Education

संत गुरु कबीर दास जयंती 2024 | Sant Guru Kabir Das

Kabir Das किसी धर्म विशेष को अधिक महत्व नहीं देते थे। उन्होंने सामाज में फैली कुरीतियों, कर्मकांड, अंधविश्वास, अन्य उन्मादवादी सोच की हमेशा से कड़ी निंदा की और सामाजिक बुराइयों की कड़ी आलोचना की थी।

महत्वपूर्ण जानकारी

  • शनिवार, 22 जून 2024
  • जन्म स्थान: वाराणसी (काशी)।
  • मृत्यु स्थान: मगहर
  • माता-पिता: नीरू, नीमा
  • बच्चे: कामली, कमल।
  • जन्म वर्ष : संत कबीर दास की लगभग 647वीं जयंती
  • 350+दोहे क्लिक करें

Sant Guru Kabir Das : कबीर जिन्हें उत्तर भारत में भगत कबीर के नाम से जाना जाता हैं। भगत 15 वीं सदी के भारतीय रहस्यवादी कवि और महान संत के रूप में आज भी याद किए जाते हैं। Kabir Das जी की रचनाओं ने हिन्दी भाषियों के “दय में बस जाने की ताकत हैै। इनकी भत्तिफ़ की रचनाएं कविता प्रेमी के को बहुत ही गहरे स्तर तक प्रभावित करती है। कबीर जी का लेखन का सिख आदि ग्रथ में भी पढ़ने को मिलता हैै।

Kabir Das किसी धर्म विशेष को अधिक महत्व नहीं देते थे। उन्होंने सामाज में फैली कुरीतियों, कर्मकांड, अंधविश्वास, अन्य उन्मादवादी सोच की हमेशा से कड़ी निंदा की और सामाजिक बुराइयों की कड़ी आलोचना की थी। उनके जीवनकाल के दौरान हिन्दू और मुसलमान दोनों ही धर्माे के कई लोग इनके बहुत कड़े आलोचक थे।

Kabir Das के जन्म स्थान के बारे में बिल्कुल सटिक जानकारी किसी दस्तावेज में अंकित नहीं है, लेकिन कुछ लोगों की धारणा हैं कि, इनका जन्म काशी में ही हुआ था जिसकी पुष्टि स्वयं संत कबीर ने अपने एक कथन में भी किया था।

‘काशी में परगट भये, रामानंद चेताये‘

बहुत ही कम लोगों को इसके बारे में जानकारी होगी कि, संत कबीर, आचार्य रामानंद को अपना गुरु बनाना चाहते थे। लेकिन आचार्य रामानंद ने उनको अपना शिष्य बनाने से साफ इंकार कर दिया था। भगत कबीर ने अपने मन मे ठान लिया कि स्वामी रामानंद को अपना गुरु बनाऊंगा।

इसके लिय संत Kabir Das ने सुबह चार बजे जब रामानंद गंगा स्नान के लिए जाते तो उनकी रास्ते की सीढ़ियों पर लेट गये। जब रामानंद की का पैर संत कबीर से शरीर पर पड़ा तो रामानंद जी मुंह से राम राम निकला। रामानंद जी के मुऽ से राम शब्द को संत कबीर ने दीक्षा-मन्त्र मान लिया और रामानंद जी का अपना गुरु मान लिया।

संत Kabir Das अत्यधिक पढ़े  नहीं थे इसलिए उन्होंने स्वयं कोई ग्रंथ नहीं लिखा उन्होंने ग्रंथ की रचना अपने शिष्यों की मदद की। संत कबीर बोलते गए और उनके शिष्य उनके विचारों को लिखते गए। इनके विचारों में रामनाम की महिमा प्रतिध्वनित होती है। वे एक ईश्वर को मानते थे।

Also Read :

KAMLESH VERMA

दैनिक भास्कर और पत्रिका जैसे राष्ट्रीय अखबार में बतौर रिपोर्टर सात वर्ष का अनुभव रखने वाले कमलेश वर्मा बिहार से ताल्लुक रखते हैं. बातें करने और लिखने के शौक़ीन कमलेश ने विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन से अपना ग्रेजुएशन और दिल्ली विश्वविद्यालय से मास्टर्स किया है. कमलेश वर्तमान में साऊदी अरब से लौटे हैं। खाड़ी देश से संबंधित मदद के लिए इनसे संपर्क किया जा सकता हैं।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

DMCA.com Protection Status
जगन्नाथ पुरी रथ यात्रा 2024 Amarnath Yatra Start and End Date 2024 बाइक शायरी – Bike Shayari Tribal leader Mohan Majhi to be Odisha’s first BJP CM iOS 18 makes iPhone more personal, capable, and intelligent than ever चुनाव पर सुविचार | Election Quotes in Hindi स्टार्टअप पर सुविचार | Startup Quotes in Hindi पान का इतिहास | History of Paan महा शिवरात्रि शायरी स्टेटस | Maha Shivratri Shayari सवाल जवाब शायरी- पढ़िए