
ईद-उल-फितर इस्लाम धर्म का बेहद ही पावन पर्व है. इस पर्व को मीठी ईद के नाम से भी जाना जाता है. इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार, रमजान के बाद 10वें शव्वाल की पहली तारीख को ईद-उल-फितर मनाई जाती है. हालांकि ईद की तिथि चांद को देखकर निश्चित की जाती है. इस साल 14 मई 2021 को ईद मनायी जाएगी. लेकिन अगर चांद एक दिन पहले दिखाई देता है फिर 13 मई को ईद का त्योहार मनाया जाएगा.
भारत में कब है ईद :
islamicfinder.org के मुताबिक, भारत में ईद उल फितर का त्योहार 13 मई को मनाया जा सकता है. हालांकि इसकी तारीख चांद देखकर ही तय होगी, कई देशों में मौलवियो की एक बड़ी समिति ईद-उल-फितर की तारीख तय करती है.
ऐसे मनाया जाता है ये पर्व :
ईद-उल-फितर में मीठे पकवान (खासतौर पर सेंवई) बनते हैं. मीठी सेवइयां घर आए मेहमानों को खिलाई जाती है. दोस्तों और रिश्तेदारों में ईदी बांटी जाती है. मुस्लिम समाजजन इस दिन लोग एक-दूसरे के गले मिलकर ईद की मुबारकबाद देते हैं. यह त्योहार आपसी भाईचारे का संदेश देता है.
ईद उल फितर का महत्व :
पौराणिक इस्लामिक मान्यता के अनुसार, रमजान माह के अंत में ही पहली बार कुरान आई थी. मक्का से मोहम्मद पैगंबर के प्रवास के बाद पवित्र शहर मदीना में ईद-उल-फितर का उत्सव शुरू हुआ. माना जाता है कि पैगम्बर हजरत मुहम्मद ने बद्र की लड़ाई में जीत हासिल की थी. इस जीत की खुशी में सबका मुंह मीठा करवाया गया था, इसी दिन को मीठी ईदी या ईद-उल-फितर के रूप में मनाया जाता है.
इस दिन मीठे पकवान जैसे कि सेंवई, मिठाई जैसे पकवान बनते हैं. मीठी सेंवई घर आए मेहमानों को खिलाई जाती है. दोस्तों और रिश्तेदारों में ईदी बांटी जाती है. लोग एक-दूसरे के गले मिलकर ईद की मुबारकबाद देते हैं. हालांकि कोरोना के चलते इस बार ईद का पर्व धूमधाम से नहीं मनाया जा सकेगा. ईद उल फितर को दान का पर्व कहा जाता है. इस्लाम धर्म के अनुयायी कहते हैं कि रमजान के पाक महीने में सच्चे मन से रोजे रखने वालों पर अल्लाह मेहरबान रहते हैं. रोजे रखने का अवसर और शक्ति देने के लिए वे अल्लाह का शुक्रिया अदा भी भी करते हैं. वे सुबह उठकर पहले एक खास नमाज अदा करते हैं और फिर दोस्तों रिश्तेदारों को ईद की बधाई देते हैं.
अमन और चैन की दुआ :
ईद उल फितर के दिन मुस्लिम लोग सुबह नए कपड़े पहनकर नमाज अदा करते हुए अमन और चैन की दुआ मांगते हैं. जिसके बाद ईद-उल-फितर के मौके पर लोग खुदा का शुक्रिया इसलिए करते हैं क्योंकि अल्लाह उन्हें महीने भर रोजा रखने की ताकत देते हैं. ईद पर जकात (एक खास रकम) गरीबों और जरूरतमंदों के लिए निकाली जाती है.
ईद-उल-फितर का इतिहास :
पवित्र कुरान के मुताबिक, रमजान के पाक महीने में रोजे रखने के बाद अल्लाह एक दिन अपने बंदों को बख्शीश और ईनाम देते हैं. बख्शीश के दिन को ईद-उल-फितर के नाम से जाना जाता है. इस्लाम की तारीख के मुताबिक ईद उल फितर की शुरूआत जंग-ए-बद्र के बाद हुई थी. दरअसल इस जंग में मुसलमानों की फतेह हुई थी जिसका नेतृत्व स्वयं पैगंबर मुहम्मद साहब ने किया था. युद्ध विजय के बाद लोगों ने ईद मनाकर अपनी खुशी जाहिर की थी.
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