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बकरा ईद कब की है 2023 । Bakra Eid Kab Ki Hai 2023

बकरा ईद कब की है 2023 । Bakra Eid Kab Ki Hai 2023

मुस्लिम धर्म में बकरा ईद बेहद ही महत्वपूर्ण पर्व है. इस दिन मुस्लिम लोग विशेष प्रार्थना कर परिवार की सलामती की दुआ करते हैं. इस दिन भारत और अन्य मुस्लिम देशों में शासकीय अवकाश होता है. जिसके फलस्वरूप शैक्षणिक संस्थान और शासकीय दफ्तरों को बंद रखा जाता है. बकरा ईद को हम बलिदान पर्व, बकरीद, ईद उल जुहा या ईद उल बकाह के नाम से भी जानते हैं.

ईद उल जुहा या ईद उल बकाह त्यौहार मुस्लिम धर्म के लोगों द्वारा उत्साह और उमंग के साथ मनाया जाता है. मुस्लिम समाजन इस दिन नए कपड़े पहनते हैं और ईदगाह या मस्जिद में जमा होकर जमात के साथ 2 रकात नमाज़ अदा करते है. चलिए अब जानते है की साल 2023 में बकरा ईद कब है – Bakra Eid Kab Ki Hai 2023

 

बकरा ईद कब की है 2023 – Bakra Eid Kab Ki Hai 2023

अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार यदि देखा जाए तो यह पता चलता है कि, बकरा ईद की तारीख हर साल 10 से 12 दिन पीछे खिसकती है. मालूम हो कि, ईद को मनाने का दिन एक दिन पहले चाँद को देखकर पता चलता है, लेकिन बकरा ईद का दिन चाँद के हिसाब से 10 दिन पहले भी देखा जा सकता है.

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2023 mein Bakra Eid Kab Hai – बकरा ईद, मीठी ईद के लगभग 70 दिनों के बाद मनाई जाती है. साल 2023 की बकरा ईद भारत में 28 जून 2023 को मनाई जाएगी. मुस्लिम धर्म की पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, यह त्यौहार 3 दिनों तक चलने वाला त्यौहार है, जिस कारण यह 28 जून, से शुरू होकर 30 जून 2023 की शाम को समाप्त होगा.

सोशल मीडिया पर लोग बकरा ईद को Eid-ul-azha, Eid Quarbani, Eid ul Zuha और Eid-ul-Adha आदि नामों से भी जानते हैं.

बकरा ईद क्यों मनाया जाती है – Bakra Eid Kyo Manayi Jati Hai

इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार, हज़रत इब्राहिम को अल्लाह का पैगम्बर माना जाता है. इब्राहिम अपनी पूरी उम्र नेकी के कार्यो में जुटे हुए थे और उनका सारा जीवन जनसेवा और समजसेवा में ही बीत गया, लेकिन करीब 90 वर्ष तक की उम्र में उनके कोई संतान नहीं हुई. जिसके बाद उन्होंने खुदा की इबादत की और इनके चाँद सा बीटा इस्माइल हुआ.

इसके बाद इब्राहिम के सपने में खुदा ने आदेश दिया की अपनी सबसे प्यारी चीज़ को कुर्बान कर दो, तो उन्होंने अपने सबसे प्रिय जानवर को कुर्बान किया. इसके कुछ दिन बाद उन्हें फिर से सपना आया, की वो अपने बेटे की बलि दें. जिसके बाद उन्होंने अपने बेटे को कुर्बान करने का प्रण लिया था.

फिर उन्होंने आँख पर पट्टी बांधकर बेटे की कुर्बानी दी, लेकिन कुर्बानी के बाद जब उन्होंने देखा तो पता चला की उनका पुत्र तो खेल रहा था और अल्लाह के करम से उनके स्थान पर उनके बकरी की कुर्बानी हो गई. जिसके बाद से आज तक इस दिन बकरे की कुर्बानी देनें की परंपरा चली आ रही है.

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Ravi Raghuwanshi

रविंद्र सिंह रघुंवशी मध्य प्रदेश शासन के जिला स्तरिय अधिमान्य पत्रकार हैं. रविंद्र सिंह राष्ट्रीय अखबार नई दुनिया और पत्रिका में ब्यूरो के पद पर रह चुकें हैं. वर्तमान में राष्ट्रीय अखबार प्रजातंत्र के नागदा ब्यूरो चीफ है.

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