गुरु गोरखनाथ की मृत्यु कैसे हुई | Guru Gorakhnath Ki Mrityu Kaise Hui
गुरु गोरखनाथ की मृत्यु कैसे हुई | Guru Gorakhnath Ki Mrityu Kaise Hui
उत्तर प्रदेश के विश्व प्रसिद्ध मंदिर गुरू गोरखनाथ की ख्याति पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। लेकिन क्या आपको गुरु गोरखनाथ के जीवन के बारे में संपूर्ण जानकारी है। यदि नहीं तो चिंता की कोई नहीं, इस लेख में गुरु गोरखनाथ की मृत्यु कैसे हुई इस बारे में जानकारी दी गई है साथ ही उनके जीवन का परिचय भी दिया है। आशा करते हैं आप पोस्ट को शुरू से लेकर अंत तक जरूर पढ़ेंगे।
गुरु गोरखनाथ की मृत्यु कैसे हुई? | Guru Gorakhnath Ki Mrityu Kaise Hui
दोस्तों असल में गुरु गोरखनाथ की मृत्यु नहीं हुई थी बल्कि उन्होंने ने स्वयं ही समाधि ले ली थी। उत्तर प्रदेश में गोरखपुर शहर का नाम गुरु गोरखनाथ जी के नाम पर ही रखा गया है, जहाँ उन्होंने समाधि ली थी। गुरु गोरखनाथ का भव्य और प्रसिद्ध मंदिर अभी भी गोरखपुर में मौजूद है। जहां पर प्रतिदिन लाखों की संख्या में भक्त दर्शन के लिए पहुंचते हैं।
गुरु गोरखनाथ का जीवन परिचय
गुरु गोरखनाथ एक प्रमुख संन्यासी, योगी, और हिंदू धर्म के प्रमुख संत हैं। उन्हें नेपाल और भारत के अनेक राज्यों में श्रद्धा का विषय माना जाता है। गोरखनाथ को नाथ संप्रदाय के मुख्य संस्थापक माना जाता है।
गुरु गोरखनाथ, योग और आध्यात्मिकता के क्षेत्र में अपने गहरे ज्ञान और सिद्धियों के लिए प्रसिद्ध हैं। वे शिव भगवान के निष्ठावान अनुयायी माने जाते हैं। नाथ संप्रदाय ने मनुष्य के आंतरिक प्रगटन को प्राथमिकता दी और उन्होंने अद्वैत वेदांत के सिद्धांतों का प्रचार किया। यह संप्रदाय ने भारतीय धर्म के अनेक पहलुओं को गहराई तक समझा और उन्हें आम जनता तक पहुंचाया।
गुरु गोरखनाथ के बारे में विशेषकर इतिहास, तपस्या, और उनके शिष्यों द्वारा बताई गई कथाएं महत्वपूर्ण हैं। अधिकांश इतिहासकार यह मानते हैं कि गोरखनाथ 8वीं शताब्दी के आसपास जन्मे थे।
♦ लेटेस्ट जानकारी के लिए हम से जुड़े ♦ |
WhatsApp पर हमसे बात करें |
WhatsApp पर जुड़े |
TeleGram चैनल से जुड़े ➤ |
Google News पर जुड़े |
गुरु गोरखनाथ को योगी माना जाता है। उनके अनुयायी उन्हें अमर और अजर शब्दों से संबोधित करते हैं, क्योंकि वे मानते हैं कि उन्हें मृत्यु के पश्चात भी जीवित रहने की सिद्धि प्राप्त हो गई है। गोरखनाथ ने योग और आध्यात्मिक साधना के विभिन्न पहलुओं को समझाने के लिए कई ग्रंथों का संचालन किया। उनकी मुख्य ग्रंथों में “गोरख संहिता”, “सिद्ध सिद्धान्त पद्द्हति”, और “गोरख वचन सार संग्रह” शामिल हैं।
गुरु गोरखनाथ के अनुयायी उन्हें एक पवित्र गुरु और आध्यात्मिक मार्गदर्शक मानते हैं। उनके उपदेशों और सिद्धांतों के आधार पर, लोग अपने आंतरिक शक्ति का विकास करने, आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त करने, और अनंत ज्ञान को प्राप्त करने का प्रयास करते हैं।
इसे भी पढ़े –