
Janmashtami Bhog Recipe: कृष्ण जी का प्रिय भोग ‘धनिया पंजीरी’ और ‘माखन मिश्री’ बनाने की विधि
कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व भगवान श्री कृष्ण के प्रति हमारी भक्ति और प्रेम को व्यक्त करने का एक सुनहरा अवसर है। इस दिन भक्तगण व्रत रखते हैं, मंदिरों को सजाते हैं, और कान्हा के जन्म का उत्सव धूमधाम से मनाते हैं। लेकिन इस उत्सव का एक सबसे महत्वपूर्ण और अभिन्न अंग है – भगवान को भोग लगाना। जब बात कान्हा के प्रिय भोग की आती है, तो दो नाम सबसे पहले मन में आते हैं: धनिया पंजीरी और माखन मिश्री।
ये केवल साधारण व्यंजन नहीं हैं, बल्कि इनके पीछे गहरा आध्यात्मिक और स्वास्थ्य से जुड़ा महत्व भी है। जन्माष्टमी का व्रत मध्यरात्रि में कृष्ण जन्म के बाद खोला जाता है, और यह भोग न केवल स्वादिष्ट होता है, बल्कि व्रत के बाद शरीर को ऊर्जा भी प्रदान करता है।
क्या आप भी इस जन्माष्टमी पर अपने हाथों से कान्हा के लिए उनका प्रिय प्रसाद बनाना चाहते हैं? तो आप बिल्कुल सही जगह पर हैं। इस लेख में हम आपको धनिया पंजीरी और माखन मिश्री बनाने की सबसे आसान और पारंपरिक विधि स्टेप-बाय-स्टेप बताएंगे। साथ ही, हम यह भी जानेंगे कि जन्माष्टमी पर विशेष रूप से यही भोग क्यों चढ़ाया जाता है।

जन्माष्टमी पर धनिया पंजीरी और माखन मिश्री का महत्व क्यों है?
- धनिया पंजीरी (Dhaniya Panjiri): जन्माष्टमी का पर्व वर्षा ऋतु (मानसून) के दौरान आता है। आयुर्वेद के अनुसार, इस मौसम में पाचन तंत्र थोड़ा कमजोर हो जाता है। धनिया (धनिया के बीज) वात और पित्त दोष को संतुलित करने में मदद करता है और पाचन क्रिया को सुधारता है। यह शरीर को गर्म रखने और मौसमी बीमारियों से बचाने में भी सहायक है। इसलिए, व्रत के बाद धनिया पंजीरी का सेवन स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभकारी माना जाता है। [1]
- माखन मिश्री (Makhan Mishri): माखन (सफेद मक्खन) और मिश्री भगवान कृष्ण की बाल लीलाओं का प्रतीक है। कान्हा को माखन इतना प्रिय था कि वे उसे गोपियों की मटकियों से चुराकर खाते थे। माखन शुद्धता, स्नेह और पोषण का प्रतीक है, जबकि मिश्री जीवन में मिठास और आनंद का। इन दोनों को मिलाकर भोग लगाना कृष्ण के प्रति हमारे निश्छल प्रेम और भक्ति को दर्शाता है।
कैसे बनाएं: धनिया पंजीरी बनाने की संपूर्ण विधि (Dhaniya Panjiri Recipe)
यह एक फलाहारी पंजीरी है, जिसे जन्माष्टमी के व्रत में खाया जा सकता है।
आवश्यक सामग्री (Ingredients):
सामग्री | मात्रा |
धनिया पाउडर (मोटा पिसा हुआ) | 1 कप |
देसी घी | ½ कप |
मखाने (Fox Nuts) | 1 कप |
कटे हुए बादाम | ¼ कप |
कटे हुए काजू | ¼ कप |
कद्दूकस किया हुआ सूखा नारियल | ½ कप |
चिरौंजी | 2 बड़े चम्मच |
मिश्री या बूरा (पिसी हुई चीनी) | ¾ कप (स्वादानुसार) |
हरी इलायची का पाउडर | ½ छोटा चम्मच |
तुलसी के पत्ते | 8-10 (भोग के लिए) |
बनाने की विधि (Step-by-Step Instructions):
- मेवे भूनें: एक भारी तले की कढ़ाई में 2 बड़े चम्मच घी गरम करें। सबसे पहले मखानों को डालकर मध्यम आंच पर कुरकुरा होने तक भून लें। उन्हें एक प्लेट में निकाल लें।
- अब उसी कढ़ाई में कटे हुए बादाम, काजू और चिरौंजी डालकर 1-2 मिनट के लिए हल्का सुनहरा होने तक भूनें। इन्हें भी प्लेट में निकाल लें।
- कद्दूकस किए हुए नारियल को कढ़ाई में डालकर बिना घी के 30-40 सेकंड के लिए हल्का सा भूनें और तुरंत निकाल लें।
- धनिया पाउडर भूनें: अब कढ़ाई में बचा हुआ सारा घी डालें और उसे मध्यम गरम करें। इसमें धनिया पाउडर डालें और धीमी आंच पर लगातार चलाते हुए 5-7 मिनट तक भूनें। जब इसमें से भीनी-भीनी खुशबू आने लगे और इसका रंग थोड़ा गहरा हो जाए, तो गैस बंद कर दें।
- पंजीरी मिलाएं: भुने हुए धनिया पाउडर को एक बड़े कटोरे में निकालें और उसे थोड़ा ठंडा होने दें।
- भुने हुए मखानों को हल्का सा कूट लें या मिक्सर में दरदरा पीस लें।
- जब धनिया पाउडर हल्का गर्म रह जाए, तो उसमें भुने हुए सारे मेवे (मखाने, बादाम, काजू, चिरौंजी), भुना हुआ नारियल, पिसी हुई मिश्री (बूरा) और इलायची पाउडर डालकर अच्छी तरह मिलाएं।
- भोग लगाएं: आपकी स्वादिष्ट और पौष्टिक धनिया पंजीरी तैयार है। इसे एक सुंदर कटोरे में निकालें और ऊपर से तुलसी के पत्ते रखकर भगवान श्री कृष्ण को भोग लगाएं।
सुझाव और विविधता (Tips and Variations):
- धनिया पाउडर घर पर बनाने के लिए, साबुत धनिये को साफ करके धीमी आंच पर हल्का भून लें और फिर उसे मिक्सर में दरदरा पीस लें।
- आप इसमें अपनी पसंद के अन्य मेवे जैसे पिस्ता और अखरोट भी डाल सकते हैं।
- कुछ लोग इसमें भुनी हुई ‘गोंद’ (Edible Gum) भी मिलाते हैं, जो सर्दियों में शरीर को गर्मी देती है।
- पंजीरी को पूरी तरह से ठंडा होने के बाद ही एयरटाइट डिब्बे में स्टोर करें। यह 15-20 दिनों तक ताज़ा रहती है।
कैसे बनाएं: माखन मिश्री बनाने की विधि (Makhan Mishri Recipe)
यह भोग बनाने में सबसे सरल और कान्हा को सबसे प्रिय है।
आवश्यक सामग्री (Ingredients):
सामग्री | मात्रा |
सफेद मक्खन (घर का बना हो तो उत्तम) | ½ कप |
धागे वाली मिश्री (कूटी हुई) | ¼ कप |
तुलसी के पत्ते | 5-7 |
बनाने की विधि (Step-by-Step Instructions):
- यदि आप घर पर मक्खन बना रहे हैं, तो दूध की मलाई को इकट्ठा करके उसे मथनी से मथें। जब मक्खन ऊपर आ जाए, तो उसे ठंडे पानी से 2-3 बार धो लें ताकि खट्टापन निकल जाए।
- एक साफ कटोरे में सफेद मक्खन लें।
- धागे वाली मिश्री को कूटकर या मिक्सर में हल्का दरदरा कर लें।
- अब मक्खन और मिश्री को एक साथ अच्छी तरह से फेंटें जब तक कि वे एकसार और हल्के न हो जाएं।
- आपका स्वादिष्ट माखन मिश्री का भोग तैयार है। इसे एक सुंदर मिट्टी की कटोरी में निकालें, ऊपर से तुलसी के पत्ते रखें और अपने प्यारे लड्डू गोपाल को भोग लगाएं।
तुलनात्मक सारणी: धनिया पंजीरी बनाम आटे/सूजी की पंजीरी
अक्सर लोग पंजीरी के प्रकार को लेकर भ्रमित हो जाते हैं। यहाँ दोनों के बीच का अंतर स्पष्ट किया गया है।
विशेषता | धनिया पंजीरी | आटे/सूजी की पंजीरी |
मुख्य सामग्री | धनिया पाउडर | गेहूं का आटा या सूजी |
कब बनाई जाती है | मुख्य रूप से जन्माष्टमी के पर्व पर। | सत्यनारायण कथा और अन्य पूजा-पाठ में। |
व्रत में उपयोग | यह फलाहारी मानी जाती है और जन्माष्टमी व्रत में खाई जा सकती है। | इसमें अनाज होता है, इसलिए इसे व्रत में नहीं खाया जा सकता। |
स्वास्थ्य लाभ | पाचन में सहायक, वात-पित्त को संतुलित करती है। | ऊर्जा का अच्छा स्रोत है। |
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
प्रश्न 1: जन्माष्टमी पर धनिया की पंजीरी ही क्यों बनाई जाती है?
उत्तर: जन्माष्टमी वर्षा ऋतु में आती है, जब पाचन शक्ति कमजोर होती है। आयुर्वेद के अनुसार, धनिया पाचन में मदद करता है और शरीर को संतुलित रखता है, इसलिए व्रत के बाद इसका सेवन स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होता है।
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प्रश्न 2: क्या हम जन्माष्टमी के व्रत के दौरान धनिया पंजीरी खा सकते हैं?
उत्तर: हाँ, धनिया पंजीरी एक फलाहारी प्रसाद है क्योंकि इसमें अनाज का उपयोग नहीं होता है। आप इसे व्रत में खा सकते हैं।
प्रश्न 3: धनिया पंजीरी को कितने दिनों तक स्टोर कर सकते हैं?
उत्तर: पंजीरी को पूरी तरह से ठंडा होने के बाद एक एयरटाइट कंटेनर में रखकर आप इसे 15 से 20 दिनों तक आसानी से स्टोर कर सकते हैं।
प्रश्न 4: अगर मेरे पास मखाने नहीं हैं, तो मैं क्या उपयोग कर सकता हूँ?
उत्तर: अगर आपके पास मखाने नहीं हैं, तो आप उनकी जगह थोड़े और मेवे जैसे बादाम, काजू या कद्दूकस किया हुआ सूखा नारियल मिला सकते हैं।
निष्कर्ष
भगवान के लिए अपने हाथों से भोग बनाने का आनंद अनमोल होता है। यह हमारी श्रद्धा और प्रेम को व्यक्त करने का एक सुंदर तरीका है। इस जन्माष्टमी, आप भी इन सरल विधियों का पालन करके भगवान श्री कृष्ण का प्रिय भोग – धनिया पंजीरी और माखन मिश्री – घर पर ही बनाएं और अपने कान्हा को प्रसन्न करें।
यह प्रसाद न केवल आपके त्योहार में पारंपरिक मिठास घोलेगा, बल्कि आपके परिवार के स्वास्थ्य के लिए भी उत्तम रहेगा। इन व्यंजनों की मनमोहक सुगंध आपके घर को उत्सव के माहौल से भर देगी और आपको कान्हा की कृपा का पात्र बनाएगी।
आप सभी को कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं! जय श्री कृष्णा!
संदर्भ और प्रेरणा स्रोत (References & Sources of Inspiration)
- Acharya, B. (n.d.). Ayurvedic Significance of Spices. (आयुर्वेद में मसालों के महत्व पर)।
- Tarla Dalal & Sanjeev Kapoor Recipes. (पारंपरिक भारतीय व्यंजनों की विधियों के लिए)।
- Iskcon & other religious texts on Lord Krishna’s life and favorite foods. (भगवान कृष्ण के जीवन और प्रिय भोजन पर आधारित)।