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डाेल ग्यारस या वामन एकादशी क्या है | DolGyaras Ekadasi की पूजन विधि

Dol Gyaras Ya Vaman Ekadasi Kya Hai 

डोल ग्यारस या वामन ग्यारस क्या है ?
ग्यारस का सनातन संस्कृति में बेहद ही खास मान्यता है. लोक किवंदती है कि, एक ग्यारस का व्रत अनेक पापो से मुक्ति दिलाने के लिए काफी है, ग्यारस प्रत्येक माह में दो बार आती है. वहीं पूरे वर्ष में 24 आती है. यह 15 दिनों के अंतराल में आता है, जिसमें की चावल और मिट्टी के अंदर उगाई हुई चीज़े नहीं खाना चाहिए. यह व्रत बेहद ही कठोर और कठिन होता है. कई व्रतियां इस दौरान पानी भी नहीं पीती है. जैसे की डोल ग्यारस या वामन ग्यारस क्या होता है, जिस तरह एकादशी या ग्यारस होता है उसी प्रकार एक होता है डोल ग्यारस, जो भादो माह में आता है. मध्य प्रदेश में इसे एक उत्सव के रूप में मनाया जाता है. भादो शुक्ल पक्ष के ग्यारहवे दिन यह ग्यारस मनाई जाती हैं. इस वर्ष 2022 में डोल ग्यारस परिवर्तनी एकादशी वामन जयंती 6 सितंबर को मनाई जाएगी. 

Dol Gyaras Ya Vaman Ekadasi Ki Pujan Vidhi Kya Hai 

डोल ग्यारस या वामन ग्यारस की पूजा करने की क्या क्या विधि है
बताते चले कि डोल ग्यारस जिसे फूल डोल ग्यारस भी कहा जाता है. यह पूजा हिंदू धर्म की सभी जातियों में नहीं की जाती है, लेकिन जो पूजक इस पूजा का पालन करते हैं. उन्हें कुछ नियमों और रिति रिवाजों का कड़ाई से पालन करना होता है. सबसे पहले यह जानना ज़रूरी हैं की इसमें हम कौन से भगवान की पूजा करते है. तो दोस्तों इस पूजा में भगवान विष्णु का पूजन किया जाता है.
इस दौरान भगवान विष्णु जी को डोली में बिठाकर कर झांकिया निकली जाती है. यह पूजा करते समय चावल, दही दान में देना शुभ होता है. भगवान विष्णु जी का आसन फूलों से सजाया जाता है. पूरी रात जागरण कर भजन कीर्तन किए जाते हैं. यह जन्माष्टमी पर्व की तर्ज पर मनाया जाता है. यह पूजा करने से मनुष्य जीवन के सभी पापो से मुक्ति मिलती है. इसमे भगवान श्री कृष्ण का बालक रूप मे शृंगार करके उन्हें डोली में बिठाते है. कई बार जन्माष्टमी की पूजा नहीं हो पाती है. इस दिन पूजा करके जन्माष्टमी के पूजा का फल पा सकते है. भगवान सभी रूप मे होते है.

Dol Gyaras Ki Vrat Vidhi Kya Hai 

डोल ग्यारस या वामन ग्यारस में व्रत रखते समय कुछ विशेष बातों का ध्यान रखें- जैसे की व्रत में पानी कम पीना चाहिए. चावल और दही का सेवन ना करें, व्रत के एक दिन पूर्व ही सभी घर के बर्तनों और घर की सफाई कर लें, कारण इस व्रत में सफाई का विशेष ध्यान रखना होता है. इस व्रत को सच्चे मन से करने पार भगवान सभी दुखों को दूर कर देते है. इतना ही नहीं मनुष्य योनी में किए गए पाप भी नष्ट हो जाते है.

Dol Gyaras Ki Kya Katha Hai 

डोल ग्यारस या वामन ग्यारस से जुड़ी कथाएं : हिंदू धर्म के पौराणिक ग्रंथों में सैकड़ों भगवानों और प्रत्येक पूजन से जुड़ी अनेकों कहानियां है. जिसमें हम देखते है की वामन ग्यारस से जुड़ी क्या कथा है. लोक मान्यता है कि, बलि नामक एक दानव था. जो बहुत ही बलशाली था. जिसने अपने बल और पराक्रम से तीनों लोकों पर कब्जा जमा लिया था. बलि बेहद ही अहंकारी और दानवीर था. वह अत्याचारी राजा था. एक बार विष्णु भगवान ने एक वामन का रूप धारण करके उससे उसका सबकुछ दान में मांग लिया. दानव बलि विष्णु भक्त थे, तो उसकी भक्ति से खुश होकर विष्णु भगवान ने उसे एक प्रतिमा भेंट की, तब से इसे वामन ग्यारस के नाम से जाना जाता है. कहा जाता है की इस दिन भगवान श्री कृष्ण के बाल रूप को पूजा जाता है.

उन्हें डोली मे यात्रा करवाते हैं, इसलिए डोल ग्यारस के नाम से जाना जाता है. पुराणो में यह भी उल्लेख है कि, यहीं बात युधीष्टिर ने भगवान श्री कृष्ण से पूछा था की परिवर्तनी ग्यारस क्या है और क्यों करते है? इसका प्रतिउत्तर श्री कृष्णा ने उन्हें देते हुए कहा की इस दिन विष्णु जी ने अपने सोने के स्थान से करवट बदला था. इसलिए इसे परिवर्तनी ग्यारस कहते है. इस तरह अनेक कथाएं और नियम प्रचलित है. जिनका पालन करना हिंदू धर्म का कर्तव्य है. सनातन संस्कृति में सबसे ज़्यादा भगवान और उनकी पूजा होती है, हर एक पूजा का अपना महत्व है. कहा जाता है की इस दिन माता यशोदा ने बाल कृष्णा को पहली बार सूरज देव के दर्शन करवा कर नए वस्त्र पहनाए थे, इसलिए इस दिन सूरज देवता की भी पूजा होती है. इस दिन मंदिरों में बड़ी रोनक होती है. विष्णु मंदिरों पर आकृर्षक साज सज्जा की जाती है.

Dol Gyaras Ke Kya Mahatva Hain 

डोल ग्यारस या वामन ग्यारस का बहुत की महत्व होता है. इस दिन तीन देव की पूजा होती है, अर्थात् तीन देवो का आशीर्वाद मिलता है, जिसमे हम श्री कृष्ण के बाल रूप को पूजते है, विष्णु देव की पूजा होती है एवं सूर्य देव को भी पूजा जाता है. श्री कृष्ण कहते है युधीष्टिर से यह व्रत करने से मानव जाती का उद्धार होता है, सभी कष्ट दूर होते है एवं पापो से छुटकारा मिलता है. इस दिन ढोल नगाडो से नाच गाना होता है. यह पूजा उन क्षेत्रों में होती हैं जहां पर नादियां होती इस दिन नदियों की पूजा भी की जाती है. पूजा यदि सच्चे मान से किए जाए तो मनुष्यों को सभी पापों से मुक्ति मिलती है.

Dol Gyaras Ko Ganesh Visharjan Kyu Kiya Jata Hai 

यह दिन बेहद ही शुभ होता है. इस दिन के व्रत को बेहद ही उपकारी माना जाता है. व्रत को करते समय अन्न का ग्रहण नहीं करना चाहिए. इतना ही नहीं दिन में सिर्फ एक बार फलाहार करना चाहिए. इस व्रटा में भगवान की पूजा करते समय पूजन सामग्री का ध्यान रखना चाहिए, पूजन में धूप, फूल, चंदन और भी महत्वपूर्ण सामग्री पूरी रहे. यह बात का ध्यान रखे. यह पूजा सुख, शांति, धन, स्‍वास्थ की प्राप्ति के लिए किया जाता है. इस दिन गणेश का विसर्जन होता है, गणेश विसर्जन से गणेश चतुर्थी तक यह ग्यारस का महुर्त होता है. यह दिन साल में एक बार आता है और भगवान विष्णु जी सोते हुए करवट बदलते है. हिंदू पौराणिक कथाओ के अनुसार यह दिन बहोट शुभ होता है, इस दिन सभी भगवानों की पूजा की जाती है एवं मन खुश रहता है, एवं कुछ व्र्त कथाए सुनाई जाती है. जिसे सभी साथ मिलकर सुनते है.

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KAMLESH VERMA

दैनिक भास्कर और पत्रिका जैसे राष्ट्रीय अखबार में बतौर रिपोर्टर सात वर्ष का अनुभव रखने वाले कमलेश वर्मा बिहार से ताल्लुक रखते हैं. बातें करने और लिखने के शौक़ीन कमलेश ने विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन से अपना ग्रेजुएशन और दिल्ली विश्वविद्यालय से मास्टर्स किया है. कमलेश वर्तमान में साऊदी अरब से लौटे हैं। खाड़ी देश से संबंधित मदद के लिए इनसे संपर्क किया जा सकता हैं।

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