अर्थ: हे गणेश देवा, आपकी जय हो, जय हो, जय हो! जिनकी माता जगत-जननी पार्वती जी हैं और जिनके पिता स्वयं भगवान महादेव (शिव) हैं।
एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी।
माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी॥
अर्थ: आप एक दांत वाले (एकदंत), अत्यंत दयालु और चार भुजाओं को धारण करने वाले हैं। आपके मस्तक पर सिंदूर सुशोभित है और आपका वाहन मूषक (चूहा) है। यहाँ ‘एकदंत’ होना त्याग का प्रतीक है, और ‘चार भुजाएं’ उनकी सर्वशक्तिमानता को दर्शाती हैं।
पान चढ़े, फल चढ़े, और चढ़े मेवा।
लड्डुअन का भोग लगे, संत करें सेवा॥
अर्थ: हे प्रभु! भक्त आपको पान, फल और सूखे मेवे अर्पित करते हैं। आपको लड्डुओं का भोग विशेष रूप से प्रिय है, और सभी संत-महात्मा आपकी सेवा करते हैं।
अंधन को आँख देत, कोढ़िन को काया।
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया॥
अर्थ: हे दयानिधान! आप अंधों को नेत्र, कुष्ठ रोगियों को स्वस्थ शरीर (काया), निःसंतान (बांझ) को पुत्र का वरदान और निर्धन को धन-संपत्ति (माया) प्रदान करते हैं। यह पंक्तियाँ उनकी कृपा और भक्तों के दुखों को हरने की उनकी शक्ति को दर्शाती हैं।
‘सूर’ श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
अर्थ: इस आरती के रचयिता, संत सूरदास (सूर’ श्याम) कहते हैं कि हे प्रभु, हम आपकी शरण में आए हैं, हमारी सेवा को सफल कीजिए। (कुछ विद्वान मानते हैं कि यहाँ ‘सूर’ का अर्थ ‘देवता’ और ‘श्याम’ का अर्थ कृष्ण है, अर्थात सभी देव आपकी शरण में हैं)।
(अतिरिक्त पद)
दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी।
कामना को पूर्ण करो, जाऊं बलिहारी॥
अर्थ: हे शंभु (शिव) के प्रिय पुत्र! आप दीनों और दुखियों की लाज (मान-सम्मान) की रक्षा करें। हमारी सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करें, हम आप पर न्योछावर (बलिहारी) जाते हैं।
कैसे करें: गणेश जी की आरती करने की सही विधि
आरती को पूरे विधि-विधान से करने पर उसका पूर्ण फल प्राप्त होता है।
- चरण 1: तैयारी: पूजा समाप्त होने के बाद आरती की तैयारी करें। एक थाली में दीपक (घी या कपूर का) रखें। इसमें फूल, अक्षत और धूप भी रख सकते हैं।
- चरण 2: आसन और शंखनाद: आरती शुरू करने से पहले खड़े हो जाएं। आरती की शुरुआत शंख बजाकर करनी चाहिए।
- चरण 3: आरती घुमाने की विधि:
- सबसे पहले आरती को भगवान गणेश के चरणों में चार बार घुमाएं।
- इसके बाद, उनकी नाभि के पास दो बार घुमाएं।
- फिर, उनके मुख के पास एक बार घुमाएं।
- अंत में, भगवान के समस्त अंगों के ऊपर से सात बार आरती घुमाएं। [1]
- चरण 4: “कर्पूरगौरं” और पुष्पांजलि: आरती समाप्त होने के बाद, “कर्पूरगौरं करुणावतारं…” मंत्र का जाप करें। इसके बाद दोनों हाथों में फूल लेकर भगवान को अर्पित करें (पुष्पांजलि)।
- चरण 5: आरती लेना: अंत में, परिवार के सभी सदस्य दोनों हाथों से आरती की लौ के ऊपर से ताप लें और उसे अपनी आंखों और सिर पर लगाएं।
- चरण 6: प्रसाद वितरण: आरती के बाद सभी को प्रसाद वितरित करें।
तुलनात्मक सारणी: गणेश आरती बनाम गणेश चालीसा
अक्सर लोग आरती और चालीसा को लेकर भ्रमित हो जाते हैं। दोनों ही भक्ति के माध्यम हैं, लेकिन उनमें कुछ मौलिक अंतर हैं।
विशेषता | श्री गणेश आरती | श्री गणेश चालीसा |
प्रकृति | यह स्तुति का एक संगीतमय और संक्षिप्त रूप है, जो पूजा के अंत में की जाती है। | यह 40 चौपाइयों का एक विस्तृत पाठ है, जिसमें गणेश जी के चरित्र, महिमा और कथा का वर्णन होता है। |
उद्देश्य | ईश्वर के प्रति प्रेम, कृतज्ञता और समर्पण व्यक्त करना, पूजा का समापन करना। | भगवान के गुणों का विस्तार से गुणगान करना और उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए प्रार्थना करना। |
समय | पूजा के बिल्कुल अंत में, दीपक जलाकर गाई जाती है। | पूजा के दौरान या दिन में किसी भी समय पाठ के रूप में पढ़ा जा सकता है। |
अवधि | आमतौर पर 2-3 मिनट। | आमतौर पर 5-7 मिनट। |
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
प्रश्न 1: ‘जय गणेश देवा’ आरती किसने लिखी है?
उत्तर: इस आरती के अंतिम पद “सूर’ श्याम शरण आए” से यह अनुमान लगाया जाता है कि इसके रचयिता संत सूरदास जी हो सकते हैं। हालांकि, इस पर विद्वानों में पूरी तरह से एकमत नहीं है।
प्रश्न 2: गणेश जी की आरती दिन में कितनी बार करनी चाहिए?
उत्तर: सामान्यतः, घर के मंदिरों में सुबह और शाम, दो समय आरती करने की परंपरा है। त्योहारों या विशेष पूजा के दौरान आप अपनी श्रद्धानुसार अधिक बार भी कर सकते हैं।
प्रश्न 3: गणेश जी को कौन से फूल और भोग प्रिय हैं?
उत्तर: भगवान गणेश को लाल रंग के फूल, विशेषकर गुड़हल (hibiscus) और दूर्वा (घास) अत्यंत प्रिय हैं। भोग में उन्हें मोदक और लड्डू सबसे अधिक पसंद हैं।
प्रश्न 4: आरती में कपूर क्यों जलाया जाता है?
उत्तर: कपूर का जलना अहंकार के विनाश का प्रतीक है। जिस प्रकार कपूर बिना कोई अवशेष छोड़े जल जाता है, उसी प्रकार आरती करते समय हम प्रार्थना करते हैं कि हमारा अहंकार भी ईश्वर की भक्ति में विलीन हो जाए। इसकी सुगंध वातावरण को भी शुद्ध करती है। [2]
निष्कर्ष
श्री गणेश आरती (Shri Ganesh Aarti) केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि यह हमारी आत्मा को परमात्मा से जोड़ने का एक दिव्य सेतु है। इसके सरल शब्द गहरे अर्थ समेटे हुए हैं, जो हमें भगवान गणेश की कृपा, दया और शक्ति का एहसास कराते हैं। जब भी आप पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ ‘जय गणेश जय गणेश देवा’ का गायन करते हैं, तो आप न केवल एक परंपरा का निर्वाह करते हैं, बल्कि अपने जीवन में सकारात्मकता, सफलता और शांति को भी आमंत्रित करते हैं।
इस आरती को अपनी दैनिक पूजा का अभिन्न अंग बनाएं और विघ्नहर्ता श्री गणेश की असीम कृपा के पात्र बनें।
॥ गणपति बाप्पा मोरया, मंगलमूर्ति मोरया ॥
संदर्भ और प्रेरणा स्रोत (References & Sources of Inspiration)
- Skanda Purana & other Hindu scriptures detailing the correct procedure (Vidhi) for performing Aarti.
- Cultural and religious texts explaining the symbolism of elements used in Hindu puja, such as camphor (Kapur).